बेमेतरा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 17 अक्टूबर। श्रीराम मंदिर के मजगांव स्थित जमीन की रजिस्ट्री शून्य एवं क्रेता-विक्रेता के ऊपर कार्रवाई की मांग को लेकर तीसरे दिन भी धरना प्रदर्शन जारी रहा। बीते तीन दिनों से जारी प्रदर्शन में महिला पार्षद व कार्यकर्ताओं ने मोर्चा संभाला है।
इस धरना में मुख्य रूप से घासीराम वर्मा तेलईकूड़ा, नंदकुमार साहू बिलाई, महिला कांग्रेस अध्यक्ष कविता साहू, कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष जोगेंद्र छाबड़ा, जिला कांग्रेस कमेटी के महामंत्री ललित विश्वकर्मा, नगर पालिका की अध्यक्ष शकुंतला मंगल साहू, शहर महिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रीता पांडे, पार्षद रश्मि फणेन्द्र मिश्रा, पार्षद रेहाना रवानी, पार्षद राम ठाकुर, पार्षद जया साहू, पार्षद रानी डेनिम सेन, पार्षद राजू साहू, पार्षद मनोज शर्मा, पूर्व पार्षद नारायण छाबड़ा, वीरेंद्र साहू, बैजलपुर से धनंजय साहू, खेलन साहू, देवेंद्र साहू, राजू रजक, ओमप्रकाश यादव, ऋषि वर्मा, बहल वर्मा बैजी, महेंद्र साहू, भुवन साहू, राम प्रसाद निर्मलकर, रामाधार साहू, बलवंत साहू, रवि दुर्गा, राम साहू, सुरेंद्र साहू, हरीश साहू, देव गर्ग, प्रशांत तिवारी, सीताराम यादव शामि हुए। साथ ही इस धरना प्रदर्शन में पूरे दिन राम भक्ति भजन का भी कार्यक्रम जारी रहा।
राम मंदिर जमीन मामले में नायब तहसीलदार को हटाया
ग्राम मजगांव में राम मंदिर की जमीन बिक्री के मामले को 30 सितंबर को ‘छत्तीसगढ़’ ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था। कलेक्टर के फटकार के बाद एसडीएम ने तत्कालीन पटवारी कुंदन सिंह एवं पटवारी हरिप्रिया साहू को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था। राम मंदिर की जमीन की बिक्री के लिए संबंधित पटवारी को रिकार्ड देने का आदेश के आरोप पर नायब तहसीलदार के खिलाफ पूर्व विधायक आशीष छाबड़ा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पंजीयन रद्द करते हुए समुचित कार्रवाई की मांग की थी। जिला कांग्रेस कमेटी ने आंदोलन की शुरुआत भी की है। कलेक्टर कार्यालय से जारी पत्र के अनुसार राम मन्दिर जमीन बिक्री मामले में संलिप्तता पाए जाने पर चांदनी देवांगन नायब तहसीलदार को आगामी आदेश तक जिला कार्यालय में संलग्न किया गया है। इस पत्र पर एसडीएम ने मंगलवार को अपरान्ह नायब तहसीलदार को भार मुक्त भी कर दिया है। नायब तहसीलदार का पूर्ण प्रभार तहसीलदार को दिया गया है। साथ ही इस मामले में पहले दो पटवारी निलंबित कर चुके हैं।
खेल शुरू होता है अब
राम मंदिर जमीन की बिक्री दूसरी बार हुई, पहला प्रमाणीकरण कब कैसे हुआ, किसने आदेश किया तब जब मंदिर का उल्लेख था रजिस्टार ने क्या किया, दूसरी बार वहीं काम कैसे हुआ, झाल में कोटवारी जमीन की रजिस्ट्री कैसे हुई, क्या रजिस्टार आंख बंद कर काम किए या कुछ और जांच का दायरा बढ़ाना चाहिए।