कार्रवाई के लिए ग्रामीण काट रहे दफ्तरों के चक्कर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 5 जून। कोरोनाकाल में जिले के सैकड़ों लोग ऑक्सीजन बेड के लिए भटकते दिखे। जिले में 100 से अधिक लोगों की मौत सिर्फ इसलिए हो गई क्योंकि उन्हें समय पर ऑक्सीजन नहीं मिली और जान गंवानी पड़ी। इनके परिजनों को तो ऑक्सीजन की कीमत समझ में आ गई, लेकिन अभी भी वनक्षेत्रों, ग्रामीण अंचल में अंधाधुंध पेड़ कटाई हो रही है।
जिला मुख्यालय के पास ही सोनबरसा और खैरवारडीह जंगल से आसपास के ग्रामीण पेड़ काटकर लकडिय़ां ले जाते आसानी से देखे जा सकते हैं। रीवासरार जंगल के रखवाले ग्रामीण आज भी करीब 40 लाख से अधिक कीमत के पेड़ काटने वालों के खिलाफ न्याय मांगने से 2005 से दफ्तर दर दफ्तर चक्कर लगा रहे हैं पर सुनवाई नहीं हो रही है। जिले का 875.27 हेक्टेयर वनक्षेत्र है, जिसमें कसडोल तहसील सबसे में अधिक वन हैं। इसी ब्लॉक के रीवासरार गांव में पेड़ों की अवैध कटाई का मामला सामने आया है।
गांव में लगे बड़े-बड़े पेड़ों की सालों से अवैध कटाई की जा रही है। हैरानी बात है कि गांव के लोग 2005 से इसकी शिकायत कलेक्टर, एसडीएम, एसडीओ, मंत्री तक से कर चुके हैं। मगर 16 साल में अवैध कटाई पर रोक लगाना तो दूर आज तक कोई भी अधिकारी इस क्षेत्र में देखने तक नहीं पहुंचा। यहां के ईंट भट्टा संचालकों ने 30 से 40 लाख रुपए कीमत के पेड़ काट-काटकर ईंट की भ_ियों में झोंक दिए। पारस पांडेय, शत्रुहन धु्रव, बैजूराम, फिरतू, सेवकराम, गिरधारी, सुकालूराम, रोहित कुमार, रामकिशन, कली, सहदेव, छोटूराम ये रीवासरार के ग्रामीणों के नाम हैं, जो हरियाली को बचाने व गुनाहगारों को उनके किए की सजा दिलाने के लिए 2005 से सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं।
जानकारी में नहीं-डीएफओ
डीएफओ के आर बढ़ई ने कहा कि रीवासरार का मामला संज्ञान में नहीं हैं। अगर हमारे अधिकार क्षेत्र का मामला होगा तो हम कार्रवाई करेंगे, अगर राजस्व विभाग का अधिकार क्षेेत्र होगा तो वह कार्रवाई करेगा।
सडक़ चौड़ी करने भी दी थी हजारों पेड़ों की बलि
2016-17 में जब सडक़ निर्माण का कार्य चल रहा था, उस दौरान 11386 पेड़ों की बलि चढ़ा दी गई। सिर्फ बलौदाबाजार से लवन, कसडोल, बलौदाबाजार-रायपुर व बलौदाबाजार से भाटापारा मार्ग पर ही चौड़ीकरण के दौरान इस मार्ग के 3 हजार से अधिक पेड़ काट दिए गए जिसके एवज में उतने ही पौधे ठेकेदार को रोपित करना था। सडक़ बन जाने के करीब 4 वर्ष बाद सडक़ किनारे अवांछित बबूल के कांटेदार वृक्षों के अतिरिक्त कोई भी फलदार या छायादार वृक्ष दिखाई नहीं देता है।
6 लाख से अधिक पौधे रोपने का दावा पर सच्चाई कोसों दूर
बलौदाबाजार जिले का कुल क्षेत्रफल 4748.44 वर्ग किमी है, जिसमें करीब 1185 वर्ग किमी वनमंडल का रकबा है। मगर पेड़ों की अंधाधुंध कटाई व विभाग की उदासीनता के चलते वृक्षों की संख्या लगातार कम हो रही है। 2020-21 में विभागीय, कैंपा क्षतिपूर्ति वनीकरण, रेल कॉरीडोर, औषधि रोपण, अतिक्रमण व्यवस्थापन के बदले पौधारोपण तथा मनरेगा राम वनगमन पथ रोपण जैसी योजनाओं के तहत कोरोड़ों खर्च कर कुल 685 हेक्टेयर में 6 लाख, 85329 पौधे लगाए गए, लेकिन धरातल पर उतने पौधे दिखाई नहीं पड़ते।