-गैरेथ इवान्स
अमेरिकी राज्य साउथ कैरोलाइना की पूर्व गवर्नर निकी हेली ने साल 2024 में होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में अपनी रिपब्लिकन पार्टी का उम्मीदवार बनने की घोषणा की है. डोनाल्ड ट्रंप पहले ही पार्टी के उम्मीदवार बनने की इच्छा जता चुके हैं.
आज से एक दशक पहले निकी हेली ने 39 साल की उम्र में अमेरिका की सबसे युवा गवर्नर बनने का रिकॉर्ड बनाया था. माना जाता है कि अमेरिकी राजनीति में उन्हें राष्ट्रीय स्तर की पहचान मिलना यहीं से शुरू हुआ.
उनके गृह राज्य साउथ कैरोलाइना में उनकी ये जीत कई मायनों में एतिहासिक रही थी- वे कंज़र्वेटिव पार्टी का गढ़ माने जाने वाले इस राज्य की पहली महिला और पहली एशियाई-अमेरिकी गवर्नर बनीं.
हालांकि उस वक्त इसमें निकी हेली की दावेदारी को हमेशा ही दूर की कौड़ी माना जाता था.
उनकी दोस्त ने अमेरिकी मैग़ज़ीन 'पॉलिटिको' को बताया है कि "उन्हें गंभीरता से नहीं लिया जाता था. हममें से कुछ दस लोग थे जो मानते थे कि वह जीत सकती हैं."
लेकिन लंबे समय तक चलाए गए अभियान के ज़रिए उनकी दावेदारी में मज़बूती आई और आख़िरकार उन्होंने मिट रोमनी और सारा पेलिन जैसे बड़े नेताओं का समर्थन हासिल किया.
उन्होंने उस रेस में जीत हासिल की थी जिसमें उनके अलावा बाकी सभी उम्मीदवार पुरुष थे और इस तरह उन्होंने रिपब्लिकन पार्टी की उभरते हुए नेता के रूप में अपनी छवि बनाई.
वहीं पार्टी ने निकी हेली से उम्मीद लगाई थी कि वह शायद पार्टी की पुरुष प्रधान छवि को बदल पाएंगी.
उन्होंने अपने विजय जुलूस में भी कहा था कि "ये इस राज्य के उन सभी लोगों के लिए बेहतरीन रात है जिन्होंने महत्वपूर्ण न माने गए इस अभियान में अपना भरोसा जताया."
निकी हेली साल 2011 से 2017 तक गवर्नर के रूप में दो कार्यकाल पूरे कर चुकी हैं. इस दौरान अमेरिकी राजनीति के लिहाज़ से कई अहम मुद्दों पर उनका रुख़ स्पष्ट हो चुका है.
51 साल की निकी हेली ने अपनी छवि मुख्यधारा की रूढ़िवादी नेता के तौर पर बनाई, साथ ही उन्होंने व्यापारिक समुदाय के प्रति भी दोस्ताना रवैया रखते हुए अपना ध्यान साउथ कैरोलाइना में बड़ी कंपनियों को लाने पर लगाया.
एक समय में उन्होंने व्यावसायिक समूहों की एक बैठक को संबोधित करते हुए यहां तक कहा था कि "अगर आप यहां आएंगे तो बाक़ी राज्यों की तुलना में यहां काम करने पर होने वाला ख़र्च कम रहेगा."
निकी हेली ने खुद को प्रो-लाइफ़ यानी भ्रूण की ज़िंदगी के हक़ में खड़े रहने वाले व्यक्ति के रूप में परिभाषित किया. इसके साथ ही उन्होंने उस विधेयक का समर्थन किया था जिसे साउथ कैरोलाइना में गर्भपात रोकने के लिए लाया गया था.
निकी हेली ने गवर्नर के रूप में अपने पहले कार्यकाल में अवैध अप्रवासन रोकने के लिए क़ानून पर हस्ताक्षर किए थे. इसके बाद से वह सीमाओं को लेकर राष्ट्रपति बाइडन की नीतियों की आलोचना करती रही हैं.
उन्होंने ये भी कहा है कि वह अमेरिकी नागरिकों को मिले बंदूक रखने के अधिकार की समर्थक हैं और इसे बचाने के लिए संघर्ष करेंगी.
चर्च पर हमला और हेली के रुख़ में बदलाव
गवर्नर के रूप में उनकी राजनीति को परिभाषित करने वाला दौर 2015 में उस वक्त आया जब एक व्हाइट सुपरिमेसिस्ट शख़्स ने (गोरे लोगों को दूसरों से बेहतर नस्ल का मानने वाले) चार्ल्सटन में मदर इमैनुअल एमई चर्च में घुसकर नौ काले लोगों को मार दिया था.
निकी हेली ने कुछ समय बाद कहा कि इस हमले ने जैसे उनकी 'दुनिया को तबाह कर दिया'. उन्होंने इसे नस्लीय युद्ध शुरू करने की कोशिश करार दिया.
