कारोबार

सिरदर्द बने ऐप को चीन ने किया ब्लॉक
10-Feb-2021 7:08 PM
सिरदर्द बने ऐप को चीन ने किया ब्लॉक

चीन में क्लबहाउस नाम के एक ऐप को सरकार ने आखिरकार ब्लॉक कर दिया है. ऐसा होना ही था क्योंकि इस ऐप पर ऐसी ऐसी बातें हो रही थीं जिन्हें करने की इजाजत चीन में नहीं है.

  (dw.com)

क्लबहाउस एक सोशल मीडिया ऐप है जिसके जरिए चीन के लोग विदेशी लोगों के साथ बेहद संवेदनशील मुद्दों पर बात कर सकते थे. इनमें 1989 में बीजिंग के थिएनानमन चौक पर लोकतंत्र समर्थकों को कुचलने की कार्रवाई, ताइवान और चीन का टकराव और अल्पसंख्यक उइगुर मुसलमानों के शोषण जैसे विषय शामिल हैं.

लेकिन अब यह ऐप भी उन हजारों सोशल मीडिया साइटों और ऐप्स में शामिल हो गया है जिन्हें चीन के लोग नहीं इस्तेमाल कर सकते. चीन की कम्युनिस्ट पार्टी इस बात पर कड़ी नजर रखती है कि देश के लोग इंटरनेट पर क्या देखेंगे और क्या पढ़ेंगे.

अमेरिकी ऑडियो ऐप क्लबहाउस पर एक हफ्ते से चीन से जुड़े विषयों पर एकदम खुली और बेलौस बातचीत हो रही थी. चीनी लोग राजनीति से लेकर समाज तक कई विषयों पर बात कर रहे थे. इनमें ऐसे स्वर भी थे जिन्हें आमतौर पर चीन में दबा दिया जाता है. लेकिन अचानक सब कुछ बंद हो गया.

सेंसरशिप
हांगकांग की चाइनीज यूनिवर्सिटी में कम्युनिकेशन के प्रोफेसर लोकमैन सुई कहते हैं, "शी के शासनकाल में इस ऐप पर बैन लगना ही था." जब क्लबहाउस पर बैन लगाने के बारे में चीनी विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी से पूछा गया तो उन्होंने कहा, "चूंकि चीन का इंटरनेट खुला है, तो सरकार उसे नियमों और कानूनों के तहत संचालित करती है." चीन में फेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया नेटवर्कों पर पहले ही बैन है.

दरअसल चीन की अपनी सोशल मीडिया वेबसाइटें हैं और उन्हें इस्तेमाल करने वाले चीनी लोगों को पता है कि वे वहां जो कुछ भी लिख रहे हैं, उस पर नजर रखी जा रही है, उसे सेंसर किया जा रहा है. आम तौर पर चीनी सोशल मीडिया कंपनियां राजनीतिक रूप से संवेदनशील पोस्टों को हटा देती हैं. इनमें विरोध प्रदर्शनों या फिर सरकार की आलोचना से जुड़ी पोस्ट होती हैं. हालांकि कई लोग इस सेंसरशिप से बचने के लिए स्क्रीनशॉट या फिर शब्दों की स्पेलिंग में जानबूछ कर गलतियां छोड़ देते हैं.

"इतना बड़ा झूठ"
बीते शनिवार को एक हजार से ज्यादा यूजर क्लबहाउस के एक चैटरूम में चीन के पश्चिमी शिनचियांग इलाके में उइगुर लोगों को स्पेशल कैंपों में जबरदस्ती रखे जाने पर चर्चा करने लगे. मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि कम से कम दस लाख लोगों को कैद में रखा गया है. वहीं चीन सरकार कहती है कि इन लोगों को पेशेवर ट्रेनिंग दी जा रही है ताकि वे इस्लामी चरमपंथ के रास्ते पर न जाएं.

खुद को उइगुर बताने वाले कम से कम तीन लोगों ने क्लब हाउस में अपने निजी अनुभव बयान किए. कई लोगों ने कहा कि वे हान चीनी हैं और शिनचियांग में रहते हैं. एक महिला ने कहा कि विदेश में रहने के बाद उसकी सोच बदली है क्योंकि अब उसे शिनचियांग के बारे में ज्यादा जानकारी मिल रही है. उसने कहा, "मैं कितने बड़े झूठ में रह रही थी."वहीं कुछ लोग इस मुद्दे पर चीनी सरकार का बचाव करते नजर आए. एक व्यक्ति ने कहा कि "रि-एजुकेशन कैंप" बहुत जरूरी हैं.

इसके बाद सोमवार को एक अन्य चैटरूम में 2000 हजार से ज्यादा यूजर जुटे और चीन में 1989 में बीजिंग के थिएनानमन चौक पर जमा प्रदर्शनकारियों पर हुई बर्बर कार्रवाई पर बात करने लगे. इस विषय पर चीन में आम तौर पर बात नहीं होती. एक व्यक्ति ने कहा कि उस वक्त माहौल "दोनों पक्षों के लिए खतरनाक" था. उसका इशारा नागरिकों और अधिकारियों की तरफ था. वहीं एक अन्य यूजर ने कहा कि उस आंदोलन में हिस्सा लेने वाले छात्रों का ब्रेनवॉश किया गया था.

हांगकांग और ताइवान के लोगों ने भी चीन से जुड़े विषयों पर बात की. लेकिन सवाल सिर्फ राजनीतिक तक सीमित नहीं रहे. शिनचियांग की चैटिंग के बाद रात को एक अन्य चैटरूम में समलैंगिक पुरुषों ने अपनी कहानियां विस्तार में साझा करनी शुरू कीं. इस तरह खुले संवाद की चीनी अधिकारियों को आदत नहीं है.

पेरिस में रहने वाली एमिली फ्रैंकील ने चीन में राजनीतिक भागीदारी और प्रतिनिधित्व पर रिसर्च की है. वह कहती हैं कि चीन में 2013 में शी जिनपिंग के राष्ट्रपति बनने के बाद से इंटरनेट पर "खुल कर विचार व्यक्त करने की संभावना बहुत हद तक सिमटी है."
एके/आईबी (एएफपी, एपी)


अन्य पोस्ट