बीजापुर

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
भोपालपटनम, 19 मई। बीजापुर जिले के 55 किमी दूर मूतवेंडी गांव में एक भी बच्चा व जवान, बूढ़ा शिक्षित नहीं है। गांव के किसी भी व्यक्ति को अ आ ई तक नहीं आती। अमूमन बीजापुर जिले के कई गांव ऐसे हैं, जहां शिक्षा की ज्योत नहीं जली है और कई गांवों में स्कूल नक्सल भय के चलते बंद हो चुके हैं।
मूतवेंडी गांव में 40 मकान हैं, यहां की आबादी लगभग 150 है। गांव का कोई भी व्यक्ति स्कूल नहीं गया है। मौजूदा समय में छोटे-छोटे लगभग 50 बच्चे गांव में रहते हैं। गांव में न ही आँगनबाड़ी है और न ही स्कूल। पढ़ाई हासिल करने के लिए कोई अन्य जरिया भी नहीं है।
जब ‘छत्तीसगढ़’ की टीम बीहड़ जंगलों से होते हुए धुर नक्सल प्रभावित मूतवेदी गांव पहुंची, वहां देखा कि बच्चे अधनंगे घूम रहे हैं। जब जानने की कोशिश की गई तो पता चला कि यह किसी को अच्छे से हिंदी बोलनी नहीं आती। आजादी के बाद यह कोई स्कूल नहीं खोला गया, तब से लेकर आज 77 बरस बाद भी लोग यहाँ पढ़ाई-लिखाई करना नहीं जानते है।
गांव के राकेश कोवासी, जमली कुंजाम, शर्मिला कुंजाम, विमला कुंजाम, दीपा कुंजाम, कोसा कवासी, हिड़मा कोवसी, हड़मा कुंजाम, जोगी कवासी, कमला कोवसी, ये सारे बच्चे पटेलपारा के हंै। इसके आलावा गाँव में पटेलपारा, चिनपारा और नयापारा है।
बच्चे पढ़ाई करना चाहते हैं
8 वर्ष के वेको ने बताया कि इस गांव में किसी भी बच्चे ने स्कूल व आंगनबाड़ी नहीं देखा है। किसी को हिंदी बोलना भी नहीं आता है मुझे मेरे चाचा ने थोड़ा हिंदी बोलना सिखाया है, मैं थोड़ा बहुत बोलता हूं। गांव के सारे बच्चे स्कूल जाना चाहते हैं, पर यहाँ कोई स्कूल आंगनबाड़ी नहीं है, हमें पडऩे के लिए गंगालूर जाना पड़ता है, जो लगभग 25 किमी दूर है।
शिक्षा से जोडऩे वाली योजनाएं विफल
बच्चों को शिक्षा से जोडऩे के लिए सरकार अनेक योजनाएं चला रही हैं, लेकिन बीजापुर जिले के गांवों मे आज योजनाएं विफल साबित हो रही है। गांव के बच्चे शिक्षा से वंचित है और इसका प्रमुख कारण गांव में स्कूल नहीं होना है। ग्रामीणों का कहना है कि आसपास कई किलोमीटर तक कोई स्कूल नहीं है।
नहीं मालूम सरकारी नौकरी कैसे मिलती है
दुर्गम इलाके के बच्चों को यह नहीं मालूम कि सरकारी सर्विस कैसे पाते हैं। पढ़ाई से कोसो दूर बच्चों को अपनी जीवन शैली बदलने और अच्छी पढ़ाई करने की इच्छा जरूर है, लेकिन उन्हें उस मुकाम तक पहुंचने के लिए नींव नहीं है। उन्हें यह तक नहीं मालूम है कि पढ़ाई करने से यह एक अच्छे मुकाम तक पहुंच सकते हैं।
कलेक्टर बीजापुर अनुराग पाण्डेय का कहना है कि बंद स्कूलों को खोलने का प्रयास किया जा रहा है, 200 से अधिक बंद स्कूलों को खोला गया है और भी स्कूलों को खोलने का प्रयास किया जा रहा है। शिक्षा की मुख्यधारा से जोडक़र बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है।