बालोद

मोदी के 7 साल, लोगों में घोर निराशा-अनिला
04-Jun-2021 5:18 PM
मोदी के 7 साल, लोगों में घोर निराशा-अनिला

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दल्लीराजहरा, 4 जून।
केंद्र की मोदी सरकार के 7 साल पूरे होने पर भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं द्वारा तमाम विकास कार्यों के किये जाने की बढ़ा चढ़ाकर बाते की जा रही है, लेकिन सच्चाई तो यह है कि मोदी सरकार के नाकामियों, असफलताओं, वादाखिलाफी से देश व प्रदेश आमजनता के बीच घोर निराशा एवं आक्रोश व्याप्त है। उक्त बातें प्रदेश की महिला बाल विकास एवं समाज कल्याण मंत्री अनिला भेंडिया ने कही।

केबिनेट मंत्री अनिला भेंडिया ने कहा कि मोदी सरकार ने अपने इस 7 वर्ष के कार्यकाल में देश व प्रदेश की आमजनता सहित समाज के सभी वर्गों के साथ विश्वासघात किया है, जिससे देश में समाजिक एवं आर्थिक व्यवस्था चरमरा गई है। वहीं मोदी सरकार अपनी खोखली उपलब्धियों का गुणगान कर जनता से चुनाव में किए गए घोषणाओं से वादाखिलाफी कर एक घोखेबाज, अविश्वासनीय सरकार के रूप में स्थापित है और आम जनता के बीच अपना विश्वास खो चूकी है।

उन्होंने कहा कि कृषि और किसान कल्याण के वादों में केंद्र की मोदी सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करना चाहते थे, लेकिन सच यह है कि उनकी नीतियों की वजह से ही देश का किसान और गरीब होता जा रहा है, नतीजा यह है कि लाखों किसान पिछले 6 महीनों से दिल्ली की सीमा पर ठंड, गर्मी और बरसात झेलते धरने पर बैठे हैं।

अनिला भेंडिया ने कहा कि यूपीए सरकार की तुलना में मोदी सरकार ने फसलों का समर्थन मूल्य भी बढ़ाया है, उल्टे खाद और कीटनाशक दवाओं की कीमते आसमान छूनें लगी है, सभी विपक्षी दलों के दबाव में खाद की कीमतें घटाई, लेकिन सब्सिडी देकर खाद कंपनियों को मालामाल करनें का इंतजाम कर दिया है। अर्थव्यवस्था को लेकर जो वादे भाजपा के संकल्प पत्र में किए गए हैं, वे सब उल्टे साबित हुए हैं, सच यह हैं कि मोदी सरकार की अर्थनीति से देश में पहली बार जीडीपी माइनस 23.9 प्रतिशत तक चली गई।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार का वादा सबके विकास का था, लेकिन कुछ चुनिंदा कारोबारियों और उद्योगपतियों का ही विकास हुआ है, देश की सारी संपत्ति दो प्रिय लोगों को ही बेची जा रही है।

वहीं नोटबंदी के अविवेकपूर्ण निणर्य से देश की अर्थव्यवस्था चौपट हुई, जीएसटी लगाने से उद्योग धंधे, कल कारखाने बंद हुए और बहुतायत संख्या में लोग बेरोजगार हुए, जिससे देश की अर्थव्यवस्था में विपरीत असर पड़ा है। निजीकरण को बढ़ावा देकर देश के सरकारी संस्थान नीलाम हो रही है, नौकरी का अवसर समाप्त हो रहा है जिससे बेरोजगारी बढ़ रही है।


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