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माध्यमिक इस्पात क्षेत्र की भूमिका पर राष्ट्रीय सम्मेलन
05-Apr-2022 2:02 PM
माध्यमिक इस्पात क्षेत्र की भूमिका पर राष्ट्रीय सम्मेलन

नई दिल्ली, 5 अप्रैल। नई दिल्ली में इस्पात में भारत को आत्मनिर्भर बनाना-माध्यमिक इस्पात क्षेत्र की भूमिका पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया। सम्मेलन के उद्घाटन के दौरान अपने संबोधन में केंद्रीय इस्पात मंत्री श्री राम चंद्र प्रसाद सिंह ने बताया कि उद्योग से मिले सुझावों पर विचार किया जाएगा। निर्बाध, पारदर्शी और लचीली प्रक्रिया भारत सरकार का घोषित उद्देश्य है। इस्पात उद्योग ने 1991 में 22 मिलियन टन से बढ़कर 2021-22 में 120 मिलियन टन तक उत्पादन में काफी प्रगति की है।
 
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 2030 तक 300 मिलियन टन और 2047 तक 500 मिलियन टन के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए रणनीति तैयार करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि लौह अयस्क उत्पादन और अन्य आवश्यक कच्चे माल में वृद्धि के लिए उपयुक्त नीतिगत समर्थन के साथ उचित रणनीति दिशा की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हरित इस्पात के लिए काम करने की तत्काल आवश्यकता है और प्रधानमंत्री का हाइड्रोजन पर महत्वाकांक्षी दृष्टिकोण है।
 
श्री सिंह ने कहा कि इससे लौह और इस्पात उद्योग को बड़ा लाभ होगा क्योंकि कोयले की जगह हाइड्रोजन का इस्तेमाल किया जा सकता है और इस प्रकार कोयले के आयात पर हमारी निर्भरता भी कम होगी।

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