इस बंदूकधारी को कनफेडरेट फ़्लैग उस समय तक ये झंडा दक्षिणी कैरोलाइना की कैपिटॉल बिल्डिंग पर लहरा रहा था लेकिन इस हमले के बाद इसे लेकर विरोध तेज़ हुआ. पकड़े देखा गया था. ये फ्लैग अमेरिकी गृह युद्ध के दौरान काले लोगों को ग़ुलाम बनाए रखने के पक्षधर राज्यों का झंडा था जिसे आज भी नस्लवाद के प्रतीक के रूप में देखा जाता है.
कई सालों तक इस झंडे के विरोध से बचने के बाद इस घटना के बाद आख़िरकार निकी हेली अपना रुख़ बदलना पड़ा. चर्च में हुए हमले के पांच दिन बाद उन्होंने दक्षिणी कैरोलाइना में स्टेट ग्राउंड्स से इन झंडों को हटाने की अपील की.
इसके बाद एक प्रस्ताव लाया गया, भावनात्मक बहस हुई और राज्य में इन झंडों को उतारने का क़ानून पास हुआ.
इस क़ानून पर हस्ताक्षर करते हुए निकी ने कहा, "इस झंडे की अपनी जगह है लेकिन वो ऐसी जगह नहीं जहां साउथ कैरोलाइना के सभी लोगों का प्रतिनिधित्व होता हो."
हालांकि कुछ साल बाद साल 2019 में निकी हेली ने एक कंज़र्वेटिव रेडियो होस्ट से कहा कि कनफेडरेट फ़्लैग "सेवा, त्याग और विरासत" का प्रतीक है और चार्ल्सटन चर्च के हमलावर ने इसे "हाईजैक" कर लिया था. उनके इस बयान के लिए उनकी तीखी आलोचना की गई थी.
उन्होंने ये भी कहा कि गोलीबारी की इस घटना में मीडिया ने भी नैरेटिव बनाने की कोशिश की थी. हेली ने कहा था, "वो इसे नस्लीय भेदभाव का मुद्दा बनाना चाहते थे. वो इसे गन कंट्रोल से जोड़ना चाहते थे."
चर्च में हुई इस घटना में दक्षिण कैरोलाइना से डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रतिनिधि जेए मूर की बहन की भी मौत हो गई थी. उस वक्त उन्होंने कहा था, "निकी हेली इस त्रासदी का इस्तेमाल राजनीतिक कारणों से कर रही हैं, ये घृणित कार्य है."
बाद में निकी हेली ने इस पर सफ़ाई देते हुए वॉशिंगटन पोस्ट में एक लेख लिखा और कहा कि उनके पोज़िशन में कोई बदलाव नहीं आया है. उन्होंने लिखा, "आज के नाराज़ होने वाले कल्चर में दूसरे पक्ष की आवाज़ नहीं बची है. ये लोग चाहते हैं कि आप या तो जीतें या फिर हार जाएं."
भारत के साथ नाता
अपने चुनाव प्रचार के दौरान निकी हेली कई बार अपने परिवार के बारे में बात करती रही हैं.
उनका जन्म भारत से जाकर अमेरिका के साउथ कैरोलाइना के बामबर्ग में बसे एक पंजाबी सिख परिवार में हुआ है. उनके परिवार का कपड़ों का व्यापार है. जन्म के वक्त निकी का नाम निम्रता निकी रंधावा था.
निकी हेली कहती हैं कि अपने बचपन में उन्होंने नस्लीय भेदभाव का सामना किया है और ताने सहे हैं. निकी हेली ने एक वीडियो जारी कर राष्ट्रपति की रेस में शामिल होने की घोषणा की है. इस वीडियो में उन्होंने कहा. "न तो मैं काले समुदाय से थी और न ही गोरे समुदाय से - मैं अलग थी."
साल 2019 में अपने संस्मरण में निकी हेली ने लिखा, "बचपन में मैंने जाना कि मैं बाहरी थी लेकिन इसमें कुछ अजीब नहीं था. जो लोग दूसरों से अलग होते हैं वो दुनिया में हर जगह बाहरी की माने जाते हैं. अमेरिका अलग है क्योंकि हमारा समुदाय हमें पूरी तरह से स्वीकार करता है."
साल 2020 में निकी हेली ने रिपब्लिकन पार्टी के राष्ट्रीय सम्मेलन में कहा था कि वो खुद नस्लवाद झेल चुकी हैं लेकिन मानती हैं कि एक मुल्क के तौर पर अमेरिका संस्थागत तौर पर नस्लवादी नहीं है. उन्होंने कहा, "वो झूठ है, अमेरिका नस्लवादी मुल्क नहीं है."
उनके इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर उनकी आलोचना की गई. कई लोगों ने कहा निकी अपना पहला नाम इस्तेमाल करने से बच रही हैं. कुछ ने तो यहां तक दावा किया किया कि उन्होंने अपनी पहचान "बदल ली" है.
