बलौदा बाजार

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 6 जून। गुरुवार से बलौदाबाजार से रायपुर, बलौदाबाजार से गिधौरी व भाटापारा से बलौदाबाजार रूट पर लॉकडाउन के 52 दिन बाद बसें चलने का दौर शुरू हो गया है। सुबह से शाम तक 10 से 12 बसें चलने की पुष्टि बस यातायात एसोसिएशन ने की है। ड्राइवरों के अनुसार मास्क और सोशल डिस्टेंस के साथ न्यूनतम 20 फीसदी यात्रियों ने सफर किया। डीजल डलवाने में जितना खर्च हुआ, उससे कम यात्रियों से मिल पाया।
अधिकांश लोगों को जानकारी नहीं होने के कारण यात्री कम मिले। उल्लेखनीय है कि लॉकडाउन में महीनों से यात्री बसों के संचालन पर भी ब्रेक लग गया था। मार्च 2020 से पहले 120 बसें जिले की सडक़ों पर दौड़ती थीं, मगर पिछले 15 महीनों में 5 महीने लॉकडाउन में निकल गए, बचे 10 माह में सिर्फ 10 से 15 गाडिय़ां ही सडक़ों पर चल रही हैं, बाकी बची 100 बसों में से कुछ बिक गईं, कुछ फाइनेंसर खींचकर ले गए तो कुछ घरों के सामने खड़ी-खड़ी सड़ गईं।
करोड़ों का नुकसान
बस एसोसिएशन के जिला उपाध्यक्ष मानक ठाकुर ने बताया कि एक साल मेंन ुकसान करोड़ों का हुआ है। 500 से अधिक लोगों का परिवार चलता था, मगर 15 महीने के दौरान ये जो हालात बने हैं, उससे वर्तमान और भविष्य दोनों ही अंधकार में चला गया है। आने वाले समय में सभी बसें चल पाएंगी, इसका कोई भरोसा नहीं है। कई मालिक जेब से डीजल खर्च व कर्मचारियों को वेतन दे रहे हैं।
आमदनी तो दूर 3100 रुपए घर से लग गए
ड्राइवर संतोष भारद्वाज ने बताया कि बलौदाबाजार से रायपुर के 2 फेरों में 50 लीटर डीजल लग गया। चार हजार का डीजल डलवाकर बलौदाबाजार में सुबह 8.30 बजे बस को चालू कर यात्रियों के आने का इंतजार करते रहे, लेकिन एक भी यात्री नहीं मिला। बस को रवाना कर दिया, रास्तों में 10 से 15 यात्री मिले, वह भी रायपुर पहुंचने से पहले दूसरे गांवों में उतर गए। वापसी में भी हालात ऐसे थे कि 10 से 12 सवारी ही मिली, ऐसे में यात्रियों से कुल 1900 रुपए ही मिल पाए, जबकि डीजल का 4 हजार व ड्राइवर, कंडक्टर का 1 हजार मिलाकर कुल 5 हजार खर्च आया। आमदनी तो दूर 3100 रुपए घर से लग गए।
बारात के लिए एक भी बस नहीं चली
बस बंद होने के बाद मालिकों को उम्मीद थी कि वैवाहिक कार्यक्रम में बस की डिमांड होग, लेकिन शासन ने बीते दो माह से शादी कार्यक्रम में शामिल होने वालों की संख्या 10 निर्धारित कर दी। ऐसे में एक भी बस की बुकिंग वैवाहिक कार्यक्रम के लिए नहीं हुई है। मालिकों की मानें तो दिसंबर-जनवरी में करीब 40 से अधिक बारात के लिए बुकिंग की गई, लेकिन इस साल कोरोना के चलते विवाह में बारातियों की संख्या केवल 10 ही निर्धारित की। ऐसे में बस की जरूरत ही नहीं हुई।
प्रवासी मजदूरों को पहुंचाने का भाड़ा अभी तक बकाया
बस यातायात एसोसिएशन के अध्यक्ष धमेन्द्र वर्मा ने बताया कि बीते वर्ष मई-जून में मजदूरों को रेलवे स्टेशन से गांव तक पहुंचाने करीब 40 से 45 बसों को जिला प्रशासन ने किराए पर लिया था, जिसका करीब 52 लाख का भुगतान अभी भी बस मालिकों को नहीं हो पाया है जिसके कारण हम पर दोहरी मार पड़ी है।