‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 1 फरवरी। जिले के 43 आंगनबाड़ी केन्द्रों के भवन खस्ताहाल हो चुके हैं। 7 परियोजना क्षेत्रों के अंतर्गत आने वाले प्रभावित आंगनबाड़ी केन्द्रों का संचालन वर्तमान में उधार के भवनों में किया जा रहा है।
जानकारी हो कि जिले में आंगनबाड़ी भवन निर्माण के लिए भारी भरकम बजट जारी किए जाने के बावजूद चारों विकासखंड़ों में 43 आंगनबाड़ी केन्द्रों के भवन जर्जर हो चुके हैं। नए भवनों की स्वीकृति मिलने व निर्माणाधीन होने या फिर विवाद की वजह से भवन निर्माण नहीं होने की वजह से हितग्राही बच्चों को छोटे कमरों व जर्जर भवनों में ही पढ़ा जा रहा है। अपेक्षाकृत कम सुविधा होने की वजह से आंगनबाड़ी के कर्मचारियों व बच्चों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
सबसे अधिक जर्जर भवन नवागढ़ परियोजना में मौजूद
जिले के 8 परियोजना कार्यालयों में जर्जर भवन की सबसे अधिक संख्या नवागढ़ परियोजना में है। यहां 14 आंगनबाड़ी केन्द्रों के भवन अतिजर्जर की सूची में हैं, जिनमें मक्खनपुर, गोपालभैना, धोबीभाठाखुर्द, धोबनीकला, कोडिय़ा, रनबोड, मोहतरा, रमपुरा, धनौरा, जैतपुरी, अंधियारखोर, टुरा सेमरिया, कामता व मोतिमपुर। इसी तरह नांदघाट परियोजना में धुरसेना, करमसेन, खेड़ा, मेहना, नांदघाट, अड़ार, केशला, ऐरमशाही, गुंजेरा, साजा परियोजना में ग्राम पेंडीकला, भैसामुड़ा, कुरूद, कंदई, गुडवा, बेमेतरा परियोजना में बैजलपुर, भुरकी, पैासरी, सोनपुरी, सोनपुरी, खिलोरा, खंडसरा परियोजना में मोहतरा, मोतिमपुर, नरी कांपा, बोहारडीह, बेतर व बेरला परियोजना में तेलगा, कुसमी, बांसा, खुडमुड़ा के आंगनबाड़ी भवन जर्जर हालत में हैं।
निर्माण अपूर्ण इसलिए किराए के भवनों में संचालन
नवागढ़ ब्लॉक के ग्राम हाथडाडू में आंगनबाड़ी 2 के लिए मनरेगा के तहत भवन निर्माण के लिए 6 लाख 50 हजार रुपए जारी किए गए हैं। वर्तमान में भवन का निर्माण ही प्रारंभ नहीं हुआ है, जिसकी वजह से केन्द्र का संचालन किराए के भवन में हो रहा है। इसी तरह ग्राम रनबोड़ में आंगनबाड़ी भवन 2008-09 में 2 लाख 25 हजार रुपए की लागत से बनाया गया था। अब भवन अति जर्जर हो चुका है, जिसकी वजह सें केन्द्र का संचालन किराये के भवन में हो रहा है।
नादंल का आंगनबाड़ी केन्द्र अतिजर्जर पर चला रहे
जानकारी के अनुसार ग्राम नांदल के आंगनबाड़ी केन्द्र क्रमांक एक को अतिजर्जर भवन की सूची में शामिल किया गया है। दस्तावेज में उक्त भवन को सामुदायिक केन्द्र में संचालित किया जाना बताया जा रहा है पर वर्तमान में केन्द्र का संचालन जर्जर भवन में ही किया जा रहा है। जानकार मानते हैं कि उक्त भवन के जर्जर होने की वजह से जांच में गिराने के लायक होना बताया गया है। जबकि खतरे के बीच उसी भवन में आंगनबाड़ी का संचालन किया जा रहा है। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा नादंल केन्द्र की भ्रामक जानकारी जनप्रतिनिधियों को उपलब्ध कराने पर जनप्रतिनिधियों ने नाराजगी जाहिर की है।
तालपतरी के सहारे आंगनबाड़ी भवन का संचालन
जिला मुख्यालय से महज 5 किमी दूर ग्राम लोलेसरा में आंगनबाड़ी केन्द्र क्रमांक 3 के लिए नया भवन बनाने के लिए करीब 8 लाख रूपए स्वीकृत किए गए हैं। पंचायत द्वारा स्थल चयन किए जाने के बाद उक्त स्थल पर अतिक्रमण किया गया है। चयनित स्थल से कब्जा हटाने में कोताही बरते जाने के कारण अब तक निर्माण प्रारंभ नहीं हो पाया है। भवन नहीं बन पाने की वजह से वर्तमान में आंगनबाड़ी का संचालन पुराने जर्जर भवन में तालपतरी के नीचे किया जा रहा है। बहरहाल जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित आंगनबाड़ी केन्द्रों की हालत बदतर हो चुकी है।
ग्राम गांगपुर का भवन सामुदायिक भवन में
ग्राम गांगपुर के आंगनबाड़ी भवन के लिए 1997-98 में उत्कर्ष योजना के तहत 4 लाख 50 हजार स्वीकृत किए गए थे। आज 26 साल बाद भी निर्माण पूर्ण नहीं होने की वजह से केन्द्र का संचालन सामुदायिक भवन में हो रहा है। इसी तरह की स्थिति ग्राम धौराभाठा खुर्द के आंगनबाड़ी भवन का है, जहा 14 साल बाद भी निर्माण पूर्ण नहीं किया गया है।
आंकड़े क्या कहते हैं
जिले में आंगनबाड़ी केन्द्रों की संख्या - 1161
जिले में असंचालित आंगनबाड़ी की संख्या - 15
जिले में अति जर्जर भवन वाले आंगनबाड़ी केन्द्र- 43
जिले में अप्रारंभ भवन निर्माण की संख्या - 94
अपूर्ण आंगनबाड़ी भवनों की संख्या - 50
भवनों की स्वीकृति शेष केन्द्रों की संख्या - 100
जिले में भवन विहिन आंगनबाड़ी केन्द्रों की संख्या - 275