माइकल एंजेलो की प्रसिद्ध कृति 'डेविड' का जुड़वां बनकर तैयार हो गया है. रेनेसां युग की इस प्रतिमा को 21वीं सदी में 3डी तकनीक की मदद से बनाया गया है. यह अपने आप में असाधारण है. आखिर क्यों?
डॉयचे वैले पर ब्रैंडा हास की रिपोर्ट-
रेसिन की बनी 5.2 मीटर लंबी (17 फुट लंबी) यह , मार्बल की मूल कृति से हू-ब-हू मेल खाती है. इसे अत्याधुनिक तकनीक की मदद से बनाया गया है. 1 अक्टूबर, 2021 से आयोजित होने वाले दुबई एक्सपो 2020 में, यह इटली के पविलियन का खास आकर्षण केन्द्र बनने वाली है. यह मूल कृति से 10 गुणा हल्की है. आधार के साथ इसका वजन 550 किलोग्राम (1200 पाउंड) है.
इटली के कमिश्नर जनरल पाओलो ग्लिसेंटी ने न्यू यॉर्क टाइम्स से बातचीत में कहा, "इसमें इस्तेमाल होने वाली तकनीक, इतिहास और भविष्य की यादों को जोड़ती है. इतिहास और इनोवेशन इसकी थीम है, जिसमें हम सबकी दिलचस्पी है.”
फ़्लोरेंस स्थित ‘गैलेलिये द लकैदेनिया' में डेविड की मूल कृति को सहेज कर रखा गया है. यहां की डायरेक्टर सिसली हॉलबर्ग, डेविड के बारे में कहती हैं कि यह प्रागैतिहासिक काल के बाद की पहली विशाल प्रतिमा है जो स्वतंत्रता, खूबसूरती, और ताकत का प्रतीक है. वह न्यू यॉर्क टाइम्स से सवालिया लहजे में कहती हैं कि इटली के पास दिखाने के लिए इससे बेहतर और क्या हो सकता है, खासकर जब कोविड के बाद दुनिया फिर से अपनी रफ्तार में होगी.
एक पत्थर जो इतिहास बन गया
माइकल एंजेलो ने अपनी कलाकृति डेविड को साल 1501 से 1504 के बीच पूरा किया था. डेविड, बाइबल का एक पात्र है जिसने दानव गोलायथ को मारा था.
डेविड की मूल कृति के बनने की कहानी बेहद दिलचस्प है. यह कृति कैरारा मार्बल के एक ही टुकड़े से बनी है. माइकल एंजेलो के काम शुरू करने से पहले, दो अन्य कलाकारों ने इस पत्थर को काम के लायक नहीं माना था. उन्हें लगा था कि यह पत्थर समय के थपेड़ों को सह नहीं पाएगा. दोनों कलाकारों ने इस पत्थर पर काम करने का विचार छोड़ दिया. इसके बाद, यह मार्बल का टुकड़ा 25 साल तक ओपेरा डेल ड्यूमो में पड़ा रहा. फिर एक दिन माइकल एंजेलो ने इस पर काम करने का निर्णय लिया. और इसी के साथ यह पत्थर इतिहास में दर्ज हो गया.
'3डी प्रिंटेड हमशक्ल में जान फूंकना'
इंजीनियर, तकनीशियन, रेस्टोरर और कारीगरों ने मिलकर पूरे साल भर में डेविड 2.0 को बनाया है. प्रोजेक्ट को तीन चरणों में पूरा किया गया. इसे पूरा करने के दौरान हर बारीकियों का ध्यान रखा गया. सबसे पहले, अत्याधुनिक तकनीक वाले स्कैनर की मदद से प्रतिमा का बेहतरीन रिजॉल्यूशन वाला डिजिटल वर्शन तैयार किया गया. इसके बाद, प्रतिमा के अलग-अलग हिस्सों की 3डी प्रिंटिंग की गई. फिर, रेस्टोरर ने इन हिस्सों को जोड़ा. जोड़ने की प्रक्रिया को यूनिवर्सिटी ऑफ फ्लोरेंस के शोधकर्ताओं की निगरानी में पूरा किया गया.
