महासमुन्द

बिजली और न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी को लेकर देश में बड़े आंदोलन की जरूरत-टिकैत
19-Mar-2025 2:57 PM
बिजली और न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी को लेकर देश में बड़े आंदोलन की जरूरत-टिकैत

कहा-किसानों के लिए बिजली संकट बड़ा सवाल है, कोई भी किसान स्मार्ट मीटर से खेती नहीं कर सकता  

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद,19 मार्च।
जिला पंचायत सदस्य जागेश्वर जुगनू चंद्राकर के निवास में कल शाम आयोजित पत्रकारवार्ता को संबोधित करते हुए भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि देश में सबसे बड़ा सवाल न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी है। इसी तरह बिजली संकट भी बड़ा सवाल है। कोई भी किसान स्मार्ट मीटर से खेती नहीं कर सकता। सरकार बिजली को प्राइवेट करना चाह रही है जिसका विरोध किया जाएगा। देश में दो स्थानों पर प्राइवेट में बिजली है जिसके नतीजे अच्छे नहीं रहे। 

श्री टिकैत ने बताया कि आगरा में ताजमहल के नाम पर प्राइवेट कंपनी को बिजली दिया गया है. वहां किसानों की हालत ठीक नहीं है। इसी तरह एक और स्थान है जहां प्राइवेट कंपनी के कारण बिजली का खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि किसान संगठन को मजबूत करने छग पहुंचे हंै और जगह-जगह एमएसपी को लेकर पंचायतें हो रही हंै।

पूरे देश में इस मुद्दे को लेकर एक बड़े आंदोलन की जरूरत है। न्यूनतम समर्थन मूल्य पर जो 23.24 फसलें है उसे खरीदने के लिए कानूनी हक चाहिए। कुछ फसलों का तो किसानों को सही दाम मिल जाता है किंतु आज भी अधिकांश ऐसे फसलें है जिनको समर्थन मूल्य नही मिल पाता। 

उन्होंने कहा कि बिहार, ओडिशा में तो हालत खराब है। बिहार ऐसा प्रदेश है जहां धान 8 से 12 सौ क्विटल में धान खरीदा जा रहा है। छग में जो इनसेंटिव दिया जा रहा है उसमें 40 प्रतिशत व्यपारी किसानों के नाम पर लाभ ले रहे हैं। किसान संगठनों की एकजुटता पर पूछे गए सवालों के जवाब में उन्होंने कहा कि संयुक्त किसान यूनियन बना हुआ है। इसमें कोई भी संगठन किसानों का शामिल हो सकता है। झंडा, भाषा, नाम सभी उनका रहेगा बर्शेत वे किसान हो।

उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि वन नेशन वन इलेक्शन की बात करते हंै लेकिन वही सरकार वन हेल्थ वन एजुकेशन की बात नहीं करता। जमीन भी बहुत बड़ा मुद्दा इस देश में है। पूंजीवाद तेजी से बढ़ रहा है। पैसे वाले जमीन खरीदकर निजीकरण को बढ़ावा दे रहे हंै। 

यदि इसका विरोध नहीं हुआ तो एक दिन ऐसा आएगा कि इस देश से सप्ताहिक बाजार जिसमें हजारों लाखों लोगों को रोजगार मिला हुआ है बंद हो जाएगा। इसलिए इस पर सरकार को ध्यान देने की जरूरत है।

बिजली की कमी से किसान आत्महत्या करने मजबूर
टिकैत बोले-बिजली की कमी से किसान आत्महत्या करने को मजबूर हैं। मैंने आत्महत्या करनेवाले किसान के खेत का अवलोकन किया है। उनके खेत सूखे हैं। मैंने गौरैया गांव में किसानों की समस्याओं को लेकर किसान महापंचायत की है। उसी तर्ज पर सरकार से किसानों के लिए ऋण माफी की मांग करता हूं। लो वोल्टेज की समस्या को गंभीर है। बिजली की कमी से किसान आत्महत्या करने को मजबूर हैं। धान के अलावा अन्य फसलों का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है। बिजली अमेंडमेंट बिल को लेकर चिंता है। सरकार खेतों में मीटर लगाने की तैयारी कर रही है। 

स्मार्ट मीटर और बिजली के निजीकरण से किसानों को नुकसान होगा। सब्सिडी मिलने पर ही खेतों तक पानी पहुंच पाएगा। यहां भी 2013 के कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
किसानों की जमीन छीनने का षड्यंत्र रचा जा रहा है। बड़े उद्योगपतियों का कर्ज माफ  हो सकता है तो किसानों का क्यों नहीं। कर्ज से मुक्ति के लिए किसान साहूकारों से कर्ज ले रहे हैं।
 

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