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कलिंगा विवि में मातृभाषा में गायन प्रतिस्पर्धा
24-Feb-2022 12:48 PM
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रायपुर, 24 फरवरी। कलिंगा विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों की बहुमुखी प्रतिभा को विकसित करने के लिए विभिन्न शैक्षणिक विभागों के द्वारा व्याख्यान, कार्यशाला और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता रहा है। इसी क्रम में कलिंगा विश्वविद्यालय के शहीद वीर नारायण सिंह शोधपीठ के द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर 'मातृभाषा में गायन प्रतिस्पर्धा का आनलाईन आयोजन संपन्न हुआ। जिसमें मुख्य निर्णायक के रूप में छत्तीसगढ़ प्रदेश के प्रतिष्ठित गायक, गीतकार और संगीतज्ञ डॉ.रामनारायण धुर्वे उपस्थित थे।
विदित हो कि कलिंगा विश्वविद्यालय के शहीद वीर नारायण सिंह शोधपीठ के अध्यक्ष डॉ. अजय शुक्ल ने मातृभाषा दिवस के अवसर पर आयोजित ऑनलाइन कार्यक्रम में मुख्य निर्णायक डॉ.रामनारायण धुर्वे का स्वागत करते हुए कहा कि शहीद वीर नारायण सिंह शोधपीठ के द्वारा छत्तीसगढ़ के इतिहास, भाषा, कला एवं संस्कृति से जुड़े विभिन्न पक्षों पर विद्यार्थियों की रचनात्मक रुचि जागृत करते हुए उनके माध्यम से नए शोध और नयी खोज के लिए प्रेरित किया जाता रहा है। इसी श्रृंखला में मातृभाषा के सम्मान में इस प्रतिस्पर्धा का आयोजन किया जा रहा है।
मातृभाषा में गायन प्रतिस्पर्धा कार्यक्रम में कई प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया था। विभिन्न प्रक्रियाओं से गुजरने के उपरांत ऑनलाईन प्रस्तुति के लिए आठ विद्यार्थियों का चयन किया गया। प्रतिस्पर्धा के उपरांत मुख्य निर्णायक डॉ. धुर्वे ने बी.एड. प्रथम सेमेस्टर की सुनीता कुमारी को प्रथम स्थान के लिए घोषित किया। जबकि द्वितीय स्थान के लिए बी.ए.चतुर्थ सेमेस्टर की काजल साव और तृतीय स्थान के लिए बी.एस.सी. बायोटेक 6 जी सेमेस्टर की मानसी मजूमदार के नाम की घोषणा की गयी। इस प्रतियोगिता में विद्यार्थियों ने हिन्दी, उर्दू, छत्तीसगढी़, बंगाली, उडिय़ा, भोजपुरी और मराठी मातृभाषा में गीतों की सुमधुर प्रस्तुति दी।
प्रतिस्पर्धा की समाप्ति के उपरांत मुख्य निर्णायक डॉ. रामनारायण ध्रुवेे ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि समस्त प्रतिभागी शानदार प्रस्तुति के लिए बधाई के पात्र हैं। मातृभाषा से ही एक व्यक्ति इस संसार में सबसे पहली अभिव्यक्ति करता है। एक व्यक्ति के लिए उसकी मातृभाषा उसकी पहचान है। उन्होंने आयोजन समिति के अनुरोध पर अपने द्वारा लिखित और संगीतबद्ध लोकप्रिय छत्तीसगढ़ गीत मैं छत्तीसगढ़ के माटी हवे...को गाकर सुनाया।
उक्त कार्यक्रम का संचालन शहीद वीर नारायण सिंह शोधपीठ के अध्यक्ष और हिन्दी विषय के प्राध्यापक डॉ. अजय शुक्ल ने किया। तकनीकी सहयोग ओमप्रकाश देवांगन और राजकुमार दास के द्वारा किया गया। भूगोल विभाग के प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष डॉ. ए. राजशेखर ने आभार एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। उक्त आयोजन में छात्र कल्याण प्रकोष्ठ की अधिष्ठाता डॉ. आशा अंभईकर, कला एवं मानविकी संकाय की अधिष्ठाता डॉ. शिल्पी भट्टाचार्य, डॉ. अनिता सामल, श्री चंदन सिंह राजपूत, डॉ. श्रद्धा हिरकने, श्रीमती स्वरूपा पंडित, शबलुम पाणी, सुश्री अनुरिमा दास, सुश्री मधुमिता घोष, अब्दुल कादिर, के साथ-साथ विभिन्न संकाय के प्राध्यापक एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।
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