बलौदा बाजार

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 28 मार्च। थाना सुहेला के गांव रानीजरौद में आग से जली महिला का इलाज करने के बजाय अंधविश्वास के चलते उसे जिंदा करने के लिए लाश को घर में चार दिन रखकर पूजा-पाठ करने वाली दंपत्ति समेत चार लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।
पुलिस के मुताबिक 19 दिसंबर 2020 को रामनारायण मारकण्डेय ढाबाडीह ने थाने में सूचना दी कि उसकी बेटी जुग्गा बाई (40 वर्ष) शादी होकर ग्राम रानीजरौद आई थी, जिसकी मौत हो गई है। इसकी सूचना मृतका के पति अमरदास कुर्रे ने अपने ससुर रामनारायण को दी थी। बेटी के ससुराल पहुंचकर रामनारायण ने बेटी की मौत के बारे में पूछताछ की तो बताया कि 15 दिसंबर 2020 की रात में जुग्गा बाई ने स्वयं अपने ऊपर मिट्टी तेल डालकर आग लगा ली थी और उसकी मौत हो गई। उसका इलाज करने के बजाय अंधविश्वास के चलते जुग्गा बाई को जिंदा करने के लिए उसके पति अमरदास कुर्रे, देवर अगरमनदास कुर्रे व पुत्र पुनम कुर्रे, तारेंद्र कुर्रे घर के एक कमरा में गुरु घासीदास की फोटो के सामने दीपक जलाकर लकड़ी व धान की बोरी में टिकाकर पूजा पाठ कर रहे थे
इसकी सूचना पर पुलिस वहां पहुंची और देखा कि मृतका जुग्गा बाई की लाश को एक कमरा में गुरु घासीदास बाबा के आसन गद्दी के पास बैठाकर पूजा पाठ की जा रही है। मृतका के पिता रामनारायण की रिपोर्ट पर मर्ग कायम कर लाश का पंचनामा नायब तहसीलदार सुहेला ममता ठाकुर ने किया। तब तक लाश सडऩे की स्थिति में आ गई थी।
मर्ग जांच में पता चला कि आग से जली घायल जुग्गा बाई को 15 दिसंबर की रात्रि से 19 दिसंबर की सुबह तक पूजा पाठ कर उसके पति, देवर व दो पुत्रों द्वारा जिंदा करने के लिए तत्कालिक इलाज सुविधा उपलब्ध नहीं कराने से जुग्गा बाई की इलाज के अभाव में मौत हो गई। पुलिस ने 27 मार्च को आरोपितों अमरदास कुर्रे, अगरमनदास कुर्रे, पूनम कुर्रे व तारेंद्र कुर्रे सभी निवासी रानीजरौद को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया। इस कार्रवाई में सुहेला थाना प्रभारी हरीश कुमार साहू, प्रआर संजय सोनी की भूमिका रही।