बलौदा बाजार
56 केंद्रों में खरीदने की लिमिट बढ़ाई, लेकिन राहत नहीं
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 12 दिसंबर। बलौदाबाजार जिले में धान खरीदी की बढ़ती अव्यवस्था के बीच प्रशासन ने 56 केंद्रों में खरीदी लिमिट 20,000 क्विंटल बढक़र एक तरफ राहत देने की कोशिश की हैं। हालांकि यह कदम भी जरूरत से काफी कम है। नई लिमिट के मुताबिक अब जिले में प्रतिदिन एक 1 लाख 56 हजार क्विंटल धान खरीदा जा सकेगा, जबकि किसानों की आवक और मांग 1 लाख 87 हजार क्विंटल प्रतिदिन हैं। इसका मतलब है कि लगभग 31000 क्विंटल प्रतिदिन का अंतर बना रहेगा।
ज्ञात हो कि 56 केंद्रों की लिमिट बढ़ाना पर्याप्त नहीं है। तत्काल दो मोर्चो पर कार्यवाही करने की जरूरत हैं। पहला शेष केंद्रों की खरीदी लिमिट बढ़ाकर किसानों से धान खरीदी करने की गति तेज करनी होगी। दूसरा और सबसे जरूरी परिवहन व्यवस्था को पूरी क्षमता से शुरू कर केंद्रों में जमा 16.5 लाख क्विंटल धान को सुरक्षित गोदाम या मिलों तक पहुंचाना होगा।
50 से अधिक खरीदी केंद्रों के निर्धारित भंडारण क्षमता बफर लिमिट पूरी तरह पार हो चुकी हैं। कुल 166 केंद्रों में से 101 में परिवहन शुरू भी नहीं हुआ हैं। इस अव्यवस्था में किसानों को धान सूखने की चिंता सता रही हैं।
खरीदी केंद्रों में अब तक धान खरीदी और परिवहन
कुल खरीदी-17.74 लाख क्विंटल (धान खरीदी शुरू होने के 25 दिन बाद) जाम धान -लगभग 16.5 लाख क्विंटल (कुल खरीदी का 90 फीसदी से अधिक)
परिवहन शुरू नहीं -100 से अधिक केंद्र
बफर लिमिट पार -50 से अधिक केंद्र
परिवहन -मात्र 65 केंद्रों से लगभग 1.20 लाख क्विंटल
केंद्रों में रखे धान की स्थिति- 50 से अधिक केंद्रों की भंडारण क्षमता (बफर लिमिट) पूरी तरह पार हो चुकी हैं। जहां आमतौर पर 9600 क्विंटल का भंडारण होना चाहिए, वहां दुगने से अधिक धान जाम पड़ा है।
भवानीपुर लिमिट 9600 क्विंटल -स्टॉक 21000 क्विंटल, गिर्रा लिमिट 9600 क्विंटल- स्टॉक 21200 क्विंटल, बया लिमिट 9600 क्विंटल -स्टॉक 21000 क्विंटल, कोसमंदी में 20 हजार क्विंटल। सबसे बड़ी समस्या परिवहन की है खरीदे गए धान का लगभग 90 फीसदी आज भी केंद्रों पर जाम पड़ा हैं। सौ से अधिक केंद्र ऐसे हैं जहां से एक भी ट्रक धान लेकर नहीं निकला हैं।
2. 5 लाख क्विंटल का डीओ कट चुका है-अधिकारी
इस संबंध में जिला खाद्य अधिकारी पुनीत वर्मा का कहना है कि 2.5 लाख क्विंटल धान का डिलीवरी ऑर्डर (डीओ) कट चुका है और परिवहन शुरू हो गया हैं। उन्होंने कहा कि जल्द ही परिवहन और उठाओ में तेजी आएगी।
टोकन के अभाव में धान सूख रहा, रखवाली भी चुनौती
जिले के खरीदी केंद्रों पर धान का जाम और परिवहन ठप होने से किसानों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। अब एक नई समस्या सामने आई है। टोकन नहीं काटने से किसान अपना धान बेच नहीं पा रहे हैं, जिससे खलिहान में पड़ा उनका धान सूखता जा रहा है। किसानों को डर है कि धान के वजन में कमी से उन्हें भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा।
ग्रामीण रघुनंदन वर्मा, झाड़ीराम कनोजे, दीपक साहू और तुका वर्मा ने मीडिया को बताया कि वे रोज धान बचने के लिए टोकन कटवाने का प्रयास करते हैं, लेकिन 15 से 20 दिन के लंबे इंतजार के बाद भी टोकन नहीं मिल पा रहा हैं। इस देरी से उनका धान खुले आसमान के नीचे पड़ा पड़ा सूख रहा है और उसके हिसाब से वजन घटता जा रहा है, जिससे बिक्री पर सीधा असर पड़ेगा। इधर घर या खलिहान में धान को सुरक्षित रखना भी किसानों के लिए चुनौती बना हुआ है। रतजगा करने की भी नौबत है।


