दन्तेवाड़ा
दक्षिण भारतीय परंपरा से महक उठा मंदिर परिसर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बचेली, 25 नवंबर। नगर के अयप्पा मंदिर में मलयालम समाज स्वामी अयप्पा सेवा समिति द्वारा संचालित 41 दिवसीय मंडल व्रत पूजा इस वर्ष भी पूरी भक्ति और परंपरा के साथ जारी है।
17 नवंबर से आरंभ हुई पूजा का सोमवार को 8वां दिन पूर्ण हुआ, जिसमें स्थानीय सहित आसपास के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए।
पूजा समिति द्वारा जानकारी दी गई कि केरल से पधारे पंडित श्री वासुदेवन पोथी पिछले लगातार 21 वर्षों से बचेली में आकर विधि-विधानपूर्वक पूजा संपन्न करा रहे हैं। गूंजती मंत्रध्वनि और पवित्र परंपराएं मंदिर परिसर को दिव्यता से भर देती हैं।
अयप्पा मंदिर का इतिहास भी विशेष महत्व रखता है। 8 फरवरी 1987 को भगवान अयप्पा की स्थापना तंत्री श्री नारायण नंभूतिरि द्वारा की गई थी, तभी से यह मंदिर दक्षिण भारतीय परंपरा का अनमोल केंद्र बना हुआ है।
समिति ने बताया कि इस वर्ष 14 दिसंबर को भव्य महाभंडारा का आयोजन किया जाएगा, जिसमें बड़ी संख्या में भक्तों के शामिल होने की संभावना है। वहीं मंडला पूजा 27 दिसंबर तक चलेगी, जिसके बाद मंदिर 10 जनवरी से 14 जनवरी 2026 तक मकर संक्रांति के अवसर पर पुन: खुलेगा। इसके बाद मंदिर के पट वर्षभर के लिए बंद हो जाएंगे। शाम की पूजा उपरांत भक्तों को चावल, गुड़, मिश्री और नारियल से बना पारंपरिक प्रसाद वितरित किया जाता है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस अवधि में पूजा करने से शनि दोष का निवारण होता है। इसी वजह से बड़ी संख्या में श्रद्धालु शनि दोष निवारण हेतु विशेष पूजा-अर्चना करा रहे हैं। मंदिर परिसर इन दिनों भक्ति, आस्था और दक्षिण भारतीय परंपराओं की अद्भुत छटा बिखेर रहा है, जहां हर दिन बढ़ती भीड़ अयप्पा स्वामी के प्रति लोगों की अटूट श्रद्धा को दर्शाती है।


