बलौदा बाजार
बलौदाबाजार, 11 अक्टूबर। पति की दीर्घायु स्वस्थ व सौभाग्य की कामना करते हुए शुक्रवार को सुहागिनों ने करवा चौथ का व्रत रखा। पं. धनेश्वर प्रसाद शास्त्री ने बताया कि भारतीय परंपरा के चार आश्रमों में गृहस्थ आश्रम का सबसे महत्वपूर्ण स्थान है पति व्रत को महिलाओं का परम धर्म माना जाता हैं।
सूर्योदय से लेकर चांद के दीदार होने तक पति की दीर्घायु के लिए निर्जला व्रत का पालन किया, फिर चंद्रदेव के दर्शन कर अखंड सौभाग्य का वरदान मांगा।
कार्तिकमास कृष्ण पक्ष चतुर्थ करवा चौथ को विवाहित महिलाओं दिन भर अन्न, जल का त्याग कर आस्था के सहारे यह कठिन व्रत रखा। इस अवसर पर कलश में रखे जल की करवा माता के रूप में पूजा की, तत्पश्चात देर रात चांद देखने के बाद छलनी में अपने पति की झलक देखकर उनके हाथों से पानी पीकर पति महिलाओं ने अपना व्रत तोड़ा।
इससे पूर्व महिलाओं ने सूर्योदय से पहले उठकर भगवान शिव, पार्वती, गणेश, कार्तिकेय की पूजा की। सूर्योदय से प्रारंभ होकर चंद्रोदय तक चलने वाले इस व्रत के दौरान कुछ नियमों का पालन किया।
शाम के समय घर की सभी व्रती महिलाएं पूजा थाली के साथ एकत्रित होकर करवा चौथ व्रत की कथा सुनने के पश्चात विधान के अनुसार छलनी से चांद को देखने के पश्चात पति के चेहरे को देखकर अघ्र्य दिया। पति ने अपनी पत्नी को पानी पिलाकर व्रत तोड़ा।
पहले हुई चंद्रदेव की पूजा
दिनभर का निर्जला व्रत चंद्रदर्शन के साथ पूरा हुआ। व्रती महिलाएं पहले चंद्रदेव की पूजन किये, उसके बाद चलनी में दीप रखकर उन्हें देख उसके बाद अपने पति का दर्शन किए. चंद्रदर्शन और अघ्र्य के साथ ही व्रत भी पूर्ण हुआ।


