बलौदा बाजार
पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने जताई चिंता
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 2 नवंबर। बलौदाबाजार जिले के ग्राम कुकुरडीह के पास स्थित एक सीमेंट संयंत्र में कोनोकार्पस नामक पौधे का रोपण किया जा रहा है। इस संबंध में क्षेत्र के कुछ पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने चिंता व्यक्त की है। उनके अनुसार यह पौधा नीलगिरी की तरह जमीन से अधिक पानी खींचता है और इससे परागण से श्वसन रोगियों को तकलीफ हो सकती है।
सूत्रों के अनुसार, कुकुरडीह स्थित संयंत्र में लगभग 17,000 कोनो कार्पस पौधे लगाने की योजना बनाई गई है, जिसका कार्यान्वयन नवंबर माह से शुरू होना है। संयंत्र प्रबंधन द्वारा अन्य पौधों की तुलना में इस प्रजाति को प्राथमिकता दी जा रही है।
बलौदाबाजार नगर के कुछ पर्यावरण जानकारों का कहना है कि यह वृक्ष जल की खोज में गहरी जड़ें फैलाता है और आसपास के जल स्रोतों को प्रभावित कर सकता है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि संयंत्र प्रबंधन ने इस पौधे को इसलिए चुना क्योंकि यह तेजी से बढ़ता है और कम समय में हरियाली का आभास देता है। उन्होंने यह भी बताया कि गुजरात, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु जैसे राज्यों में कोनोकार्पस पर प्रतिबंध लगाया गया है।
पर्यावरण हितचिंतकों ने कहा है कि कोनो कार्पस 24 घंटे कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ता है। इसलिए किसी प्रकार से पर्यावरण अनुकूल वृक्ष नहीं है। उनके अनुसार यदि यह वृक्ष पर्यावरण के अनुकूल होता तो वन विभाग और उद्यानिकी विभाग अपनी नर्सरियों में इसे लगाते, परंतु ऐसा नहीं किया जाता।
कुछ विशेषज्ञों का मत है कि कोनो कार्पस विदेशी प्रजाति है, जो स्थानीय वनस्पतियों के लिए प्रतिस्पर्धा उत्पन्न कर सकती है और इससे एलर्जी या श्वसन संबंधी दिक्कतें हो सकती हैं।
स्थानीय पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने प्रशासन से इस विषय पर संज्ञान लेकर पौधारोपण की समीक्षा करने की मांग की है।


