बेमेतरा
एकादशी व्रत में वैष्णव मर्यादा का हो अनिवार्य पालन
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 15 अक्टूबर। धर्म स्तंभ काउंसिल ने प्रदेश के सभी वैष्णव मठों, मंदिरों एवं संस्थानों के लिए एक धार्मिक निर्देश जारी किया है। इस निर्देश के अनुसार, जिन मंदिरों में श्रीराधा-कृष्ण, श्रीनारायण, लक्ष्मी-नारायण अथवा भगवान विष्णु के किसी भी स्वरूप की प्रतिष्ठा है, वहां एकादशी तिथि पर वैष्णव परंपरा के अनुसार नियमों का कठोरता से पालन करना अनिवार्य होगा।धर्म स्तम्भ काउंसिल ने स्पष्ट किया कि एकादशी का व्रत इंद्रिय-नियंत्रण, आत्मशुद्धि एवं भगवत्स्मरण का दिवस है। जहां तक संभव हो, पूर्ण उपवास का पालन किया जाए। स्वास्थ्य संबंधी विशेष परिस्थितियों में भक्त फलाहार या सात्विक आहार ग्रहण कर सकते हैं।
एकादशी का पालन वैष्णव साधना का प्राणतत्व है
महंत सुरेंद्र दास निर्वाणी अखाड़ा, ने इस निर्देश का समर्थन करते हुए कहा, मठ-मंदिरों की शुचिता केवल विधि-विधान से पूजा से ही नहीं, बल्कि दैनिक आचार-व्यवहार के अनुशासन से भी सिद्ध होती है। एकादशी का पालन वैष्णव साधना का प्राणतत्व है, इसे सभी आश्रमों में सख्ती से लागू किया जाना चाहिए।
मंदिर परिसर में अन्न निषेध
एकादशी के दिन मंदिर परिसर की सामूहिक भोजनशाला (अन्नक्षेत्र) या रसोई में किसी भी प्रकार के अन्न (विशेष रूप से चावल) का पकाना एवं वितरण (महाप्रसाद के रूप में) पूर्णत: वर्जित रहेगा, इस दिन भक्तों को प्रसाद या भोजन के रूप में केवल व्रत-योग्य फल, मेवा, दूध या फलाहार ही वितरित किया जाए।


