‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
नगरी, 28 नवंबर। सर्व आदिवासी समाज तहसील शाखा नगरी ने 26 नवम्बर को संविधान दिवस मनाया। सर्व आदिवासी भवन गुढिय़ारी तालाब के पास नगरी में आयोजित इस कार्यक्रम में संविधान की पुस्तक की पूजा की गई। उपस्थित समाजिकजनों ने पुष्प अर्पित किए। संविधान के निर्माता बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के छायाचित्र पर माल्यार्पण किया गया। संविधान की उद्देशिका का वाचन कर समाजिकजनों ने संविधान की मूल्यों की रक्षा के लिए संकल्प लिया। इस अवसर पर तहसील अध्यक्ष उमेश देव ने कहा कि विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र को एक सुत्र में बांधने वाला हमारा संविधान संज्ञात्मक भी है और एकात्मक भी। भारत का संविधान आदिवासी, दलित, पिछड़ा तथा सर्वहारा वर्ग के जीवन स्तर को ऊपर उठाया है। संविधान की मूल्यों की रक्षा के लिए हमें संकल्पित रहना होगा। हल्बा समाज के तहसील अध्यक्ष आरएल देव ने संविधान सभा के महान नेताओं के बहुमूल्य योगदान को नमन करते हुए कहा कि हमें हमारे संविधान पर गर्व है। इसमें निहित मूल्यों को बचाए रखने के लिए हमें अपनी वचनबद्धता दोहराना होगा।
सर्व आदिवासी समाज के जिला अध्यक्ष प्रमोद कुंजाम ने कहा कि संविधान भारत का सर्वोच्च विधान है जो संविधान सभा द्वारा 26 नवंबर 1949 को पारित हुआ तथा 26 जनवरी 1950 को प्रभावी हुआ। सर्वहारा वर्ग के उत्थान के लिए बनाए गए इस संविधान ने देश के हर तबके के लोगों को समानता का दर्जा प्रदान किया है। आदिवासी ध्रुव गोंड़ समाज के तहसील महासचिव नरेश छेदैहा ने कहा कि भारत का संविधान विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। संविधान लोकतंत्र की आत्मा है भारतीय संविधान हमें हमारे अधिकारों के साथ कर्तव्यों के निर्वहन की सीख भी देता है। सर्व आदिवासी समाज के तहसील उपाध्यक्ष हलधर सार्दुल ने भारत के संविधान को नमन करते हुए कहा कि संविधान न होता तो आज हमारा दलित समाज आज भी उपेक्षित और अभावों के बीच जीवन जीने को हृदय नाग ने कहा कि संविधान में बिरसा मुंडा, भगवान बुद्ध, गांधी फुले की सोच निहित है इसमें भारत का ज्ञान है देश की आत्मा है संविधान की रक्षा करने के लिए हम सबको कृत संकल्पित रहना होगा।
कार्यक्रम का संचालन सुरेश ध्रुव ने किया।
इस अवसर कोषाध्यक्ष उत्तम नेताम,संयुक्त सचिव विष्णु भास्कर,युवा प्रकोष्ठ अध्यक्ष संत नेताम,नगर पंचायत के पूर्व अध्यक्ष ओमी ठाकुर,हेमलाल मरकाम, दलगंजन मरकाम ,पार्षद प्रकाश पुजारी,वेद प्रकाश मांडवी कैलाश मारी संतोष गंगेश के नाग, कैलाश मरई, फुलेश्वरी नेताम, पुष्पा देवी मण्डावी आदि उपस्थित थे।