बलौदा बाजार
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 14 अक्टूबर। बलौदाबाजार और आसपास के ग्रामों की लाइफलाइन माने जाने वाले छुईहा जलाशय की नहर फटने के कारण जलाशय का पानी पिछले सप्ताह भर से व्यर्थ बह रहा हैं।
‘छत्तीसगढ़’ टीम द्वारा मौके पर जाकर की गई। जांच में जलाशय के गेट के राड भी टूटे हुए मिले हैं जिससे गेट पूरी तरह से बंद नहीं हो पा रहा हैं और पानी नहर के माध्यम से बर्बाद हो रहा हैं। जलाशय का पानी आदि जल्द नहीं रोका गया तो आने वाले ग्रीष्म काल में जलाशय खाली हो सकता हैं। जिससे बलौदाबाजार और आसपास के क्षेत्र में गंभीर जल संकट उत्पन्न हो सकता हैं।
जल संकट की आशंका
जलाशय का पानी तेजी से बहाने से यदि शीघ्र ध्यान नहीं दिया गया तो आगामी ग्रीष्मकाल में यह जलाशय सूख सकता हैं जिससे बलौदाबाजार नगर और आसपास के गांव में जल संकट की स्थिति पैदा हो सकती हैं। इस जलाशय का पानी ग्राम पंचायत छुईहा, छोटे छुईहा, सोनपुरी, भरसेली आदि क्षेत्रों के भूजल स्तर को रिचार्ज करता हैं और किसानों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराता हैं।
जलाशय का पानी व्यर्थ बह रहा
छुईहा जलाशय इस समय लबालब भरा हुआ है लेकिन कुछ सामाजिक तत्वों द्वारा मछली पकडऩे के लालच में जलाशय की गेट को बार-बार खोला जा रहा है जिससे जलाशय का पानी नहर के माध्यम से तेजी से बह रहा हैं। जलाशय से बलौदाबाजार की ओर आने वाली नहर भी कई स्थानों पर टूटी हुई हैं। जिससे जलाशय का पानी नहर के बजाय फुटी हुई नहर से बह रहा हैं। स्थिति बेहद चिंताजनक है क्योंकि जलाशय का पानी जो कृषि कार्यों और भूजल स्तर को बनाए रखने के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। अब बर्बाद हो रहा है
यह जलाशय केवल जलाशय ही नहीं बल्कि कृषि के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। छुईहा जलाशय से निकलने वाली नहर से बलौदाबाजार के लगभग 1700 पंजीकृत किसानों को सिंचाई के लिए पानी मिलता हैं जिससे लगभग 1800 एकड़ भूमि पर कृषि कार्य होता हैं। ग्रीष्मकाल में जलाशय के सूखने से किसानों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है क्योंकि इससे उनकी फसलों को पानी की कमी हो सकती है
जलाशय की मरम्मत के प्रयास
इस जलाशय के पानी को बचाने और नुकसान से बचने के लिए जल संसाधन विभाग में पानी बहने को रोकने के प्रयास शुरू कर दिए हैं। सोमवार को अधिकारियों ने जलाशय का निरीक्षण किया और मंगलवार को पैराएं रेत बोरे आदि से पानी बहने को रोकने का कार्य किया जाएगा।
छुईहा जलाशय से बलौदाबाजार और आसपास के लगभग 1700 किसानों को सिंचाई के लिए पानी मिलता हैं। जलाशय का पानी भूजल स्तर रिचार्ज करने में मदद करता है और नगर के तालाबों को भरने का काम करता हैं। ग्रीष्मकाल में जलाशय का पानी सूखने से जल संकट उत्पन्न हो सकता है जिससे ग्रामीणों और किसानों को कठिनाई होगी।


