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ज्ञान के उपकरणों, अक्षरअंकित पेपर्स दुरूपयोग से होती है ज्ञान की विराधना-साध्वी शुभंकराश्री
10-Nov-2021 12:57 PM
ज्ञान के उपकरणों, अक्षरअंकित पेपर्स दुरूपयोग से होती है ज्ञान की विराधना-साध्वी शुभंकराश्री

रायपुर, 10 नवंबर। श्रीऋषभदेव मंदिर में ज्ञान पंचमी के पावन प्रसंग पर साध्वीवर्या नवकार जपेश्वरी पूज्या शुभंकराश्रीजी महाराज साहब ने ज्ञान की विराधना और उसके अध्यात्मिक निवारण पर विशेष प्रवचन करते हुए बताया कि ज्ञान के उपकरणों पेन, स्याही, कॉपी-किताब आदि और अक्षरअंकित पेपर्स, अक्षरअंकित वस्त्रों के दुरूपयोग से ज्ञान की विराधना होती है। अर्थात् ज्ञानावर्णी कर्म का बंध होता है।
 
ज्ञानीजनों ने बताया है कि विगत भवों में यदि किसी से मन से ज्ञान की विराधना हुई है तो वह मनोरोगी, किसी से वचन से ज्ञान की विराधना हुई है तो वह गूंगा और किसी से काया से ज्ञान से विराधना हुई है तो वह अपंग, रोगी होकर जन्मता है। सुना हुआ ज्ञान समझ में न आना, पढ़ा हुआ भूल जाना, पढऩे में मन न लगना यह सब ज्ञानावर्णी कर्मबंध के परिणाम हैं। ज्ञान की विराधना से मात्र ज्ञान का अवरोध ही नहीं, शरीर भी रोगग्रस्त हो जाता है। इसीलिए सदा सावधान रहें, ज्ञान की विराधना से बचें, स्वयं की रूचि ज्ञान के प्रति सदा बनाए रखें।
 
साध्वीश्री ने बताया कि हम सभी परमात्मा से यही प्रार्थना करते हैं कि हे प्रभु मुझे सद्ज्ञान दो। जब सद्ज्ञान आएगा तब ही दुर्गुण हमारे जीवन से दूर होंगे। जब तक दुर्गुण खत्म नहीं होंगे तब तक हमारा मन पवित्र नहीं हो सकता है। आज ज्ञान पंचमी का दिन दुगुर्णों को हटाने का दिन है। आज ज्ञान पंचमी यह ज्ञानार्जन का कल्याणक है। आज ही के दिन आचार्य भगवंतों, उपाध्याय भगवंतों द्वारा ज्ञानलेखन का कार्य हुआ था। ज्ञान यह अनादि-अनंत है। जितने भी जीव हैं उन सबमें ज्ञान का कुछ न कुछ अंश हमेशा विद्यमान होता है, इसीलिए जीव चेतन है अन्यथा वह जड़ हो जाता।

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