बलौदा बाजार

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
भाटापारा, 6 सितंबर। श्री आदिनाथ नवग्रह पंच बाल्याती दिगंबर जैन मंदिर में पर्युषण पर्व का आठवां दिवस धूमधाम से मनाया गया। आज उत्तम त्याग धर्म है, सर्वप्रथम श्री मल्लीनाथ भगवान की प्रतिमा मस्तक पर विराजमान कर अभिनंदन मोदी ने पाण्डुक शिला में विराजमान की, उसके बाद मंगल अभिषेक प्रारंभ हुआ, आज की शांति धारा का सौभाग्य अभिनंदन आलोक अभिनव रजनी सुरभि मोदी परिवार एवं महेंद्र कुमार राहुल शर्मिला खुशी बडकुल विदिशा परिवार को प्राप्त हुआ।
शांति धारा के पश्चात भगवान की मंगल आरती की गई। सभी ने भक्ति भाव से नृत्य करते हुए भगवान की मंगल आरती संपन्न की. आरती के पश्चात श्री जी की प्रतिमा बेदी पर विराजमान की गई और पर्यूषण पर्व की पूजा प्रारंभ हुई देव शास्त्र गुरु पूजा, भगवान आदिनाथ पूजा, सोलह कारण पूजा, दश लक्षण पूजा 24 तीर्थंकर का अर्द्ध, आचार्य विद्यासागर जी, मुनि चिन्मय सागर जी की पूजा संपन्न हुई।
धर्म सभा को संबोधित करते हुए अभिषेक मोदी ने बताया- धर्म का आठवां लक्षण है, उत्तम त्याग धर्म, त्याग का अर्थ है मूर्छा का विसर्जन। पर पदार्थ से ममत्व भाव को छोडऩा । मोक्ष मार्ग में त्याग का बहुत महत्व है। त्याग और दान के बिना ना व्यक्ति का जीवन चलता है, ना समाज का जीवन चलता है ।जो बुरा है, उसे त्यागो । मोह माया से मुक्त होने के प्रयास का नाम त्याग है। त्याग ही जीवन को ऊपर उठाता है, त्याग ही मुक्ति का मार्ग है। जो मुनी समस्त पर द्रव्यों से मुंह छोडक़र, संसार शरीर और भोगों से उदासीन भाव रखता है ।उसको त्याग धर्म होता है। इस जीव ने अनादि काल से मोह रूपी मदिरा को पी रखा है। इसलिए यह अपने स्वरूप को भूलकर पर पदार्थों को अपना मानकर व्यर्थ ही संसार में भ्रमण कर रहा है। वास्तव में यहां किसी का कुछ भी नहीं है।
सांसारिक सुख सब कर्माधीन है ।कर्म का उदय कैसे परिवर्तन लाएगा कहा नहीं जा सकता ।सांसारिक सुखों की आकांक्षा दुख लेकर आती है। और दुख का बीज छोडक़र जाती है। सर्व संसार के दुखों का मूल कारण भोगों की रचना है। यह प्राणी भोगों के लिए दिन-रात धन कमाता है। जब न्याय से धन नहीं आता तब अन्याय पर कमर कस लेता है। और समस्त धर्म कर्म को छोड़ देता है ।शांति विलासिता ग्रहण में नहीं, त्याग में है। जितना ग्रहण उतनी अशांति ,और जितना त्याग उतनी शांति। त्याग बिना शांति के नहीं सकती है। जिसे अपनी निजी संपदा का बोध हो जाता है ।उसका बाह्य संपदा के प्रति मोह तो अपने आप कम हो जाता है ।
अंत में अरिंजय मोदी के द्वारा जिनवाणी स्तुति संपन्न की गई। रात्रि कालीन भगवान आचार्य श्री महाराज जी की मंगल आरती संपन्न की गई।
कार्यक्रम में प्रमुख रूप से नवीन, नितिन,सचिन ,पंकज, भावना, गदिया, प्रकाश, आलोक, विनोद, अभिषेक,अक्षत, अभिनव ,अभिनंदन , अरिंजय ,अविरल, मोदी, सुमन लता ,रजनी , अंशु ,नेहा, सुरभि, रोशनी मोदी ,अभिलाषा जैन, अनुराग अंकुश जैन, संतोष मयंक बबीता जैन आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे।