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रायपुर, 14 अक्टूबर। शिक्षकों एवं शिक्षिकाओं के लिए पोक्सो एक्ट यानी लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम पर कार्यशाला का आयोजन जेपी इंटरनेशन स्कूल में 13 अक्टूबर को किया गया। वक्ताओं ने अधिनियम के बारे में विस्तृत जानकारी दिया।
बच्चों के जीवन में विद्यालय एवं शिक्षक की अहम भूमिका रहती है। विद्यालय एवं शिक्षक उन्हें सुरक्षित स्थान और वातावरण प्रदान कर उनके व्यवहार निर्माण में मदद करते है। प्राय: बच्चे शिक्षकों को वह सारी बातें बता देते हैं, जो वे किसी और को नहीं बता पाते।
कई बार शिक्षक बच्चों के हाव भाव देखकर भी पता लगा लेते हैं कि बच्चा परेशानी में है। स्कूल में शिक्षक की इन्हीं भूमिकाओं को ध्यान में रखते हुए जेपी इंटरनेशनल स्कूल में सभी शिक्षकों एवं शिक्षिकाओं के लिए पोक्सो एक्ट यानी लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम पर वर्कशॉप का आयोजन किया गया।
पोक्सो एक्ट को साल 2012 में नाबालिग बच्चों को सेक्सुअल असॉल्ट, सेक्सुअल हैरेसमेंट और पोर्नोग्राफी जैसे अपराधों से प्रोटेक्ट किया गया है। 2012 में बने इस कानून के तहत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा तय की गई है। इससे जुड़ी सब महत्वपूर्ण जानकारियों को प्रदान करने के लिए कार्यशाला का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती के तैल चित्र पर श्रद्धा सुमन अर्पित सह दीप प्रज्वलन के साथ किया गया। मुख्य वक्ता जिला बाल संरक्षण अधिकारी रीना लारिया ने गीता की आवाज एक लघु वीडियो के माध्यम से पोक्सो की परिभाषा बताते हुए इस विषय से सभी शिक्षकों को अवगत कराया। तदुपरांत पीपीटी के माध्यम से बच्चों से जुड़े हुए सभी अधिनियमों को विस्तृत रूप से समझाया।
उन्होंने न केवल अपने जीवन के अनुभव से उदाहरण देते हुए सभी उपस्थित शिक्षकों को बच्चों से जुड़ी हुई समस्याओं का निवारण करना बताया अपितु कैसे समझे कि बच्चा परेशानी में है आदि सुझाव दिए। पीपीटी प्रस्तुतीकरण के पश्चात कोमल लाहिरी ने बच्चों के अधिकारों को समझाया एवं चाइल्ड हेल्प लाइन नंबर से भी अवगत कराया।
कार्यक्रम के अंत में संस्था प्राचार्य रितेश चौबे एवं उप प्राचार्य विजयन बी द्वारा शॉल एवं श्रीफल के साथ अतिथियों को सम्मानित किया गया।


