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नाचा के सहारे चित्रसेन पहुंचे यूरोप की सबसे ऊँची चोटी एलब्रुस, युवा प्रतिभाओं को सामाजिक मदद प्रदान करने की परंपरा शुरु करनी होगी ताकि कोई भी आगे बढ़ने से वंचित न हो - गणेश कर
28-Aug-2021 3:21 PM
नाचा के सहारे चित्रसेन पहुंचे यूरोप की सबसे ऊँची चोटी एलब्रुस, युवा प्रतिभाओं को सामाजिक मदद प्रदान करने की परंपरा शुरु करनी होगी ताकि कोई भी आगे बढ़ने से वंचित न हो - गणेश कर

फ़तेह करने वाले भारत के पहले दोनों कृत्रिम पैरों वाले व्यक्ति

रायपुर, 28 अगस्त। नार्थ अमेरिका छत्तीसगढ़ एसोसिएशन (ग्लोबल एनआरआई कम्युनिटी) के कार्यकारी अध्यक्ष गणेश कर ने बताया कि छत्तीसगढ़ के पर्वतारोही चित्रसेन साहू ने नाचा की आर्थिक मदद से यूरोप की सबसे ऊँची चोटी माउंट एलब्रुस पर फ़तेह पा ली है। चित्रसेन दोनों कृत्रिम पैरों वाले भारत के पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने यह मुकाम हासिल किया है। यह नाचा, छत्तीसगढ़ और पूरे भारत के लिए गर्व की बात है और हम श्री साहू और छत्तीसगढ़वासियों को बधाई देते हैं।

श्री कर ने बताया कि छत्तीसगढ़ में एडवेंचर स्पोर्ट्स और पर्वतारोहण में ढ़ेरो सम्भावनाएं हैं। चित्रसेन ने मिशन इंक्लूसन और प्लास्टिक फ्री का संदेश दिया है। प्रदेश के युवक-युवतियों को मंच देने के लिए नाचा संकल्पित है। पर्वतारोहण में युवाओं के लिए नए अवसर तलाशे जाएंगे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ में पर्वतारोहण अकादमी शुरू करने की घोषणा की है। नाचा प्रवासी भारतीयों का वह समूह है जिसका उद्देश्य छत्तीसगढ़ और छत्तीसगढ़ के लोगों को पूरी दुनिया में पहचान दिलाना है।

श्री कर ने बताया कि नाचा युवाओं की प्रतिभाओं को आगे लाने में विशेष प्रयास कर रहा है। सामाजिक मदद की परंपरा की शुरुआत करनी होगी ताकि कोई भी प्रतिभा आगे बढ़ने से वंचित न हो। छत्तीसगढ़ में करोड़ों लोगों के रहने के बावजूद एडवेंचर स्पोर्ट्स में आर्थिक समस्या सामने आ रही है जिसे नाचा ने समझा और चित्रसेन साहू की मदद तुरन्त करने तैयार हो गया। सभी समुदायों को आगे बढ़ कर, समाज के अंतर को भुला कर प्रदेश की प्रतिभाओं को बढ़ाने मदद करनी चाहिए।

श्री कर ने बताया कि नाचा एग्जीक्यूटिव कम्युनिटी और संगठनों का हम आभार व्यक्त करते हैं जो राज्य और लोगों का समर्थन करने के लिए बहुत अच्छा काम कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ में एडवेंचर स्पोर्ट्स के साथ ही देशी खेलों को बढ़ावा देने की जरूरत है। पूरे भारत में स्पोर्ट्स दो भागों में बंटा हुआ है। कुछ स्पोर्ट्स में कामयाबी ग्लैमरस है तो कुछ अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। खेलों के बीच की खाई मिटाने की परम्परा शुरू करनी होगी। बुनियादी संरचना के पर कार्य करने होंगे क्योंकि किसी खिलाड़ी के लिए भविष्य की अनिश्चितता के साथ पैसों की कमी बहुत बड़ी रुकावट साबित होती है।

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