बलौदा बाजार
सीएम की घोषणा से हर्ष की लहर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 11 दिसंबर। सोनाखान में आयोजित वीर मड़ई और शहीद वीर नारायण सिंह की शहादत दिवस का आयोजन इस बार ऐतिहासिक बन गया। जनता की मौजूदगी में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने वह घोषणा की जिसका इंतजार बरसों से किया जा रहा था। सीएम ने सोनाखान-कसडोल क्षेत्र को इको-टूरिज्म पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने की औपचारिक घोषणा की। सरकार का यह फैसला इस आदिवासी बहुल और प्राकृतिक धरोहर से भरपूर क्षेत्र को नई पहचान दिलाने में बड़ी भूमिका अदा करेगा।
मुख्यमंत्री के इस निर्णय को न सिर्फ स्थानीय लोगों ने सराहा, बल्कि इसे पूरे जिले के विकास की दिशा में मील का पत्थर भी बताया. सोनाखान की धरती पर पहली बार किसी मुख्यमंत्री ने पर्यटन विकास को लेकर इतनी बड़ी घोषणा की है। कार्यक्रम के दौरान राज्य के कई वरिष्ठ मंत्री, जनप्रतिनिधि और आदिवासी समाज के प्रमुख जन भी मौजूद रहे.
जनपद पंचायत कसडोल के सभापति मोरध्वज पैकरा कहते हैं कि वो लगातार इस संबंध में शासन तक लोगों की बात पहुंचाते रहे हैं। जनपद पंचायत कसडोल के सभापति मोरध्वज पैकरा ने कहा कि कसडोल और सोनाखान क्षेत्र को पर्यटन मानचित्र पर लाने की मांग लंबे समय से की जा रही थी। उन्होंने बताया कि लोक सुराज अभियान सहित कई प्लेटफॉर्म पर उन्होंने इस विषय को मुख्यमंत्री के समक्ष प्रमुखता से रखा। आज इस महत्वपूर्ण निर्णय से उनके प्रयास सफल साबित हुए हैं। मोरध्वज ने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, मंत्री रामविचार नेताम, केदार कश्यप सहित भाजपा सरकार का आभार जताया. पैकरा ने कहा कि यह घोषणा सिर्फ एक योजना नहीं है, बल्कि इस पूरे क्षेत्र की दिशा बदलने वाली शुरुआत है।
ज्ञात हो कि सोनाखान और कसडोल का वन क्षेत्र प्राकृतिक सौंदर्य, घने जंगलों, झरनों और जैव-विविधता से समृद्ध है. यहां का बलार झिरी, पहाड़ी जलस्रोत, प्राकृतिक नालें, वन्यजीव और पारंपरिक ग्राम संस्कृति इसकी पहचान हैं। आपको बता दें कि यह वही धरती है जहां शहीद वीर नारायण सिंह ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह की शुरुआत की थी।
पर्यटन स्थल -वीर नारायण सिंह स्मृति भवन, शहीद स्थल, बलार झिरी और अन्य प्राकृतिक झरने, घने वन और वन्यजीव संरक्षण क्षेत्र, आदिवासी संस्कृति और लोक जीवन
इको-टूरिज्म विकास से फायदा-मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद अब यह क्षेत्र योजनाबद्ध तरीके से पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा। इको-टूरिज्म के माध्यम से यहां कई तरह के परिवर्तन संभव है।
रोजगार के नए अवसर- स्थानीय युवाओं के लिए गाइड, सुरक्षा, परिवहन, होम-स्टे, फूड पॉइंट, हैंडीक्राफ्ट बिक्री जैसे कई रोजगार के मौके मिलेंगे।
संस्कृति और धरोहर का संरक्षण, आदिवासी संस्कृति, वनों की परंपरा और स्थानीय इतिहास को संरक्षित करने में मदद मिलेगी।
राज्य की पर्यटन आय में वृद्धि- सोनाखान को पर्यटन मानचित्र पर आने से प्रदेश के पर्यटन आय में एक नया हिस्सा जुड़ेगा। सतत विकास मॉडल स्थापित होगा।
इको-टूरिज्म पर्यावरण-अनुकूल पर्यटन की दिशा में एक मजबूत कदम है। इससे पर्यावरण संतुलन भी बना रहेगा.
सभापति ने लिखा था सीएम को पत्र
6 दिसंबर 2025 को जनपद पंचायत कसडोल के सभापति मोरध्वज पैकरा ने मुख्यमंत्री को पत्र क्रमांक 008 भेजा था, जिसमें सोनाखान-कसडोल क्षेत्र को इको-टूरिज्म केंद्र बनाने का विस्तृत प्रस्ताव रखा गया था। पत्र में क्षेत्र की प्राकृतिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विशेषताओं का उल्लेख किया गया था। आज की घोषणा से यह पत्र आधिकारिक स्वीकृति की दिशा में पहला कदम साबित हुआ है।
सोनाखान का बढ़ता महत्व
शहीद वीर नारायण सिंह के कारण सोनाखान पहले से ही प्रदेश के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। हर साल यहां श्रद्धांजलि समारोह और वीर मड़ई का आयोजन किया जाता है। लोगों की भारी भीड़ उमड़ती है, लेकिन पर्यटन सुविधाओं की कमी के कारण यह क्षेत्र अपनी क्षमता का पूरा उपयोग नहीं कर पाया।
मुख्यमंत्री की घोषणा क्यों है ऐतिहासिक
इस घोषणा से सोनाखान-कसडोल के विकास के दरवाजे खुल गए हैं. पर्यटन मंत्री, वन विभाग, ग्रामीण विकास, जनपद पंचायत, जिला प्रशासन सभी अब संयुक्त रूप से योजनाएं तैयार करेंगे. यह सिर्फ एक घोषणा नहीं, बल्कि क्षेत्रीय विकास की नई राह है. इसका सीधा असर जिले के विकास पर भी पड़ेगा. कसडोल, सोनाखान, आसपास के गांव, स्थानीय व्यवसाय, हस्तशिल्प और परिवहन सबको इसका फायदा मिलेगा. घोषणा के बाद कार्यक्रम स्थल में मौजूद आदिवासी समाज के लोग उत्साहित नजर आए. कई स्थानीय लोगों ने कहा कि वर्षों बाद किसी सरकार ने इस क्षेत्र की क्षमता को समझा है.


