बस्तर

कला परंपरा-कला बिरादरी संस्थान का स्थापना दिवस एवं सम्मान समारोह
जगदलपुर, 9 जुलाई। कला परंपरा-कला बिरादरी संस्थान की 22 वीं स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में ऑनलाइन गूगलमीट कार्यक्रम के माध्यम से प्रदेश के 22 कलाकारों एवं साहित्यकारों को ‘कला परंपरा-कला रत्न’ एवं ‘कला परंपरा-साहित्य रत्न’ सम्मान से सम्मानित किया गया। समारोह के मुख्य अतिथि डॉ. विनय पाठक, पूर्व अध्यक्ष-राजभाषा आयोग छत्तीसगढ़ शासन थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्थान के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. डी.पी. देशमुख ने की।
राज्य के समस्त कलाकारों एवं साहित्यकारों के बीच समन्वय तथा सामंजस्य स्थापित करने के उद्देश्य से कला परंपरा-कला बिरादरी संस्थान छत्तीसगढ़ का पंजीकरण विगत 3 वर्ष पूर्व की गई है।
कार्यक्रम की शुरुआत माता सरस्वती वंदना से किया गया जिसे कवयित्री आशा आजाद ‘कृति’ द्वारा प्रस्तुत किया गया, इसके पश्चात कार्यक्रम के सभी अतिथियों का स्वागत हेतु स्वागत गीत कवि गया प्रसाद साहू ‘रतनपुरिहा’ ने प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. विनय कुमार पाठक ने कहा-डॉ. डी.पी. देशमुख ने अपने जीवन भर साहित्यकारों एवं लोककलाकारों के उत्थान हेतु तन-मन-धन न्योछावर करके निस्वार्थ भाव से काम किया है, साथ ही अपने स्वयं के लाखों रूपये लगाकर शिल्पकारों एवं अनेक विधा के कलाकारों की कृतियों का सम्मान करने एवं उन्हें उचित मूल्य प्रदान करने के लिए अपने निवास स्थान रिसाली (भिलाई) में शिल्प एम्पोरियम स्थापित किया है, जिससे कलाकारों के सर्वांगीण विकास का मार्ग प्रशस्त हो गया है। इस महान पहल के लिए डॉ. डी.पी. देशमुख साधुवाद के पात्र हैं।
तत्पश्चात मुख्य अतिथि के करकमलों से कुल 22 लोककलाकारों, साहित्यकारों को ‘कला/साहित्य रत्न’ पुरस्कार से गोविन्द साव-राजनांदगांव, श्रीमती कविता वासनिक-राजनांदगांव,महादेव हिरवानी -राजनांदगांव, पद्मश्री डॉ. आर. एस बारले-भिलाई, गौकरण मानिकपुरी-फुलझर (गरियाबंद), अजय उमरे-दुर्ग,सीताराम साहू श्याम-पैरी (बालोद), भरत गंगादित्य-जगदलपुर,अजय मंडावी-कांकेर, डॉक्टर सुरेश देशमुख-धमतरी,श्रीमती अनुराग ठाकुर-कांकेर, रजनी रजक-भिलाई, डाक्टर दीनदयाल साहू-दुर्ग,उत्तम तिवारी-दुर्ग, डॉ. सुधीर कुमार शर्मा-रायपुर, डॉ. अनुसूईया अग्रवाल-महासमुंद, डॉ. रामाकांत सोनी-चांपा, डॉ. परदेशी राम वर्मा-भिलाई, डॉ. बिहारी लाल साहू-रायगढ़, दिनेश पाण्डेय-रतनपुर, आशा आजाद ‘कृति’ -कोरबा को सम्मानित किया गया।
मुख्य अतिथि द्वारा साहित्यकारों, कलाकारों को सम्मानित करने के उपरांत अध्यक्षीय उद्बोधन में डाक्टर डी. पी. देशमुख ने कहा - ‘बचपन से ही मुझे कला, साहित्य के प्रति विशेष अभिरूचि है, इसीलिए मैंने एक लक्ष्य निर्धारित किया है कि छत्तीसगढ़ के समस्त लोककलाकारों एवं साहित्यकारों के सर्वांगीण विकास हेतु तन-मन-धन से समर्पित होकर कला, साहित्य सेवा करता रहूंगा, आप सभी महानुभावों से आग्रह करता हूं- मेरे इस महत्वपूर्ण पहल हेतु सदैव सहयोग प्रदान करते रहियेगा*7
इसके पश्चात डॉ. डी.पी. देशमुख ने कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डाक्टर विनय कुमार पाठक को कला परंपरा-कला बिरादरी विभूति सम्मान से विभूषित किया एवं आभार व्यक्त किया। इस यादगार एवं ऐतिहासिक अवसर पर छत्तीसगढ़ के विभिन्न क्षेत्रों से अनेक साहित्यकार एवं लोककलाकार उपस्थित थे। कार्यक्रम का सफल संचालन दिनेश कुमार पाण्डेय एवं श्रीमती आशा आजाद ‘कृति’ ने किया। यह जानकारी संस्थान के प्रादेशिक महासचिव-गया प्रसाद साहू ‘रतनपुरिहा’ ने दी।