बलौदा बाजार

शीतकाल में प्रवासी पक्षियों से छुईहा जलाशय रहता था गुलजार, आमद घटी
23-Nov-2025 8:53 PM
शीतकाल में प्रवासी पक्षियों से छुईहा जलाशय रहता था गुलजार,  आमद घटी

'छत्तीसगढ़Ó संवाददाता
बलौदाबाजार, 23 नवंबर।
शीतकाल की शुरुआत के बावजूद इस वर्ष अब तक छुईहा जलाशय में प्रवासी पक्षियों की आमद दर्ज नहीं की गई है। जिला मुख्यालय से लगभग 2 किलोमीटर दूर स्थित यह जलाशय पहले प्रवासी पक्षियों के लिए प्रमुख ठहराव स्थल माना जाता रहा है। स्थानीय पक्षी प्रेमियों के अनुसार, पूर्व वर्षों में यहां यूरोप, तिब्बत, साइबेरिया, मंगोलिया, चीन, कोरिया और अन्य क्षेत्रों से पक्षियों का आगमन होता था।
पक्षियों की संख्या में कमी के संबंध में स्थानीय पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में जलाशय क्षेत्र में निर्माण गतिविधियों में बढ़ोतरी, जलाशय के आसपास औद्योगिक क्षेत्र में विस्तार, कुछ क्षेत्रों में पक्षियों के अवैध शिकार की घटनाएँ, और कुछ मौसमों में जलस्तर में कमी जैसे कारणों से यहां आने वाले प्रवासी पक्षियों की संख्या प्रभावित हुई है।
स्थानीय लोगों का यह भी कहना है कि अब कुछ पक्षी केवल जलाशय के दूरस्थ किनारों पर दिखाई देते हैं।
प्रवासी पक्षियों के लिए जलाशय का महत्व
विशेषज्ञ बताते हैं कि जब मूल आवास क्षेत्रों में अत्यधिक ठंड या बर्फबारी की स्थिति बनती है, तब प्रवासी पक्षी दक्षिण एशिया के अपेक्षाकृत गर्म और उथले जलाशयों में आश्रय लेते हैं। ऐसे जलस्रोतों में जलवनस्पतियाँ और छोटी मछलियाँ उनके भोजन के लिए उपलब्ध रहती हैं, जो छुईहा जलाशय में पूर्व में पर्याप्त रूप से मिलती रही हैं।
भरसैला सहित जिले के अन्य उथले जलाशयों में भी पूर्व में बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षियों का आगमन दर्ज किया जाता रहा है।
स्थानीय दिक्कतें और संरक्षण की आवश्यकता
पिछले चार-पांच वर्षों से जलाशय के जलस्तर में कमी तथा कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा अवैध शिकार की घटनाएँ भी सामने आई हैं, जिनका नकारात्मक प्रभाव पक्षियों के रुकने पर पड़ा है।
स्थानीय वन्यजीव प्रेमियों का कहना है कि यदि जलाशय के आसपास के क्षेत्र में पूर्व जैसी अनुकूल परिस्थितियाँ पुन: निर्मित की जाएँ और सुरक्षा व्यवस्था मजबूत की जाए, तो प्रवासी पक्षियों की आमद में सुधार की संभावना है।
प्रदूषण एक महत्वपूर्ण कारक
जलाशय के कैचमेंट क्षेत्र में अतिक्रमण, आसपास औद्योगिक इकाइयों से होने वाला प्रदूषण और खेतों में पराली जलाने से उठने वाला धुआँ भी पक्षियों के आवास पर असर डाल रहा है।
कुछ नागरिकों का कहना है कि जलाशय की सतह पर काली परत के रूप में प्रदूषण के संकेत देखने को मिल रहे हैं, जिससे पानी की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है।
संरक्षण के सुझाव
स्थानीय पर्यावरण प्रेमियों के अनुसार— सिंचाई विभाग और वन विभाग द्वारा संयुक्त रूप से सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाई जाए, अवैध शिकार पर सख्त निगरानी रखी जाए,जलाशय किनारे सरकारी भूमि पर पक्षी-अनुकूल वृक्षारोपण किया जाए,
  तो यह क्षेत्र एक बार फिर वर्षभर विभिन्न पक्षी प्रजातियों के लिए उपयुक्त आवास बन सकता है।


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