बलौदा बाजार

यूक्रेन से बलौदाबाजार पहुंची बेटी, मां बाप को देखकर लिपट गई
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 9 मार्च। बलौदाबाजार पहुंची मुस्कान ने अपने आप पर बीती घटना को बताया कि 8 डिग्री सेल्सियस तापमान में 16 घंटे हंगरी बॉर्डर के बाहर खड़े रहना जिंदगी में ताउम्र याद रहेगा। यूक्रेन में रूसी मिसाइलों के धमाकों से खुद को बचाना किसी जंग से कम नहीं था, सडक़ों के चारों तरफ बज रहे सायरन की आवाज से दिल की धडक़न और भी तेज हो रही थी, हंगरी बॉर्डर पर जब प्रवेश की अनुमति मिली तो 17 घंटे में 10 किलोमीटर का सफर समान पीठ पर उठाकर पैदल तय किया, साथ में ना खाना था और ना ही पानी यह बैग खौफनाक मंजर यूक्रेन से बलौदाबाजार लौटी छात्रा मुस्कान ने बयान किया है।
छात्रा मुस्कान ने बताया कि यूक्रेन के खारकीव और कीव के हालातों की खबरें न्यूज़ चैनलों पर देखने के बाद खुद ब खुद दिल दहल जाता था, वहां रूसी सीमा से जेपप्रोजिया शहर विपरीत पश्चिमी छोर पर और यहां के हालात नहीं बिगड़े लेकिन फिर भी उन्हें डर लगा रहता कि कोई रूसी मिसाइल ना गिर जाए, इस दौरान उन्हें वहां लगातार चेतावनी भी दी जा रही थी।
शहर की रहने वाली वाल्मीकि ध्रुव की बेटी मुस्कान यूक्रेन के जेप्रोजिया यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस फर्स्ट ईयर की छात्रा है। छात्रा मुस्कान हंगरी एयरपोर्ट से निकलकर फ्लाइट के जरिए सोमवार को रायपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट पहुंची थी, दहशत के बीच से निकल कर आ रही बेटी के इंतजार में छात्रा के पिता और उसकी मां संतोषी धरो रायपुर एयरपोर्ट पर इंतजार कर रहे थे। फ्लाइट के बाहर आते ही बेटी अपने माता पिता से लिपट गई। बेटी के सही सलामत वतन वापसी पर माता-पिता की आंखें नम हो गई।
बेटी को देखकर सुकून मिला वाल्मीकी
छात्रा मुस्कान के पिता वाल्मीकी ने कहा कि यूक्रेन में लगातार हो रहे बमबारी के बीच बेटी के जेप्रोजिया शहर में उसके फंसे होने से पूरा परिवार खौफ ज्यादा था। वापस लौटी बेटी को देखकर सुकून मिला है, वहीं छात्रा मुस्कान ने बताया कि यूक्रेन में भी तय है उसके पिछले कुछ दिनों पूरी तरह से दहशत भरे थे। जब भी फाइटर प्लेन उसके अपार्टमेंट के ऊपर से होकर गुजरते थे तो सह में रहते थे सायरन की आवाज साये साये बजती जो धडक़न बढ़ा देती थी।