बस्तर
डॉ. अंबेडकर की प्रतिमा पर अर्पित की पुष्पांजलि
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
जगदलपुर, 28 नवम्बर। अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद एबीएपी द्वारा संविधान दिवस के अवसर पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत अधिवक्ता परिषद के सदस्यों एवं विधि के छात्रों द्वारा भारत संविधान के निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर की गई। इसके बाद सभी उपस्थित लोगों ने संविधान की प्रस्तावना का सामूहिक पाठन किया।
एबीएपी के मध्य भारत की सहसंयोजक एवं छत्तीसगढ़ प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि 26 नवंबर मात्र एक तिथि नहीं, बल्कि भारत की आत्मा को परिभाषित करने वाला दिन है, क्योंकि इसी दिन हमारे संविधान का स्वीकृति दिवस है।
एबीएपी के संभागीय सचिव श्रीनिवास रथ ने कहा कि हर वर्ष 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जाता है और इसके ठीक दो महीने बाद 26 जनवरी 1950 को संविधान प्रभावी हुआ था।
संभागीय अध्यक्ष एवं वरिष्ठ अधिवक्ता सपन देवांगन ने कहा कि संविधान केवल कानूनों का संग्रह नहीं, बल्कि भारत की आत्मा का दर्पण है। उन्होंने बताया कि भारतीय संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है, जिसमें 395 अनुच्छेद, 12 अनुसूचियां और 22 भाग शामिल हैं। इसे तैयार करने में 2 वर्ष 11 माह और 18 दिन लगे थे।
वरिष्ठ अधिवक्ता दिनेश पानीग्राही ने संविधान की प्रस्तावना का पाठन कराया और कहा कि भारत का संविधान देश को लोकतांत्रिक राष्ट्र घोषित करता है, जहां धर्म, जाति, लिंग और क्षेत्र के आधार पर सभी नागरिकों को समान अधिकार प्राप्त हैं। प्रत्येक व्यक्ति को अपने धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता दी गई है।
एबीएपी के जिला अध्यक्ष अर्पित मिश्रा ने कहा कि वर्ष 2015 से पूर्व इस दिन को राष्ट्रीय कानून दिवस के रूप में मनाया जाता था, लेकिन वर्ष 2015 से इसे संविधान दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। इस अवसर पर शक्ति सिंह, तापस विश्वास, जयंत विश्वास, उमेश ठाकुर, प्रीति वानखेड़े, प्रतिमा राय, वरूणा मिश्रा, लक्ष्मी भारती, श्वेता टीकम, अदिति रावत, संजना पाणिग्रही, जयांश देवांगन सहित अधिवक्ता परिषद के कई सदस्य एवं विधि छात्र बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।


