गरियाबंद

प्रशासन और नागरिकों की सहभागिता से जिले में भू जल स्तर को बढ़ाया जा सकता है-कलेक्टर
18-Mar-2025 3:36 PM
प्रशासन और नागरिकों की सहभागिता से जिले में भू जल स्तर को बढ़ाया जा सकता है-कलेक्टर

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

गरियाबंद, 18 मार्च।  कलेक्टर दीपक कुमार अग्रवाल की अध्यक्षता मेंसोमवार को  जिला पंचायत के सभाकक्ष में स्थानीय स्तर पर भू-जल प्रबंधन एवं संरक्षण के तहत तृतीय स्तरीय प्रशिक्षण एवं जल संवाद कार्यशाला का एक दिवसीय आयोजन किया गया। कार्यशाला में केन्द्रीय भूमि जल बोर्ड रायपुर के क्षेत्रीय निदेशक डॉ प्रवीर कुमार नायक, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री जी.आर. मरकाम प्रमुख रूप से मौजूदगी में एक दिवसीय भू जल प्रबंधन एवं संरक्षण पर एक दिवसीय कार्यशाला सम्पन्न  हुआ।

 अतिथियों ने जल कलश में जल डालकर कार्यक्रम की शुरुआत की। इस दौरान कलेक्टर ने अधिकारी-कर्मचारियों को पानी बचाने और उसके विवेकपूर्ण उपयोग करने, पानी की हर बूंद का संचयन करने की शपथ दिलाई। इसके पश्चात जल संरक्षण और भू-जल प्रबंधन के बारे में पीपीटी के माध्यम से विस्तार से जानकारी दी गई।

कलेक्टर श्री अग्रवाल ने कहा कि जिले में भू-जल स्तर के नीचे चले जाने की वजह से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। इसके लिए ना केवल जिला प्रशासन बल्कि आम नागरिकों को भी अपनी सहभागिता निभानी होगी। उन्होंने बताया कि पंचायत स्तर पर पानी की कमी को दूर करने के लिए स्थल चिन्हांकन कर जल संरक्षण आज की आवश्यकता है। वहीं रैन वाटर हार्वेस्टिंग, वॉटर रिचार्ज स्ट्रक्चर, नाले, तालाब इत्यादि तैयार कर भी पानी की बचत की जा सकती है। इसके लिए जल संसाधन, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, कृषि, वन, सहित संबंधित विभागों और पंचायत व नगरीय निकायों को सजग होकर कार्य करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भू-जल स्तर बनाए रखने के लिए व्यापक स्तर पर सहभागिता निभाना पड़ेगा, जिससे जल स्तर बेहतर हो सके। उन्होंने कहा कि शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में वाटर स्ट्रक्चर बनाने के लिए सही स्थल चिन्हांकित किया जाए। साथ ही आम नागरिकों, कृषकों को जोडक़र जल संरक्षण के लिए और अधिक जागरूक करने की जरूरत है। उन्होंने सभी विभागीय अधिकारियों को बेहतर कार्ययोजना बनाकर जल संरक्षण एवं संवर्धन की दिशा में कार्ययोजना तैयार करने को कहा।

उन्होंने कहा कि किसानों को रबी सीजन में धान के बदले अन्य फसल लेना चाहिए, ताकि जल स्त्रोतों से पानी का दोहन अधिक न हो।

इसके लिए कृषि एवं समवर्गीय विभाग को धान व अन्य फसल के बारे में तुलनात्मक जानकारी देने की जरूरत है, ताकि किसान अन्य फसल लेने के लिए प्रेरित हो सके। उन्होंने कहा कि पंचायतों में वाटर हार्वेस्टिंग लगाने के लिए सही जगहों को चिन्हांकन करे, जिससे कि वाटर हार्वेस्टिंग का उपयोग बेहतर हो सके। इस दौरान जनपद पंचायत के सीईओ को निर्देशित किया कि नलकूप के माध्यम से जिन गांवों के तालाबों में पानी भरने का कार्य किया जा रहा है। ऐसे गांव की सूची एक सप्ताह के भीतर उपलब्ध कराये। इस दौरान क्षेत्रीय निदेशक डॉ प्रवीर कुमार नायक ने कहा कि छत्तीसगढ़ में धान की खेती सबसे अधिक होती है। जिससे जल की खपत 80 प्रतिशत तक हो जाती है। पानी की अनियमितता से भू-जल स्त्रोत में कमी हो रही है। जल संरक्षण के लिए हमें सामूहिक इच्छाशक्ति और समन्वित प्रयासों से परिवर्तनकारी बदलाव लाया जा सकता है।

इस अवसर पर कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. मनीष चौरसिया ने कहा कि किसानों को श्री पद्धति से धान की खेती करना चाहिए, इससे पानी की बचत होती है और पैदावार भी अच्छी होती है। खेत में एक-दो इंच पानी रहने से भी अच्छे से खेती की जा सकती है। इस पद्धति से खेती करने से धान में बीमारी भी नहीं लगती। इस अवसर पर जल संसाधन विभाग के कार्यपालन अभियंता श्री एसके बर्मन, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के कार्यपालन अभियंता श्री विप्लव घृतलहरे, कृषि विभाग के उप संचालक श्री चंदन रॉय, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. गार्गी यदु पाल, समस्त जनपद सीईओ सहित संबंधित अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित थे।

अन्य पोस्ट

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news