बलौदा बाजार

बलौदाबाजार में घायल गौवंश के लिए रात्रिकालीन उपचार व्यवस्था शुरू
10-Oct-2025 3:01 PM
बलौदाबाजार में घायल गौवंश के लिए रात्रिकालीन उपचार व्यवस्था शुरू

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बलौदाबाजार, 10 अक्टूबर। जिले में घायल या बीमार गौवंश के लिए अब रात्रिकालीन उपचार की व्यवस्था शुरू हो गई है।

नगर में लंबे समय से ऐसी सुविधा उपलब्ध नहीं थी, जिसके कारण दुर्घटनाग्रस्त या बीमार पशुओं का समय पर इलाज नहीं हो पाता था। विश्व हिंदू परिषद जिला अध्यक्ष अभिषेक तिवारी ने इस विषय को लेकर पशु चिकित्सा विभाग के उप संचालक डॉ. नरेन्द्र सिंह से चर्चा की। तिवारी ने आग्रह किया कि नगर में प्रतिदिन रात्रि के समय चिकित्सक की ड्यूटी सुनिश्चित की जाए, ताकि घायल या बीमार गौवंश का तत्काल उपचार संभव हो सके।

डॉ. सिंह ने इस पर संज्ञान लेते हुए रात्रिकालीन चिकित्सकों की सूची जारी की। अब बलौदाबाजार क्षेत्र में रात के समय भी पशु चिकित्सा सुविधा उपलब्ध रहेगी।

अभिषेक तिवारी ने कहा—गौमाता केवल हमारे धर्म और संस्कृति का प्रतीक नहीं, बल्कि करुणा, मातृत्व और जीवन का आधार हैं। अब जब रात्रिकालीन उपचार की व्यवस्था शुरू हो गई है, हम सबका कर्तव्य है कि किसी भी घायल या बीमार गौमाता की सूचना तुरंत चिकित्सक या गौसेवा दल को दें। गौसेवा हमारा धर्म है, और हर नागरिक को इसमें अपना योगदान देना चाहिए।

 

सामाजिक संगठनों और नागरिकों की प्रतिक्रिया

इस व्यवस्था पर स्थानीय सामाजिक संगठनों, गौशाला संचालकों और नागरिकों ने प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि—यह पहल गौसेवा का मील का पत्थर है। अभिषेक तिवारी के प्रयासों ने न केवल गौमाताओं को जीवनदान दिया है, बल्कि मानवीय संवेदना का भी उदाहरण प्रस्तुत किया है।

नगर के वरिष्ठ नागरिकों, गौशाला संचालकों, विश्व हिंदू परिषद एवं बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने भी धन्यवाद व्यक्त करते हुए कहा—अभिषेक तिवारी ने यह सिद्ध कर दिया है कि सच्ची निष्ठा और समाजसेवा के बल पर असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है। उनकी पहल से अब बलौदा बाजार की पहचान गौसेवा केंद्र के रूप में होगी।

स्थानीय स्तर पर यह उम्मीद जताई जा रही है कि रात्रिकालीन चिकित्सा सुविधा शुरू होने के बाद बलौदाबाजार जिला छत्तीसगढ़ में गौसेवा के आदर्श मॉडल के रूप में सामने आ सकता है।

अभिषेक तिवारी ने कहा— गौसेवा केवल एक कार्य नहीं, बल्कि यह राष्ट्र सेवा, धर्म सेवा और मानवता की सर्वोच्च साधना है। जब तक एक भी गौमाता असहाय है, तब तक हमारी सेवा अधूरी है। यह व्यवस्था उसी अधूरी सेवा को पूर्ण करने की दिशा में एक कदम है।


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