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एमेजॉन गांजा मामले में कैट रिट याचिका पर मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय का आदेश रिज़र्व-पारवानी
22-Dec-2021 2:38 PM
एमेजॉन गांजा मामले में कैट रिट याचिका पर मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय का आदेश रिज़र्व-पारवानी

रायपुर, 22 दिसंबर। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी, चेयरमेन मगेलाल मालू, अमर गिदवानी, प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी, कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, परमानन्द जैन, वाशु माखीजा, महामंत्री सुरिन्द्रर सिंह, कार्यकारी महामंत्री भरत जैन, कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल एवं मीडिया प्रभारी संजय चौबे ने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से बताया।

कैट ने बताया कि मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर पीठ ने अमेजऩ ई-कॉमर्स पोर्टल के माध्यम से गांजा आपूर्ति के मामले में कैटद्वारा दायर एक रिट याचिका पर आज सुनवाई करते हुए अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है। सुनवाई न्यायमूर्ति एस अहलूवालिया की एकल पीठ ने की।

श्री पारवानी एवं श्री दोशी ने बताया कि कैट का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ वकील शिल्पी जैन ने किया, जिन्होंने कोर्ट की निगरानी में जांच की दलील देते हुए बताया कि क्योंकि यह बेहद संवेदनशील मामला है, इसलिए इस मामले की जांच कोर्ट की निगरानी में होनी चाहते। इस मामले को अंतर-राज्यीय प्रकृति बताया और कहा  की इसलिए ये उचित होगा कि नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो द्वारा इसकी एक अलग जांच की जानी चाहिए। न्यायमूर्ति अहलूवालिया ने मामले की लंबी सुनवाई की और मप्र राज्य की ओर से पेश हुए वकील ने याचिकाकर्ता कैट के अधिकार क्षेत्र पर आपत्ति जताई, जिसे पीठ ने खारिज कर दिया था।

श्री पारवानी एवं श्री दोशी ने बताया कि कैट ने 7 दिसंबर को एक रिट दायर की थी जिस पर सुनवाई हुई। इस मामले में मप्र पुलिस अब तक अमेजन ई-पोर्टल के जरिए बेचे जाने वाले विशाखापत्तनम पुलिस द्वारा जब्त 48 किलो गांजा समेत करीब 70 किलो गांजा जब्त कर चुकी है. मध्य प्रदेश और विशाखापत्तनम दोनों  जगहों से अब तक कई लोगों को गिरफ्तार किये गए  है।

श्री पारवानी एवं श्री दोशी ने बताया कि 11 नवंबर को मप्र पुलिस ने गांजा रैकेट का भंडाफोड़ किया था और एमपी सरकार ने डीआईजी मनोज कुमार सिंह की अध्यक्षता में इस पूरे मामले में एक एसआईटी का गठन भी किया, इस रैकेट का खुलासा तब किया था जब वह भिंड मप्र के एसपी थे। कैट की वकीलों की टीम भी अदालत के समक्ष पेश हुई, जिनमें सांसद राजीव शर्मा के पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता और अधिवक्ता क्रांति मिलिंद, अबीर रॉय, श्रद्धा दुबे, शिखा मखीजा और अन्य शामिल थे।


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