बलौदा बाजार

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 28 मार्च। होली के त्योहार से पहले जिले में कोरोना वायरस की रफ्तार बेकाबू होती दिख रही है। शहर हो या अंचल हर जगह कोरोना संक्रमण की बढ़ती रफ्तार चिंता का सबब बनी हुई है।
शुक्रवार को 44 तो शनिवार को 53 कोरोना संक्रमित मिले हैं। एक ही दिन में मरीजों की मिलने वाली यह संख्या पिछले डेढ़ महीने में प्रतिदिन मिलने वाले मरीजों की सबसे बड़ी संख्या है। शनिवार को एक मरीज की मौत भी हुई है। 1 से 18 मार्च तक 18 दिनो में जहां 168 कोरोना संक्रमित मिले हैं वहीं पिछले सिर्फ एक सप्ताह में ही 188 कोरोना के नए मरीज सामने आए हैं। 18 मार्च को जहां एक्टिव मरीजों की संख्या सिर्फ 83 थी वहीं 26 मार्च को सप्ताह भर में यह 214 पहुंच गई।
शनिवार की स्थिति में जिले में कुल संक्रमित मरीजों की संख्या 10245 पहुंच गई है, 255 सक्रिय मरीज हैं और 167 लोगो की मौत हो चुकी है।
जिला कोविड अस्पताल प्रभारी शैलेन्द्र साहू के अनुसार 10 दिन पहले कोविड अस्पताल में महज 7-8 मरीज ही थे मगर आज की स्थिति में 76 बिस्तरों वाले अस्पताल में 134 मरीज हो गए हैं। 40 बिस्तर का इंतजाम अस्पताल में अलग से करना पड़ा। यही रफ्तार रही तो बंद किए जा चुके कोविड सेंटरों को फिर से शुरू करना पड़ेगा। अब कोरोना के नए मरीजों में ज्यादातर तेज बुखार और अधिक लक्षण वाले आ रहे हैं। असावधानी और लापरवाही के चलते यह अन्य लोगों को भी बड़ी संख्या में संक्रमित कर रहे हैं।
कलेक्टर सुनील कुमार जैन ने जिले के लोगों को फिर चेताया कि अगर आप भी उन लोगों में से हैं, जो सोचते हैं कि कोरोना जा चुका है, अगर आपको भी मास्क पहनना बोझ लगने लगा है, तो सावधान हो जाइए. आपकी जरा सी लापरवाही पहले आपको चपेट में लेने का मौका दे रही है। इससे सिर्फ आप ही नहीं, बल्कि आपका परिवार और आपके दोस्त, करीबी सब खतरे में पड़ सकते हैं।
डॉक्टरी सलाह के बिना मेडिकल स्टोर्स से ले रहे दवा
एपीडेमियोलाजिस्ट डॉ. श्वेता शर्मा ने बताया कि पिछले एक सप्ताह में कोरोना से 6 मौतें हुई हैं। इनमें 3 मरीज 25 से 40 वर्ष के बीच के थे जबकि सभी 6 मरने वाले मरीज बिना डॉक्टर से सलाह लिए मेडिकल स्टोर्स से दवा लेकर खुद ही अपना उपचार कर रहे थे या फिर गांव के झोलाछाप डॉक्टर से इलाज करवा रहे थे । जब उन्हें जिला अस्पताल लाया गया तब तक उनकी हालात बहुत ज्यादा खराब हो चुकी थी
ज्यादातर मरीज कम उम्र के भी मिले रहे
कल तक लोगों में यह धारणा थी कि कोविड के अधिकतर शिकार उम्रदराज लोग ही होते हैं मगर जिला अस्पताल में भर्ती मरीजों पर नजर डालें तो आधे से ज्यादा संक्रमित 20 से 40 वर्ष के बीच के हैं।