बलौदा बाजार

सरस्वती साइकिल योजना: अवैध वसूली और गुणवत्ता को लेकर सवाल
14-Nov-2025 8:36 PM
सरस्वती साइकिल योजना: अवैध वसूली और गुणवत्ता को लेकर सवाल

विधायक ने मामले को विधानसभा में उठाने की कही बात

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

भाटापारा, 14 नवंबर। छत्तीसगढ़ शासन की सरस्वती साइकिल योजना के तहत स्कूलों में वितरित की जा रही साइकिलों की गुणवत्ता और ट्रांसपोर्टिंग के नाम पर कथित अवैध वसूली को लेकर क्षेत्र में सवाल उठने लगे हैं।

विधायक इंद्र साव ने आरोप लगाया है कि कई सरकारी स्कूलों में छात्राओं से साइकिल पहुंचाने के नाम पर 100 से 200 रुपये तक की राशि वसूली जा रही है, जबकि यह योजना पूर्णत: नि:शुल्क है। उन्होंने कहा कि इस मामले को वे विधानसभा में दस्तावेज सहित उठाएंगे।

विदित हो कि  कक्षा 9वीं में प्रवेश लेने वाली सभी छात्राओं को नि:शुल्क सरस्वती सायकल वितरण योजना के अंतर्गत नि:शुल्क सायकल प्रदान किया जाना है, जिसमें अनुसूचित जाति एवं जन जाति वर्ग की बालिकाओं के साथ-साथ गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाली छात्राओं को भी इस योजना में नि:शुल्क सायकल प्रदान करना है। शासन की इस योजना का उद्देश्य है कि बालिकाओं को शिक्षा प्राप्त करने हेतु समीपस्थ हाई स्कूल आने जाने में किसी प्रकार की असुविधा न हो।  बालिकाओं को स्कूल जाने में सहायता प्रदान करना है ताकि स्कूल छोडऩे जाने से पालक गण बच सके और बालिकाओं की शिक्षा को बढ़ावा मिले सके।

विधायक इंद्र साव ने आरोप लगाते कहा कि कुछ स्कूलों में छात्राओं से ट्रांसपोर्टिंग के नाम पर नकद वसूली की जा रही है।  इस वसूली की कोई रसीद नहीं दी जाती। कई स्थानों पर साइकिलों की गुणवत्ता को लेकर भी शिकायतें हैं। वितरण के बाद कई साइकिलें तुरंत मरम्मत की दुकानों तक पहुंच रही हैं।

उन्होंने कहा कि यदि साइकिल वितरण ठेकेदार करता है, तो उसे प्रत्येक स्कूल तक साइकिल पहुँचाने की जिम्मेदारी होती है। नियमों के विपरीत किसी भी प्रकार की वसूली उचित नहीं है।

समारोहों पर होने वाला खर्च भी सवालों में

कई स्कूलों में साइकिल वितरण कार्यक्रम मंच, पंडाल, माइक और नाश्ता आदि के साथ आयोजित किए जा रहे हैं।

विधायक साव का कहना है कि यह खर्च यदि छात्राओं से एकत्रित राशि से किया जा रहा है, तो यह योजना की मंशा के विपरीत है।

विधायक ने कहा कि यदि प्रशासन इस मामले पर शीघ्र कार्रवाई नहीं करता, तो वे इस मुद्दे को विधानसभा में नामजद तौर पर पेश करेंगे।

हालांकि, शिक्षा विभाग की ओर से इन आरोपों पर अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं मिली है।


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