बलौदा बाजार

हम भूखे बेहाल है, लेकिन जान बचाने की चिंता...
02-Mar-2022 1:42 PM
हम भूखे बेहाल है, लेकिन जान बचाने की चिंता...

यूक्रेन में फंसे मुस्कान ने मां से कहा
'छत्तीसगढ़' संवाददाता
बलौदाबाजार, 2 मार्च। 
यूक्रेन में भारतीय छात्र के रूसी हमले की चपेट में आने से हुई मौत के बाद यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों के परिवार वालों की धड़कनें बढ़ गई है, मेडिकल की पढ़ाई के लिए 10 दिन पहले ही यूक्रेन गई शहर की मुस्कान ध्रुव हो या फिर 3 साल से यूक्रेन के मेडिकल इंस्टिट्यूट से एमबीबीएस कर रही पूर्वी नेताम के माता-पिता की चिंताएं भी अब और बढ़ गई है। परिजन अपनी बेटियों की सुरक्षित वापसी के लिए लगातार प्रार्थना कर रहे हैं। परिजनों की चिंताएं हमले को लेकर टीवी पर मिल रहे लगातार अपडेट से और बढ़ रही है। इस बीच मंगलवार को फिर मुस्कान ने अपनी मां से कहा कि हम भूखे हैं और बेहाल हैं, पर चिंता भूख की नहीं जान बचाने की है। वह ट्रेन से हंगरी के लिए निकल चुकी है, पर भारत कब पहुंचेगी, इसे लेकर वह बेहद चिंतित है।

शहर के लवन मार्ग स्थित परसाभदेर रोड निवासी वाल्मीकि ध्रुव की बड़ी बेटी मुस्कान 19 फरवरी को ही मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए जेप्रोजिया नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी गई थी। विश्वविद्यालय के अपार्टमेंट में साथ रह रहे आदित्य शर्मा, कल्पना वर्मा, आदित्य ठाकुर, कार्तिक साहू, अमन सर्वेश सहित 5 साथी रूस के हवाई हमलों के बीच राजधानी कीव के जेप्रोजिया में फंसे थे।

वहीं नगर के एक और चिंतित पिता पैथोलॉजिस्ट दिलीप नेताम ने बताया कि बच्चे जान बचाने के लिए इधर से उधर भाग रहे हैं। हमारी बिटिया पूर्वी नेताम ने भी मंगलवार को सुबह फोन पर ही बात की हुजरुद मेडिकल इंस्टिट्यूट के लगभग 400 छात्रों के साथ सुबह 7 बजे हंगरी पहुंची थी। वहां से वुडापोस्ट के एयरपोर्ट तो पहुंच तो गए हैं। मगर इंडिया आने वाले छात्रों की भीड़ बहुत ज्यादा है भूख से बुरा हाल है। मगर खाने की नहीं बस जान बचाने की चिंता है।

24 घंटे से भूखे प्यासे सफर कर रहे
मुस्कान ने मंगलवार को सुबह फोन पर कुछ ही मिनटों की हुई बातचीत में मां को बताया कि सोमवार को सुबह 11 बजे जेप्रोजिया यूनिवर्सिटी के लगभग 1400 छात्र ट्रेन से निकले थे। 24 घंटे हो गए हैं पर लगातार सफर जारी है। कीव उसे बाहर निकलने के लिए यूनिवर्सिटी ने व्यवस्था तो कर दी। मगर यहां ट्रेन में खाने पीने की कोई व्यवस्था नहीं है, जो साथ में थोड़ा बहुत बिस्किट चिप्स लाए थे, वह भी खत्म हो गए हैं।

मंगलवार रात 11 बजे हम हंगरी पहुंचेंगे वहां से इंडिया के लिए फ्लाइट की व्यवस्था है, यहां नहीं इसकी भी जानकारी हमें नहीं है। बस जान बचाने के लिए इधर से उधर भाग रहे हैं। इंडिया कैसे पहुंचेंगे कब पहुंचेंगे या फिर पहुंचेंगे भी या नहीं इस बारे में नहीं बता सकते। इतना कह कर मुस्कान ने यह कह कर फोन काटा दिया की बैटरी खत्म होने वाली है।

 


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