बलौदा बाजार

5 माह में 953 गांवों में 5543 मौतें पर प्रशासन ने कोरोना से 365 को ही माना
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 4 जून। बलौदाबाजार कोरोना की दूसरी लहर ने सबसे ज्यादा भयानक रूप गांवों में दिखाया। हर गांव के सीने में अपनों को खोने का जख्म है। इस दौर में गांवों में मौत भी सामान्य बनकर रह गई।
1 जनवरी से 2 जून के बीच जिले की 644 पंचायतों के 953 गांवों में कुल 5543 लोगों की मौतें हुई, जबकि इतने ही दिनों में जिला स्वास्थ्य विभाग ने जिले में कोरोना से मरने वालों का आंकड़ा 365 मात्र बताया है, बाकी 5178 लोगों की मौत सामान्य बताई गई। जिनकी मौतें अस्पताल में हुई, उन्हें कोरोना से मौत माना और जिनकी घरों और अस्पतालों के रास्ते में हुई, उन्हें सामान्य बताया। हालांकि प्रशासन ने अधिकांश मृतकों का अंतिम संस्कार भी कोरोना प्रोटोकॉल से ही कराया।
जिला सांख्यिकी विभाग से मिले आंकड़ों के अनुसार मार्च 2020 से 2 जून 2021 तक पूरी कोरोना महामारी के इस 15 माह में जिले में कुल 13911 मौतें हुई हैं।
मरीजों की रिपोर्ट पॉजिटिव नहीं थी लेकिन अंतिम संस्कार कोरोना प्रोटोकॉल से ही किए गए। केसला के नेतराम साहू की मौत भी कुछ इसी तरह हुई थी, उसकी मौत के दो दिन बाद कराए गए टेस्ट में पूरा परिवार कोरोना पॉजिटिव आया था। चांपा, बोईरडीह जैसे गांवों में इस दौरान 7 लोगों की मौत हुई, लेकिन गांव में एक भी मौत कोरोना से नहीं मानी गई। खपरी में भी 3 लोगों की मौत हुई, यहां प्रशासन ने मात्र 1 मौत को कोरोना से होना बताया, यही हाल जिले के बाकी गांवों व क्षेत्रों का भी है।
15 मई की शाम देवरी निवासी साधराम को सांस लेने में दिक्कत हुई। अस्पताल ले जाने के दौरान रास्ते में दम तोड़ दिया। मृतक के परिवार वालों को आशंका थी कि मौत कोरोना से हुई है इसलिए दो दिन बाद जांच कराई तो साधराम का बेटा व बहु संक्रमित आ गए। साथ ही अंतिम संस्कार में शामिल 3 पड़ोसी भी पॉजिटिव आ गए मगर साधराम की मौत कोरोना से नहीं मानी गई, क्योंकि जांच नहीं कराई गई थी।
टेस्ट नहीं हुआ तो मौत भी सामान्य मान ली
दूसरी लहर के पीक में न जाने कितनों ने बिना जांच कराए और बिना अस्पताल पहुंचे दम तोड़ दिया। गांवों में तो अब भी कई किलोमीटर तक जांच नहीं हो पाई है। सरकार उन्हीं को कोरोना से मौत मानेगी, जिनकी जांच रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव मिली होगी। इन्हीं लोगों के परिजनों को सरकार मुआवजा भी देगी। एक ही गांव में 7 से 8 लोगों की मौतें हुईं मगर इनमें से उन लोगों की मौत को सामान्य माना गया जिनकी सैंपलिंग नहीं हुई थी या फिर वे एंटीजन टेस्ट में तो निगेटिव आए थे मगर उनका आरटीपीसीआर टेस्ट नहीं हुआ था और बाद में वे मौत के शिकार हो गए। ऐसे में एंटीजन टेस्ट में निगेटिव आए जो लोग मौत का शिकार हुए, उनकी भी मौत को कोरोना से हुई मौत नहीं माना गया, जबकि एंटीजन टेस्ट में निगेटिव रिपोर्ट आने के बाद आरटीपीसीआर टेस्ट में पॉजिटिव रिपोर्ट आने के कई उदाहरण हैं।
नपा 43 मौतें बता रही, जबकि 3 मुक्तिधामों में पहुंचे दोगुने शव
नगर पालिका क्षेत्र में अप्रैल एवं मई में कुल 43 लोगों की मृत्यु दर्ज की गई है जबकि शहर के 3 मुक्तिधामों में से रायपुर रोड स्थित मुक्तिधाम में ही 45 से 50 शवों का अंतिम संस्कार किया गया है। कोविड से संक्रमित 30 से 35 शवों का अंतिम संस्कार डीके कॉलेज के पीछे स्थित मुक्तिधाम में किया गया है। वहीं रिसदा रोड स्थित मुक्तिधाम में 15 से 20 लोगों का अंतिम संस्कार किया गया है। तीनों मुक्तिधाम में आए इन शवों में से 80 प्रतिशत शवों का दाह संस्कार कोरोना प्रोटोकॉल के तहत किया गया है।
जिनकी रिपोर्ट पॉजिटिव, वही मौत कोरोना से मानी जाएगी-सीएमएचओ
सीएमएचओ डॉ. खेमराज सोनवानी ने कहा कि केंद्र सरकार की जो गाइड लाइन है उसके अनुसार ही हम काम कर रहे हैं। कोरोना से मौत उन्हें ही माना जाता है, जिनकी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव हो।