बलौदा बाजार

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कसडोल, 18 जुलाई। बारिश लम्बे समय से थमने और तेज धूप के कारण खेतों में दरारे पडऩी शुरू हो गई है। खेती किसानी का काम पूरी तरह रुक गया है। फसलों की बुरी हालात ने किसानों को मायूस कर दिया है।
जून में अत्यधिक बारिश की वजह से खुर्रा धान बोनी का काम बुरी तरह प्रभावित कर दिया है। क्षेत्र में 75 प्रतिशत खेतों में खुर्रा बोनी धान की खेती हमेशा होते आ रही है। जिससे कमोवेश 25 प्रतिशत खेतों में खुर्रा बोनी हो पाई है । 50 से 60 प्रतिशत खेतों में लेईहरा बोनी और शेष खेतों में रोपाई से खेती की तैयारी हुई है।
कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार धान बोनी की पुष्टि करते हुए बताया गया है कि कसडोल विकास खण्ड के 230 ग्रामों में 40 हजार हेक्टे, कृषि भूमि में खेती हुई है, जिसमें 10 हजार हेक्टे, कृषि भूमि में खुर्रा बोनी 20 हजार हेक्टे,भूमि में अधिक बारिश की वजह लेईहरा तथा करीब 10 हजार हेक्टे, कृषि भूमि में रोपा कतार बोनी श्री बोनी से खेती का अनुमान है। किंतु बारिश थमने से खेती किसानी पूरी तरह थम गया है।
कसडोल ब्लॉक में हुई सर्वाधिक वर्षा
राजस्व विभाग से मिली जानकारी के अनुसार बलौदाबाजार जिला के 6 तहसीलों भाटापारा बलौदाबाजार सिमगा पलारी बिलाईगढ़ से अधिक वर्षा कसडोल तहसील में हुई है। प्राप्त अधिकृत जानकारी के अनुसार अब तक सर्वाधिक 622 एम एम बारिश हुई है। मिली जानकारी के अनुसार 4 एवं 5 जुलाई को घनघोर बारिश के बाद आज 18 जुलाई तक बारिश पूरी तरह रुक गया है। चूंकि क्षेत्र में 50 प्रतिशत से अधिक खेतों में लेईहरा बोनी हुई है, जिसमें दरार पडऩा शुरू हो गया है। जिसके फसल बिगडऩे की सम्भावना बनती जा रही है। यदि जल्द बारिश नहीं हुआ, तो फसल बिगड़ सकता है।
मैदानी क्षेत्रों की फसल सूखा से अधिक प्रभावित पिछले 12 दिनों से बारिश पूरी तरह थम जाने से वैसे तो पूरा क्षेत्र प्रभावित हुआ है। किंतु मैदानी इलाके के कसडोल हटौद असनीद खरहा बम्हनी कोसमसरा सेमरिया टेमरी मालिडीह नवापारा खरवे खर्री बिलारी बैगन्दबरी पीसीद सेल साबर कटगी सरवा छेछर मलदा आदि 50 से 60 गांव ज्यादा प्रभावित है। खासकर मटासी भूमि का लेईहरा बोनी दरार से खराब होने की आशंका बनी हुई है।
इसी तरह क्षेत्र के प्राय: कसडोल बया एवं टुंड्रा जिला सहकारी केंद्रीय बैंक शाखा से सम्बद्ध 14 कृषि सहकारी साख समितियों के गोदाम डीएपी खाद से खाली पड़े हुए हैं। बियासी निदाई रोपाई के वक्त इसकी जरूरत पड़ती है । ऋणी किसान इससे परेशान हैं।
किसानों ने बताया है कि इस साल अत्यधिक बारिश की वजह से दो तीन बार बोनी करना पड़ा है। जिससे नगद खाद खरीदने में आर्थिक संकट बन गया है।