‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 14 फरवरी। महासमुंद जिले के 8566 किसानों को धान खरीदी तारीख के 26 दिनों बाद भी भुगतान नहीं हो पाया है। फलस्वरूप धान विक्रय के बाद किसानों को भुगतान के लिये सहकारी बैंकों के चक्कर काटने के लिये मजबूर होना पड़ रहा है। हालांकि अब किसानों का ग्रीष्मकाल फसल को लेकर तैयारियां शुरू हो चुकी है। फलस्वरूप किसानों को अभी कृषि तैयारियों के लिये रुपए की आवश्यकता है। ऐसे में बिना रुपए के किसान कृषि कार्यों को नहीं कर पा रहे हैं।
जिला सहकारी बैंक से मिली जानकारी के अनुसार आज की स्थिति में 1 लाख 53 हजार किसानों को 25 सौ करोड़ 39 लाख का भुगतान हो चुका है। जबकि 1 लाख 53 हजार किसानों ने धान बेचा था। आज की स्थिति में 8566 किसानों का भुगतान अब भी अटका है। हालंाकि हाल ही में शासन ने प्रति किसान 8 सौ रुपए डिफरेंस की राशि किसानों के खातों में डाल दी है। अत: अब सहकारी बैंकों में रोजाना डिफरेंस अमाउंट निकालने के लिये किसानों की भीड़ लग रही है।
किसानों के अनुसार फिलहाल अधिकांश किसान रबी फसल में धान लगाए हैं। पौधों को अभी खाद की आवश्यकता है। अब खाद डालने के लिए पैसे नहीं है। बैंक जाने पर खाते में पैसे नहीं आने की बात कहकर लौटा दिया जाता है। इसको लेकर किसान परेशान हैं। ग्राम आमाकोनी के एक किसान ने बताया कि निवासी हीरामन कंवर ने उसने 27 जनवरी को धान बेचा था। अब तक राशि उनके खाते में नहीं आई है। बेटा-बेटी की सगाई है।
ऐसे में रिश्तेदारों से उधार मांगने की नौबत आ गई है। इसी तरह की स्थिति अधिकांश किसानों की बनी हुई है। जिले के मामा-भांचा सोसायटी के किसान ने बताया कि उसने 21 जनवरी को धान बेचा और अब तक उसके खाते में पैसा नहीं आया है। रबी फसल के लिए खाद खरीदने में काफी परेशानी हो रही है। अब तक बोनस नहीं मिली है। अनेक किसान पूर्व में उधार लेकर कार्य किया था लेकिनए अब उन्हें रुपए चुकाने के लिए भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।