‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 19 मार्च। हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद भिलाई के भाजपा पार्षद संतोष उर्फ जलंधर सिंह को पुलिस ने एक पुराने मामले में फिर से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। वे जमानत लेने आए थे, लेकिन पुलिस ने एक पुराने केस का हवाला देते हुए गिरफ्तार कर लिया। इस पर हाईकोर्ट ने इस पर नाराजगी जताते हुए धारा 482 के तहत सुनवाई की और पार्षद को 24 घंटे के भीतर जेल से रिहा करने का आदेश दिया।
भिलाई के वैशाली नगर थाने में 21 मार्च 2023 को एन. धनराजू और अरविंद भाई के खिलाफ आईपीसी की धारा 420 और 34 के तहत मामला दर्ज किया गया था। इस केस को एन. धनराजू ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। इसी मामले में भाजपा पार्षद संतोष सिंह को भी आरोपी बनाया गया था। 29 जनवरी 2025 को हाईकोर्ट ने डीजीपी और दुर्ग एसपी से पूछा कि अब तक जांच पूरी क्यों नहीं हुई। अदालत ने दुर्ग एसपी के निजी हलफनामे को खारिज कर असंतोष जाहिर किया और डीजीपी से हलफनामा मांगा। 21 फरवरी 2025 को डीजीपी ने हलफनामा दायर कर बताया कि जांच में देरी के लिए जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई की जा रही है। इसके बाद हाईकोर्ट ने जांच को 6 हफ्तों में पूरा करने का निर्देश देते हुए याचिका खारिज कर दी। हाईकोर्ट ने संतोष सिंह को अग्रिम जमानत दे दी थी। बावजूद इसके, जब वे 3 मार्च को जमानत बॉन्ड के लिए वैशाली नगर थाना पहुंचे, तो थाना प्रभारी अमित अंदानी ने उन्हें एक पुराने केस के आधार पर गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इस पर पार्षद ने वकील बी.पी. सिंह के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की। याचिका में वकील ने तर्क दिया कि जिस मामले में संतोष सिंह को गिरफ्तार किया गया, वह 2017 का है और इसमें 8 साल बाद आरोप लगाया जा रहा है।
साथ ही, जांच में गड़बड़ी करने वाले अधिकारी ने ही उन पर यह आरोप लगाया है, जिसे डीजीपी पहले ही दंडित कर चुके हैं। वकील ने यह भी कहा कि अवैध आरोपों के आधार पर किसी को जेल में रखना गलत है और आरोपी को तुरंत रिहा किया जाना चाहिए।मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति रविंद्र कुमार अग्रवाल की खंडपीठ ने सुनवाई के बाद पार्षद संतोष सिंह उर्फ जलंधर को 24 घंटे के भीतर रिहा करने का आदेश दिया है।