रेस्टोरर के समूह का नेतृत्व करने वाले निकोला सलविओली ने बताया कि कैसे उन्होंने मूल कृति पर मौजूद दरारों, टूट, दाग, खरोंच, और दूसरे हिस्सों को 3डी प्रिंट में शामिल किया, ताकि यह मूल कृति से हू-ब-हू मेल खाए. वह कहते हैं कि वास्तव में इस पूरी प्रक्रिया में किसी डिजिटल कॉपी को जमीन पर उतारा गया.
पहले भी बन चुकीहैं डेविड की प्रतिकृतियां
पूरी दुनिया में डेविड की कई प्रतिकृतियां हैं. इसके विकिपीडिया पेज पर भी इसकी प्रतिकृतियों की सूची दी गई है. हालांकि, 3डी तकनीक से बनी इस कृति को म्यूजियम ने आधिकारिक अनुमति प्रदान की है.
इससे पहले गैलेलिये द लकैदेनिया ने मार्केटिंग के लिए डेविड का इस्तेमाल करने के खिलाफ एक पर्यटन कंपनी के खिलाफ मुकदमा जीता था. हालांकि, डेविड की थीम पर बनीं कई तरह की निशानियां, फ्लोरेंस में बिकती दिख जाती हैं. हॉलबर्ग इसे कानून के हिसाब से गलत मानती हैं. हालांकि, वह स्वीकार करती हैं कि इसे पूरी तरह से रोक पाना कठिन है.
साल 1997 में स्टैनफर्ड यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन ने 3डी स्कैनिंग तकनीक से डेविड का डिजिटल वर्शन बनाने की कोशिश की थी. इसके 20 साल बाद, 2017 में आई फिल्म एलियन: कोविनेंट के निर्देशक रिडली स्कॉट ने डेविड की प्रतिकृति बनाई थी. इस फिल्म में माइकल फासबेंडर ने एक रोबोट का किरदार निभाया था, जिसका नाम डेविड था.
डेविड को बनाने के लिए, प्रोडक्शन ने प्लास्टर की कास्टिंग की थी. इसे आठ घंटों तक स्कैन किया गया. फिर स्कैन किए गए अलग-अलग हिस्सों को जोड़कर एक डिजिटल कॉपी बनाई गई थी. इसे बनाने के लिए, लंदन स्थित विक्टोरिया ऐंड अल्बर्ट म्यूजियम में मौजूद डेविड की अलग-अलग प्रतिमाओं को आधार बनाया गया था.
मजे कि बात यह है कि इस म्यूजियम में डेविड की प्रतिमाओं की नग्नता को ढकने के लिए एक पत्ता लगा दिया गया है, जिसे हटाया भी जा सकता है. कहा जाता है कि ऐसा रानी विक्टोरिया की भावनाओं का सम्मान करने के लिए किया गया है.
मूल कृति का दूसरा पक्ष
कलाकार, लेखक और इतिहासकार जॉर्जो वसारी ने लिखा था कि जिस खूबसूरती और उत्कृष्टता के साथ माइकल एंजेलो ने डेविड को बनाया है, कोई भी कलाकृति किसी भी तरह से डेविड की बराबरी नहीं कर सकती है.
और, मशीन से इस अद्वितीय कृति की नकल बनाने के बारे में क्या ख्याल है?
इसके जवाब में कोरियर डीला सिरा अखबार को दिए बयान में होलबर्ग कहती हैं, "कोई भी प्रतिकृति, मूल कृति की भावनाओं को व्यक्त नहीं कर सकती है." वह कहती हैं कि यह मूल कृति की मैसेंजर हो सकती है. साथ ही, तकनीकी, कलात्मक और कारीगरी के दूसरे पक्षों को बयां कर सकती हैं.
3डी तकनीक से बनी डेविड की प्रतिकृति को मिलान से दुबई ले जाया गया है. डेविड की मूल कृति फ्लोरेंस में ही बनी रहेगी. उम्मीद है कि कोविड महामारी के खत्म होने के बाद एक बार फिर पर्यटक इसे देखने पहुंचेंगे. हालांकि, सवाल अब भी बना हुआ है कि दुबई एक्सपो से लौटने के बाद डेविड के डिजिटल वर्शन का क्या होगा.