बस्तर

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
जगदलपुर, 24 जून। पांच दिनों की बारिश के बाद दिन भर बस्तर, दंतेवाड़ा, बारसूर, इलाके में धूप निकलने से दोपहर खेतों में धान के बीज डाले गए।
पिछले 4-5 दिनों से लगातार हो रही बारिश से धान बुआई की गति मंद हो गई है। निचली भूमि पर कहीं-कहीं पानी भर गया है, वहीं कुछ खेतों की हालत कीचडय़ुक्त है। यही हाल रहा तो किसानों के समक्ष लेही पद्धति को अपनाने के सिवाय और कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है। दक्षिण बस्तर के ज्यादातर हिस्से में अभी धान बुआई का काम पूरा नहीं हुआ है। गीदम, बारसूर हो या फिर दंतेवाड़ा मुख्यालय से लगे बालूद, बालपेट चीतालूर, टेकनार आदि गांव के किसान मौसम के बदले तेवर से सब परेशान हैं। इन इलाकों में बोनी का काम प्रगति पर था, पर पिछले 13 जून से लगातार एक-दो दिन के अंतराल में बारिश होने से कुछ खेतों में पानी भर गया, वहीं कहीं-कहीं पर जरूरत से ज्यादा नमी है।
दक्षिण बस्तर के चारों ब्लॉक के करीब 80 फीसदी किसान बुआई कर धान की फसल लेते हैं। इसका बहुत बड़ा कारण सिंचाई सुविधा का अभाव और धन की कमी है। गीदम ब्लॉक के एसएडीओ आरएस नेताम के मुताबिक इस खरीफ सीजन में गीदम ब्लॉक के गांवों में आज की स्थिति में 55 फीसदी धान बोनी काम पूरा हो गया है।
मौसम साथ नहीं देने से 45 फीसदी बोनी का काम अधर में है। कॄषि विभाग की मानें तो 10 फीसदी से भी कम किसान ही रोपा लगाते हैं।
बारसूर इलाके किसान थलेश ठाकुर, जयलाल और फूलसिंह ने बताया कि किसान धान की बुआई को लेकर चिंतित है। समय बहुत कम है, जल्द बोनी नहीं हुआ तो खेती में पिछड़ सकते हैं। नमी अधिक होने से खुर्रा बोनी संभव नहीं है। जलभराव वाले खेतों में मचाई कर लेही पद्धति से बीज डालने का एक मात्र विकल्प है।