बेमेतरा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 17 सितंबर। जिले के गौठान के बंद होने की वजह से मवेशी सडक़ पर नजर आने लगे हैं। रात होते ही मवेशियों के सडक़ पर बैठने व खड़े रहने की वजह से लोग हादसे के शिकार हो रहे हैं। जिले के चारों जनपद पंचायतों में 353 और निकाय क्षेत्रों में 10 गौठान समेत कुल 363 गौठान संचालित किए जा रहे थे, जिसे बीते 10 माह से भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है। शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में गौठान की बदहाली की वजह से अब मवेशी सडक़ों को ही गौठान की तरह उपयोग कर रहे हैं।
जानकारी हो कि खरीफ सीजन में खेतों में फसल नुकसान होने की वजह से गांव गांव में कामगार रख मवेशियों को खेतों से दूर किया जाने लगा है। वहीं दूसरी ओर गांव में चारागन रकबा की कमी होने की वजह से मवेशियों को रखने के लिए सरकारी योजना के तहत बनाए गए गौठान ही एकमात्र सहारा थे पर बीते करीब एक साल से गौठान की देखरेख की सुध नहीं ली जा रही है। आर्थिक कारण या फिर ये कहा जाए कि योजना को संचालित करने में बरती जा रही उदासीनता की वजह से गौठानों की स्थिति ठीक नहीं है। गौठानों की व्यवस्था चरमरा जाने की वजह से मालिक अब मवेशियों को खुले में छोड़ दे रहे हैं, जहां सडक़ों पर मवेशियों ने अपना राज कायम कर लिया है। जिला मुयालय से 24 किमी दूर सिमगा से बेमेतरा आते तक 7 स्थानों पर मवेशियों के झुंड का सामना करना पड़ता है, जिसमें पुलिस चेकपोस्ट के सामने तिरैया, ग्राम रवेली, रांका, कठिया, जेवरा, चोरभ_ी व गुनरबोड के बाद कोबिया में मवेशियों का झुंड नजर आता है। इसी तरह ग्राम देवरबीजा तक जाने पर ग्राम भेडनी, हथमुडी, निनवा व कंतेली के पास मवेशी सडक़ पर दिखाई पड़ते हैं। विशेषकर ग्राम भेडऩी का पुल, जिस पर हमेशा 30 से 40 मवेशियों का जमवाड़ा लगा रहता है।
6925 सदस्यों के लिए गौठान आय का साधन हुआ करता था
जिले में 2018-19 से गौठान की स्वीकृति की गई थी। इसे बाद करीब चार साल से अधिक समय तक जिले में 353 गौठान ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित किए गए थे। वहीं 10 केन्द्र शहरी क्षेत्रों में संचालित होते रहे हैं। इन केन्द्रों का कुल 663 स्वसहायता समूहों के द्वारा संचालन किया जा रहा था। 663 स्व सहायता समूह के 6928 सदस्यों की लाभांश के तौर पर कमाई होती रही। समूह की महिला सदस्य खाद, गोबर बेचकर व अन्य तरीको से आय प्राप्त कर रहीं।
मल्टी एक्टीविटी सेंटर बनाना था, सभी एक्टीविटी बंद
जिले में प्रारंभ किए गए नरवा, गरवा, घुरुवा, बाड़ी योजना का संचालन पूर्ववर्ती सरकार द्वारा किया जा रहा था। योजना के पीछे पशुधन की सुरक्षा करने के साथ-साथ मल्टी एक्टीविटी सेन्टर के रूप में विकसित किया जाना था, जिससे जुडऩे वाली महिलाओं को रोजगार मूलक कार्य का लाभ दिया जाना था, जिसे भारी जोर-शोर से प्रारंभ किया गया। योजना की अब एक भी एक्टीविटी होते नजर नहीं आ रही है।
हादसे का शिकार हो रहे, मवेशी और इंसान
बीते सप्ताह देवरबीजा मार्ग व साजा मार्ग में ग्राम भैसामुड़ा के पास सडक़ पर बैठी गाय से टकरा कर बाइक सवार तीन व्यक्ति घायल हुए थे, जिन्हें उपचार के लिए जिला अस्पताल में भर्ती किया गया था। इसी तरह विगत दिवस कंडरका चौकी क्षेत्र में मवेशी से टकरा कर बाइक सावार घायल हुए थे। देवकर चौकी क्षेत्र में सडक़ पर बैठी 9 गाय की मौत अज्ञात वाहन चालक ने लापरवाही पूर्वक वाहन चलाने से हुई थी।
बर्बाद हो गए हैं जिले के गौठान
जिले के 363 गौठानों में से 142 गौठान स्वावलंबी गोठान के श्रेणी के थे। इसके साथ ही गौठानों में मवेशियों के चारागाह, पैरादान से प्राप्त पैरा रखने के लिए घेराबंदी, पेयजल के कोटना, पशु पेड़ केयर टेकर व अन्य पर खर्च किए जा रहे थे। जिले में इस योजना के नाम पर करोड़ों का खर्च किया गया, जो अब बेकार होने लगा है।