बलौदा बाजार
कर्मचारियों ने धरना-प्रदर्शन कर निकाली रैली, सौंपा ज्ञापन
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 27 अक्टूबर। छत्तीसगढ़ में आगामी 15 नवंबर से धान खरीदी की तैयारियों के बीच, छत्तीसगढ़ सहकारी समिति कर्मचारी महासंघ और कंप्यूटर ऑपरेटर संघ ने अपनी चार सूत्रीय मांगों को लेकर 12 नवंबर से प्रदेशव्यापी अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा की है।
संघ ने सरकार को चेतावनी दी है कि यदि मांगें पूरी नहीं होतीं, तो धान खरीदी प्रक्रिया का बहिष्कार किया जाएगा।
रविवार को बलौदाबाजार के दशहरा मैदान में एक दिवसीय धरना प्रदर्शन आयोजित किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में समिति कर्मचारी और ऑपरेटर शामिल हुए।
धरना स्थल से रैली निकालकर कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री, सहकारिता मंत्री, वित्त मंत्री और खाद्य मंत्री के नाम नायब तहसीलदार हुमेश साहू को ज्ञापन सौंपा।
संघ ने बताया कि इस आंदोलन में प्रदेश के लगभग 15,800 समिति कर्मचारी और 2,739 उपार्जन केंद्रों के ऑपरेटर शामिल हैं।
संघ की चार मुख्य मांगें- धान खरीदी वर्ष 2023-24 एवं 2024-25 की संपूर्ण सुखद राशि समितियों को प्रदान की जाए। धान परिवहन में विलंब रोकने के लिए प्रत्येक सप्ताह संपूर्ण धान परिवहन सुनिश्चित किया जाए। धान खरीदी में शॉर्टेज, प्रोत्साहन, कमीशन, सुरक्षा व्यय बढ़ाया जाए तथा मध्यप्रदेश की तर्ज पर उचित मूल्य विक्रेताओं को 3000 प्रतिमाह मानदेय दिया जाए। धान खरीदी नीति 2024-25 की कंडिका 11.3.3 के तहत आउटसोर्सिंग से ऑपरेटर की नियुक्ति समाप्त कर विभागीय रूप से नियमितीकरण किया जाए।
पहले भी मिला था आश्वासन
संघ के पदाधिकारियों ने बताया कि पिछले वर्ष भी धान खरीदी से पहले आंदोलन किया गया था, तब शासन ने मांगें मानने का आश्वासन दिया था।
हालांकि, एक वर्ष बीत जाने के बाद भी कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है, जिससे कर्मचारियों में गहरा असंतोष और आक्रोश है।
चरणबद्ध आंदोलन की रूपरेखा-24 अक्टूबर को जिला मुख्यालयों पर रैली व ज्ञापन सौंपा गया। मंगलवार 28 अक्टूबर को संभागीय स्तर पर महाहुंकार रैली निकाली जाएगी।
3 से 11 नवंबर तक संभागीय स्तर पर क्रमिक आंदोलन चलेगा। 12 नवंबर से चार सूत्रीय मांगों की पूर्ति तक अनिश्चितकालीन हड़ताल* प्रारंभ की जाएगी।
धान खरीदी शुरू होने से ठीक पहले कर्मचारियों के आंदोलन के ऐलान से प्रशासनिक तैयारियों पर असर पडऩे की संभावना जताई जा रही है।
संघ ने साफ कहा है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे धान खरीदी कार्य में भाग नहीं लेंगे।


