‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 16 अप्रैल। छत्तीसगढ़ राज्य में दिवंगत शासकीय सेवकों के आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति प्रदान किए जाने के नियमावली में समय-समय पर परिवर्तन हुआ है। वर्तमान नियम श्री भूपेश बघेल के कांग्रेस सरकार में बनाए गए थे, जिसके कारण दिवंगत परिवार के सदस्य भटकने के लिए मजबूर है। जब कांग्रेस की सब नीतियों को गलत मानकर सत्ता प्राप्त किया तथा उन गलत नीतियों को निरस्त कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में इसलिए तत्काल कांग्रेस सरकार के कलंक को दूर करते हुए तृतीय श्रेणी में 10 प्रतिशत सीमा बंधन को तत्काल समाप्त किए जाने की मांग मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से की गई है। कर्मचारी नेता विजय कुमार झा ने बताया है कि 10 प्रतिशत सीमा बंधन के कारण सभी विभागों में सहायक ग्रेड 3 के पद रिक्त होने के बाद भी दिवंगत आश्रित सदस्य अनुकंपा नियुक्ति से वंचित है।
भेदभाव की पराकाष्ठा तब परिलक्षित होती है जब मंत्रालय में लिपिक के पद पर संविदा नियुक्ति दी जा रही है। वहीं मैदानी स्तर जिलों और संभाग में 10त्न सीमा बंधन के कारण लिपिक का पद रिक्त ना होने के आधार पर पटवारी अथवा चतुर्थ श्रेणी के पद पर अनुकंपा नियुक्ति की जा रही है। सैकड़ो लोग प्रदेश में पटवारी के पद पर अनुकंपा नियुक्ति प्राप्त करने के बाद भी प्रशिक्षण का अड़ंगा होने के कारण आदेश लिए केवल घूम रहे हैं। जबकि अनुकंपा नियुक्ति में लिपिक बनने पर कोई प्रशिक्षण की आवश्यकता नहीं थी।
प्रदेश में लिपिक, वाहन चालक के पद पर योग्यता अनुरूप तत्काल सहायता, संवेदना के रूप में अनुकंपा नियुक्ति प्रदान करने के लिए सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा कांग्रेस सरकार में जारी में निर्देश को विलोपित कर तृतीय श्रेणी के पदों पर 10त्न का सीमा बंधन, चतुर्थ श्रेणी के पद पर सीमा मुक्त नियुक्ति के भांति किए जाने की मांग की गई है। श्री झा ने कहा है कि ऐसा न होने पर पीडि़त परिवार तहसील,जिला, संभाग, मंत्रालय के कार्यालयों का चक्कर काट रहा है। उसके चप्पल जूते धीस जा रहे हैं। दिवंगत कर्मचारी का परिवार सडक़ में आ गया है।
कल मंत्री परिषद की बैठक में इस बिंदु पर चर्चा कर निर्णय लिया जाना चाहिए।