धमतरी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
धमतरी, 29 मई। मई के अंतिम सप्ताह और नौतपा में 40 से 41 डिग्री तापमान है। इसका असर क्षेत्र के पर्यटन क्षेत्रों पर भी पड़ा है। गंगरेल बांध, बोटिंग व पर्यटन क्षेत्रों में सन्नाटा पसरा हुआ है। गिनती के सैलानी ही घूमने पहुंच रहे हैं। जिले के सोंढूर बांध समेत अन्य पर्यटन क्षेत्रों में इन दिनों सैलानियों की कमी बनी हुई है। देर-शाम को पर्यटकों की भीड़ पहुंच रही है।
प्रत्येक रविवार को जिले के प्रमुख पर्यटन क्षेत्र गंगरेल बांध में सैलानियों की रेलमपेल उमड़ती है, लेकिन रविवार को तापमान 40 डिग्री होने की वजह से भारी गर्मी व उमस के चलते गिनती के ही सैलानी नजर आए। बांध क्षेत्र, बोटिंग व मानववन समेत अन्य जगहों पर 2 से 4 सैलानी ही दिखे, ऐसे में अधिकांश समय इन जगहों पर गर्मी की वजह से सन्नाटा पसरा रहा।
बांध में तेजी से घट रही पानी
गंगरेल बांध किनारे के चारों ओर गर्मी की वजह से हरियाली गायब है। बांध में पहले से पानी की मात्रा कम हो गई है। तेज धूप व उमस से बांध के पानी का वाष्पीकरण बढ़ गया है। समय से पहले अधिक गर्मी पडऩे की वजह से ज्यादातर सैलानी गर्मी को देखते हुए घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं। बांध में पर्यटकों के नहीं आने से फुटकर व्यवसायियों में मायूसी है।
स्कूलों में छुट्टी फिर भी पर्यटक नहीं
इस साल पड़ रही भीषण गर्मी के असर से लोग गंगरेल जलाशय सहित जिले के अन्य पर्यटन स्थलों तक नहीं पहुंच रहे हैं। इन दिनों स्कूली छात्र-छात्राओं की गर्मी की छुट्टी चल रही हैं। इसके बाद भी गर्मी के कारण बच्चों के साथ पालक यहां घूमने नहीं आ रहे। इक्का-दुक्का लोग आसपास से सुबह के समय जरूर पहुंचते हैं, लेकिन जैसी भीड़ यहां दिखाई देनी चाहिए वैसे दिखाई नहीं पड़ रही।
इन जिलों से खूब आते हैं पर्यटक
तापमान में गिरावट आने के बाद ही पर्यटकों की चहल-पहल बढ़ेगी। प्रदेश के रायपुर, कांकेर, भिलाई, दुर्ग, बलौदाबाजार समेत कई जगहों से सैलानी गंगरेल बांध को देखने के लिए पहुंचते हैं।
गंगरेल बांध बनाता है छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा
महानदी नदी के पार पर बनाया यह छत्तीसगढ़ का सबसे लंबा बांध है, इसकी सुन्दरता को देखने लोग दूर-दूर से यहां आते हैं। यह बांध पूरे सालभर सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराती है, जिससे इसके आस-पास के क्षेत्रों में धान की पैदावार अधिक मात्रा में होती है। इसी वजह से छत्तीसगढ़ धान का कटोरा कहलाता है। यहां के मैदानी क्षेत्र के किसान प्रति वर्ष दो से तीन फसलों का उत्पादन कर लेते हैं। करीब 1830 मीटर लंबा व 100 फीट ऊंची इस बांध के पानी से करीब 57000 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की जाती है। इसके अलावा भी यह भिलाई स्टील प्लांट और नई राजधानी रायपुर को भी पानी उपलब्ध कराती है। बांध में 10 मेगावॉट की हाइड्रो-इलेक्ट्रिक पावर प्लांट भी काम कर रही है।


