रायपुर, 21 सितंबर। पीएम नरेन्द्र मोदी के जन्मदिवस 17 सितम्बर को केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर एक वृहद स्वेच्छिक रक्तदान मुहीम का शुभारंभ किया गया है। यह गत वर्ष इसी दिन किये गये एक दिवसीय वृहद एवं विशेष कोविड -19 टीकाकरण अभियान के समतुल्यहै, जिसमें उस एक दिन में 25 मिलियन लोगों को टीकाकरण किया गया था, जो अपने आप में आज तक का रिकार्ड है। यह रक्तदान आयोजन 1 अक्टूबर तक जारी रहेगा जो प्रतिवर्ष राष्ट्रीय स्वेच्छिक रक्तदान दिवस के रूप में मनाया जाता है।
इस मुहीम को रक्तदान अमृत महोत्सव नाम दिया गया है, जो कि स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूर्व होने पर आयोजित आजादी का अमृत महोत्सव के तर्ज पर होगा। इस प्रयोजन के लिए केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने ई रक्तकोष पोर्टल विकसित किया है, जिसमें स्वेच्छिक रक्तदाता अपनापंजीयन करा सकते हैं । इसके अलावा आरोग्य सेतु ऐप से भी पंजीयन कराये जा सकते हैं, जिसमें शासन ने उपयुक्त परिवर्तन कर रक्तदाता पंजीयन की सुविधा मुहैया कराई है।
साथ ही रक्तदान करने के लिएया खास जरूरतमंद मरीजो को रक्त उपलब्ध करने के लिए सबसे नजदीक के ब्लड बैंक की जानकारियाँ भी इन पोर्टल या ऐप के माध्यम से प्राप्त की जा सकेगी । स्वास्थ्य मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार भारत देश के विभीन्न क्षेत्रो के 4000 से अधिक सरकारीऔर निजी ब्लड बैंकों में 1.5 लाख से अधिक रक्त यूनिटस संग्रह करने की क्षमता है।
वर्तमान में स्वेच्छिक रक्तदान से ही ब्लड बैंक आपूर्ति के लिये रक्त ले पाते है, लेकिन यह देश की कुल मांग से कम है7 सरकारी आकड़ो के अनुसार वर्ष 2021 में जब कोरोना महामारी का प्रकोप अपने चरम पर था तब कुल 14.6 मिलियन यूनिट रक्त की आवश्यकता की तुलना में सभी ब्लड बैंकों में मात्र 12 . 6 मिलियन रक्तही संग्रह किया जा सका।
रक्तदान से संबंधित राष्ट्रीय स्तर के डाटा वेस बनाये जाने की कोशिश है, जिससे रक्तदाता समय-समय पर रक्तदान कर सकें, जिससे रिप्लेसमेंट डोनर्स पर निर्भरता कम करते- करते समाप्त की जा सके।15 दिवसीयइस मुहीम का मकसद है कि जन सामान्य में रक्तदान को प्रति जागरूकता बढ़ाई जाये , इससे संबंधित भ्रांतियांदूर की जाये, संभावित रक्त दाताओं को प्रेरित किया जाये और इसे सामाजिक जिम्मेदारी और गतिविधि के रूप में प्रतिष्ठित किया जाय। ऐसा होने पर सुरक्षित रक्त समुचित मात्रा में आवश्यक्ता अनुसार यथास्थान उपलब्ध होना सुनिश्चित किया जा सके ।
हमारे शरीर में प्रवाहित होने वाले रक्त पर केवल हमारा ही हक नहीं है । यह खुदा की बेशकीमती अमानत है हमारे जिस्म में । हम जितना इसका दान करते हैं औरों के लिये, उतना कुछ ही समय में हमारे शरीर में फिर से बन जाता है । मतलब यह हुआ है कि हम तो केवल जरिया हैं । इसे यूँ भी कह सकते हैं कि यदि हम समय-समय पर रक्तदान न करें तो ये माना जायेगा कि हम अपने रक्त का सही इस्तेमाल करने से चूक रहे हैं । किसी जरूरतमंद मरीज को देने के लिये यह एक बेजोड़ और बेशकीमती तोहफा है जिसका इस्तेमाल आप बार-बार कर सकते हैं ।
कोई भी व्यक्ति, जो 18-65 वर्ष की उम्र का हो, चाहे महिला हो या पुरुष, यदि सामान्यत: स्वस्थ हो, तो बेझिझक रक्तदान कर सकता है । एक स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में औसतन 5000 मि.ली. ख़ून होता है । रक्तदान के समय इसमें से मात्र 350 मि.ली- (यूनिट)ही निकाला जाता है । इतनी कम मात्रा में ख़ून निकालने से रक्तदाता को लेशमात्र भी परेशानी नहीं होती है । रक्तदान में मात्र 5 से 10 मिनट का समय लगता है और इसके पश्चात् व्यक्ति अपने सभी नियमित कार्य यथावत कर सकता है । उसे न तो किसी तरह के अतिरिक्त पौष्टिक आहार की जरूरत होती है न ही विशेष व्यायाम या आराम की । प्रतिक्रिया स्वरूप हमारा शरीर दिये गये रक्त का पुर्ननिर्माण मात्र 3 दिनों में(अक्सर 24 घण्टों में)ही कर लेता है । शरीर से थोड़ी मात्रा में रक्त निकालने से हमारे अस्थियों में स्थित लाल अस्थिमज्जा (जहाँ सामान्यत:रक्त का निर्माण होता है)को एक उत्प्रेरणा मिलती है और वह शरीर से निकाले गये रक्त की क्षतिपूर्ति स्वयं ही कर लेता है ।अत: जितना ख़ून रक्तदान में दिया जाता है, इसकी भरपाई नये ताजे ख़ून से अपने आप ही हो जाती है।दूसरे शब्दों में यूँ कहें कि बिना कुछ दिये ही हम किसी की जान बचा सकते हैं। सिर्फ रगों में बहने के कायल नहीं हैं हम, जो औरों के काम आये लहू उसे कहते हैं।
जिस मरीज को रक्त की आवश्यकता है, उसके लिये आपका रक्त अमूल्य उपहार है । रक्त आपके हृदय का हिस्सा होता है, जिसे देकर आप इस बात की खुशी पा सकते हैं, जैसे आपके हृदय का कोई हिस्सा मरीज का बनकर उसे नई जि़ंदगी दे रहा है । रक्त, आज भी ऐसी वस्तु है, जिसे किसी अन्य स्त्रोतों से नहीं प्राप्त किया जा सकता, इसे न तो कारखाने में बनाया जा सकता है और नही खेतों में उगाया । आपका ख़ून मात्र ही मरीज के ख़ून का विकल्प हो सकताहै । यकीन जानिये, रक्तदान से आपको वह ज़हनी सुकून मिलगा, जिसे आप कहीं और से प्राप्त नहीं कर सकते । बस एक सुई की चुभन का दर्द सहने की इच्छाशक्ति हो तो आप किसी की जान बचा सकते हैं । आईये संकल्प लें, कि किसी भी मरीज की मौत ख़ून ने मिलने के कारण नहीं होने देंगे।