रायपुर, 25 अगस्त। ‘‘अपने जीवन को बहुत आनंद से जिएं और जीवन को बहुत मेहनत और लगन से जिओ, कोई भी कार्य लगातार और लगन के साथ लगा रहे तो आदमी जरूर सफल हो जाता है। अगर कोई भी आदमी लगातार एक हजार दिन अपने कार्य में लगा रहे तो चाहे उसका भाग्य साथ दे या न दे वह जरूर सफल होता ही है।
कोई गरीब के घर पैदा हुआ आदमी देश का राष्ट्रपति बन सकता है, आदमी ठान ले और ना बन पाए ऐसा हो ही नहीं सकता। चैलेंज दो अपने-आपको कि मैं क्या नहीं बन सकता। इस दुनिया में आज जितने प्रभावी लोग हैं वे सब अभाव में पैदा हुए थे।
जिन्होंने भी हिम्मत और विश्वास रख कर मेहनत की वे कामयाब जरूर हुए। यह तय मानकर चलना इंसान का भाग्य साथ दे या न दो पर उसकी मेहनत परिणाम जरूर देती है। जिस दिन आदमी की अंतर से सोच, प्रज्ञा-मानसिकता जाग जाती है वह असंभव को भी संभव करने में सक्षम हो जाता है।
जीवन को हम श्रेष्ठतम जिएं, अपने पारिवारिक प्रेम के प्रति हमेशा जागरुक रहें और अपने धर्म, अध्यात्म, अपनी नैतिकता-पवित्रता से कभी अपने-आपसे दूर न करें। दुनिया में जिएं तो अनासक्त भाव से जिएं। मैं और मेरेपन के भाव से हमेशा अपने-आपको मुक्त रखें।’’
ये प्रेरक उद्गार राष्ट्रसंत श्रीललितप्रभ सागरजी महाराज ने आउटडोर स्टेडियम बूढ़ापारा में जारी दिव्य सत्संग जीने की कला के अंतर्गत अध्यात्म सप्ताह के नवमें व अंतिम दिन मंगलवार को व्यक्त किए। राष्ट्रसंतों की पावन निश्रा में यहां पर्वाधिराज पर्युषण पर्व की आराधना बुधवार, 24 अगस्त से आरंभ होने जा रही है।
जिसके प्रथम दिवस ठीक 8.40 बजे से पर्युषण पर्व का विशेष प्रवचन प्रारंभ हो जाएगा, जिसका विषय होगा- पर्युषण: मिटाए भीतर का प्रदूषण। आठ दिनों के इस पर्वाधिराज पर्युषण पर्व के प्रवचनों का लाइव प्रसारण भी दुनिया के 135 देशों में अरिहंत टीवी के माध्यम से देखा जा सकेगा।
आज मंगलवार को पूरे 45 दिनों की प्रवचनमाला के सार स्वरूप ‘आज की बात: सार की बात’ विषय पर राष्ट:संत श्रीललितप्रभजी महाराज ने श्रद्धालुओं को जीवन जीने की कला के महत्वपूर्ण सूत्र दिए। प्रेरक भावगीत ‘जिएं ऐसा जिएं जो जीवन को महकाए, पंगु भी पर्वत पर चढक़र जीत के गीत सुनाए।
.’ के संगीतमय गायन से धर्मसभा का शुभारंभ करते हुए संतप्रवर ने कहा कि अमीर बनने का हक केवल अमीरों का नहीं है, हर इंसान का है। और तीर्थंकर बनने का हक केवल महावीर और बुद्ध का नहीं है, मेरा भी हक है और आपका भी हक है। बस मिलता उसी को है जो मेहनत करता है। हाथ में लगा मेहंदी का रंग सात दिनों में फीका पड़ जाता है पर हाथ से किया मेहनत का रंग जीवन भर के लिए आदमी को रंग देता है। इतिहास में और वर्तमान में भी ऐसे बहुत से लोग हैं और हुए जो कल तक तो जमीन पर थे, आज वे आसमान की बुलंदियों पर पहुंचे हैं, और केवल डिग्रियों के भरोसे नहीं बल्कि अपने लगातार प्रयास के बल पर। जिंदगी में आगे बढऩे के लिए डिग्रियों की नहीं मानसिकता की जरूरत होती है।
कामयाब आदमी से ईर्ष्या न करें उनसे प्रेरणा लें
संतप्रवर ने आगे कहा कि हर आदमी को आगे बढऩा चाहिए, अमीर लोगों को देखकर ईर्ष्या करने की बजाय उसकी प्रशंसा करनी चाहिए, उससे सीख लेनी चाहिए। किसी की सफलता पर ताली बजाने की बजाय उसका ताल ना बजाएं। यही छोटी मानसिकता हमें जिंदगी में कभी आगे नहीं बढऩे देती क्योंकि सफल हुए व्यक्ति से हम प्रेरणा नहीं लेते, उनसे ईर्ष्या करते हैं। लोग बढ़ते हुए आदमी को देखकर खुश नहीं होते, नेगेट्वि टिप्पणी करते हैं यह उनकी ओछी मानसिकता का परिचायक है।
जीवन हम सफलतापूर्वक जिएं
संतश्री ने बताया कि सफल जीवन के मंत्र यही हैं- मेहनत से कभी जी मत चुराओ। पूरी निष्ठा के साथ मेहनत करो। मेहनत के फल हमेशा मीठे होते हैं। जब लगे कि दो अक्षर का लॅक साथ नहीं दे रहा है, जब लगे ढाई अक्षर का भाग्य भी साथ नहीं दे रहा है, जब लगे तीन अक्षर का नसीब भी साथ नहीं दे रहा और जब लगे साढ़े तीन अक्षर की किस्मत भी साथ नहीं दे रही तब मेरी बात पर भरोसा रखना चार अक्षर की मेहनत शुरू कर देना, ये सबके सब साथ देना शुरू कर देंगे। जीवन का कोई प्रयास बेकार नहीं जाता। जिंदगी के लिए तीन पहलु पर ध्यान देना होगा। नंबर एक- हमारा जीवन श्रेष्ठ हम जिएं, नंबर दो- सफलतापूर्वक हम जिएं, नंबर तीन- अपने पारिवारिक प्रेम के प्रति हम हमेशा जागरुक रहें। परिवार में छोटी-छोटी बातों का भूलकर सब लोग हिल-मिलकर प्रेम से रहें। अगर आप पॉजीटिव वातावरण बनाए रखेंगे तो घर स्वर्ग बन जाएगा। अपने बड़े-बुजुर्गों की, माता-पिता की सेवा सुश्रुषा करें।