महासमुन्द

लोकसभा में सांसद रूपकुमारी ने उठाई आवाज : अवैध रेत खनन की शिकायतों-प्रदर्शनों के बाद भी राज्य सरकार कार्रवाई नहीं कर रहीं
13-Mar-2025 2:26 PM
लोकसभा में सांसद रूपकुमारी ने उठाई आवाज : अवैध रेत खनन की शिकायतों-प्रदर्शनों के बाद भी राज्य सरकार कार्रवाई नहीं कर रहीं

नदी का प्रवाह बाधित हो रहा यह पारिस्थितिकी तंत्र पर खतरा है  

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता​

महासमुंद,13 मार्च। लोकसभा में सांसद रूप कुमारी चौधरी ने महानदी में बढ़ते अवैध रेत खनन का मामला उठाते हुए सरकार से कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

उन्होंने कहा कि महानदी केवल छत्तीसगढ़ और ओडि़शा ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए एक महत्वपूर्ण नदी है। जो लाखों लोगों की आजीविका और पर्यावरण संतुलन का आधार है। लेकिन हाल के वर्षों में इस नदी के किनारे अवैध रेत खनन की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। जिससे इसका पारिस्थितिकी तंत्र खतरे में पड़ गया है।

 सांसद श्रीमती चौधरी ने शून्यकाल के दौरान कहा कि नदी न केवल इन राज्यों के लाखों लोगों के जीवन का आधार है, बल्कि यहां के पारिस्थितिक ी तंत्र का भी महत्वपूर्ण हिस्सा है। महानदी पर निर्भर कृषि क्षेत्र और आबादी का आकार बहुत बड़ा है। लगभग 11 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ महानदी का जलग्रहण क्षेत्र, लाखों किसानों की कृषि आय का मुख्य स्रोत है। इस नदी के पानी पर लगभग 70 लाख लोगों का जीवन.यापन निर्भर हैं। जिसमें प्रमुख रूप से जल आपूर्ति, सिंचाई, मछली पालन और जल परिवहन शामिल हैं।

     लेकिन अवैध खनन की वजह से नदी के जल स्तर में गिरावट आ रही है। जिससे फसलें प्रभावित हो रही हैं। नदी का प्रवाह बाधित होने से मछली पालन पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। जिससे हजारों परिवारों की आजीविका पर खतरा मंडरा रहा है। सांसद श्रीमती चौधरी ने सरकार से यह स्पष्ट करने की मांग की कि क्या सरकार को इस मुद्दे पर किसी प्रकार की शिकायत प्राप्त हुई है? यदि हां, तो उन शिकायतों पर अब तक क्या कार्रवाई की गई? क्या सरकार इस अवैध रेत खनन पर नियंत्रण के लिए प्रभावी कदम उठाने की योजना बना रही है? ताकि महानदी के पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित किया कि जा सके? और इसके जल स्रोतों,तथा स्थानीय समुदायों को सुरक्षित रखा जा सके? क्या सरकार महानदी के अस्तित्व को बचाने के नि लिए ठोस प्रयास कर रही है? या यह केवल खानापूर्ति तक सीमित है?

सांसद श्रीमती चौधरी ने छत्तीसगढ़ को बताया कि विशेषज्ञों का मानना है कि नदी के किनारे अनियंत्रित रेत खनन से पर्यावरणीय असंतुलन उत्पन्न हो रहा है। इससे नदी के किनारों का क्षरण हो रहा है। जिससे बाढ़ और सूखे की समस्या गहराती जा रही है। अगर समय रहते इस पर रोक नहीं लगाई गई तो भविष्य में जल संकट और जैव विविधता पर संकट की स्थिति निर्मित हो सकेगी। महानदी से जुड़े इलाकों में रहने वाले लोगों में इस अवैध खनन को लेकर गहरा आक्रोश है। स्थानीय निवासियों और किसान संगठनों ने कई बार विरोध प्रदर्शन कर सरकार से इस मुद्दे पर ध्यान देनें की अपील की है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी है।

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