हालांकि बाद में यूएस टुडे नाम के अख़बार को निकी हेली के प्रवक्ता ने बताया कि क़ानूनी तौर पर जन्म से जो उनका नाम है वो उसके मिडल नाम 'निकी' कर रही हैं.
अकाउंटिंग की पढ़ाई करने के दौरान क्लेमसन युनवर्सिटी में निम्रता निकी रंधावा की मुलाक़ात माइकल हेली से हुई. दोनों ने साल 1996 में शादी कर ली जिसके बाद निकी ने अपने पति का आख़िरी नाम अपना लिया.
दोनों की शादी दो रीति-रिवाज़ों के अनुसार हुई थी, पहला ईसाई मेथोडिस्ट चर्च के नियमों के अनुसार और दूसरा सिख रीति के अनुसार. दोनों के दो बच्चे हैं.
पढ़ाई ख़त्म करने के बाद निकी अपने पाति के कपड़ों के व्यापार में हाथ बंटाने लगीं. बाद में उन्होंने निजी क्षेत्र की कंपनियों मे सीनियर पोज़िशन पर काम किया.
कौरोलाइना की असेंबली सीट में जीत दर्ज करने के साथ निकी ने राजनीति में प्रवेश किया. असेंबली नेता के तौर पर तीन कार्यकाल पूरे करने के बाद वो इस राज्य की गवर्नर बनीं.
साल 2016 के राष्ट्रपति चुनावों में निकी हेली शुरूआती दौर में डोनाल्ड ट्रंप के लिए कड़ी प्रतिद्वंदी खड़ी की थी. प्राइमरीज़ के दौरान उन्होंने ट्रंप के कई विरोधियों का ये कहते हुए साथ दिया था कि वो "ट्रंप की फैन नहीं" हैं.
उन्होंने कहा कि ट्रंप हर उस चीज़ का प्रतीक हैं "जिसके बारे में बच्चों को उन्होंने सिखाया था कि वो ये काम स्कूल में कभी न करें."
साल 2017 में राष्ट्रपति ने उन्हें बतौर अमेरिका का दूत संयुक्त राष्ट्र में भेजने के लिए नामित किया जिसके बाद उन्होंने साउथ कैरोलाइना के गवर्नर के पद से इस्तीफ़ा दे दिया था.
दो साल तक वो इस पद पर रहीं. उस दौर में अपने ही चुने हुए कई नेताओं के साथ ट्रंप की बहस हुई थी, कुछ के साथ तो ये बबहस सार्वजनिक तौर पर भी हुई थी. लेकिन अपने कार्यकाल के दौरान निकी हेली की कभी भी ट्रेप के साथ कोई बहस नहीं हुई.
वो ट्रंप प्रशासन के इसराइल के समर्थन वाले स्टैंड को आगे बढ़ाती रहीं और रुस और उत्तर कोरिया को लेकर उन्होंने कड़ा रुख़ अख्तियार किया.
2018 नवंबर में मध्यावधि चुनावों से पहले जब निकी ने पद से इस्तीफ़ा दिया तो ये कयास लगाए जाने लगे कि 2020 में वो ट्रंप को चुनौती देंगी या फिर उनके प्रशासन में उप-राषट्रपति की भूमिका में रहेंगी.
लेकिन ऐसा नहीं हुआ. वो साउथ कौरोलाइना लौट आईं और इस दौरान उन्होंने लोगों से मुलाक़ात करना जारी रखा और दो क़िताबें भी लिखीं.
छह जनवरी 2021 को कैपिटल हिल में हुई हिंसा के लेकर उन्होंने सार्वजनिक तौर पर ट्रंप की आलोचना की. पॉलिटिको से उन्होंने कहा कि "हमें ये बात स्वीकार करनी होगी कि उन्होंने हमें शर्मिंदा किया है."
हिंसा के एक दिन बाद निकी हेली ने एक बयान में कहा कि, "चुनाव के दिन से उन्होंने जो भी कदम उठाए हैं, इतिहास उसका कठोर न्याय करेगा." इस घटना के बाद से पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को लेकर उनका नज़रिया बदल गया था.
साल 2021 में एक वक्त वो भी आया जब उन्होंने कहा कि वो व्हाइट हाउस तक की रेस में कभी ट्रंप को चुनौती नहीं देंगी.
लेकिन बीते महीनों में उन्होंने अपने इस नज़रिए में बदलाव आया है और उन्होंने 76 साल के डोनाल्ड ट्रंप की तरफ इशारा कर कहा है कि अब 'पीढ़ी के बदलने' की ज़रूरत है.
राष्ट्रपति पद की रेस में शामिल होने की बात करते हुए उन्होंने कहा, "वक्त आ गया है कि नई पीढ़ी अब देश की अर्थव्यवस्था की ज़िम्मेदारी ले, अपनी सीमाओं को सुरक्षित करे और देश को और मज़बूत करे." (bbc.com/hindi)