राष्ट्रीय
रांची, 19 मार्च । वंदना डाडेल झारखंड की नई गृह सचिव बनाई गई हैं। इस संबंध में कार्मिक, प्रशासनिक सुधार एवं राजभाषा विभाग ने मंगलवार को अधिसूचना जारी कर दी। यह फैसला निर्वाचन आयोग की सहमति के बाद लिया गया।
वंदना डाडेल वन एवं पर्यावरण विभाग की सचिव के साथ मंत्रिमंडल सचिवालय एवं समन्वय विभाग में भी प्रधान सचिव के प्रभार में हैं। वह 1996 बैच की आईएएस हैं।
उल्लेखनीय है कि सोमवार को निर्वाचन आयोग ने झारखंड के गृह सचिव अरवा राजकमल सहित पांच राज्यों के गृह सचिवों को हटा दिया था।
आयोग ने राज्य सरकार से गृह सचिव के लिए तीन अफसरों के नाम मांगे थे। इसके बाद राज्य सरकार ने वंदना डाडेल, अबु बकर सिद्दिकी और मनीष रंजन के नाम प्रस्तावित किए थे।
(आईएएनएस)
नयी दिल्ली, 19 मार्च कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) ने मंगलवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को लोकसभा चुनाव के लिए घोषणा पत्र को मंजूरी देने और इसे जारी करने की तिथि निर्धारित करने के लिए अधिकृत किया।
पार्टी का कहना है कि यह उसका सिर्फ एक चुनावी घोषणा पत्र नहीं, बल्कि 'न्याय पत्र' होगा।
कार्य समिति की बैठक में घोषणा पत्र के उस मसौदे पर विस्तृत चर्चा की गई जिसे पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम की अध्यक्षता वाली समिति ने तैयार किया है।
कांग्रेस के अनुसार उसका घोषणा पत्र पार्टी के पांच न्याय – ‘भागीदारी न्याय’, ‘किसान न्याय’, ‘नारी न्याय’, ‘श्रमिक न्याय’ और ‘युवा न्याय’- पर आधारित होगा। इनमें 25 गारंटी होंगी जिनकी घोषणा कांग्रेस अध्यक्ष खरगे और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पहले ही कर चुके हैं।
पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे की अध्यक्षता वाली कार्य समिति की बैठक में पूर्व पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी एवं राहुल गांधी, महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा, संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल, घोषणा पत्र समिति के प्रमुख पी चिदंबरम और कार्य समिति के कई अन्य सदस्य शामिल हुए।
बैठक के बाद वेणुगोपाल ने संवाददाताओं से कहा, "कांग्रेस कार्य समिति ने 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए घोषणा पत्र पर विस्तृत चर्चा की। करीब साढ़े तीन घंटे तक चर्चा हुई। चर्चा के बाद कांग्रेस अध्यक्ष को अधिकृत किया गया कि वह घोषणा पत्र को अनुमोदित करें और इसे जारी करने की तिथि निर्धारित करें।"
उन्होंने कहा कि कांग्रेस कार्य समिति ने पार्टी की गारंटियों को जमीनी स्तर तक ले जाने के लिए रूपरेखा तैयार की है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि यह सिर्फ घोषणा पत्र नहीं होगा, बल्कि एक 'न्याय पत्र' होगा।
कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने कार्य समिति की बैठक में कहा कि देश बदलाव चाहता है तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की गारंटी का वही हश्र होने जा रहा है जो 2004 में 'इंडिया शाइनिंग' (भारत उदय) नारे का हुआ था।
उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं को कांग्रेस के घोषणा पत्र को घर-घर तक ले जाना होगा।
कांग्रेस अध्यक्ष का कहना था कि उनकी पार्टी इस लोकसभा चुनाव में जो वादे करने जा रही है उन्हें पूरा करेगी।
उन्होंने कहा, "हम वादे करने के पहले गहराई से ये पड़ताल कर लेते हैं कि उनको पूरा कर पाएंगे या नहीं।"
खरगे ने कहा, "देश बदलाव चाहता है। मौजूदा सरकार की गारंटी का वही हश्र होने जा रहा है जो 2004 में 'इंडिया शाइनिंग' नारे का हुआ था।"
कार्य समिति की बैठक के बाद कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) की बैठक भी होगी जिसमें 19 अप्रैल से शुरू होने वाले सात चरण के लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी के शेष उम्मीदवारों के नामों को अंतिम रूप दिया जाएगा।
कांग्रेस ने अब तक दो अलग-अलग सूचियों में कुल 82 उम्मीदवारों की घोषणा की है। (भाषा)
मथुरा (उप्र), 19 मार्च मथुरा के वृंदावन में स्थित ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में मंगलवार को दर्शन करने पहुंचे मुंबई के निवासी एक व्यक्ति की कथित रूप से भीड़ में दम घुटने के कारण मंदिर के बाहर मृत्यु हो गई। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि मौके पर मौजूद चिकित्सकों के दल ने उसके इलाज का प्रयास किया गया, लेकिन कोई सुधार नहीं होने पर उसे अस्पताल ले जाया गया जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया, शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है।
चिकित्सकों ने दिल का दौरा पड़ने से मौत होने की बात कही है।
चिकित्सा विभाग की त्वरित प्रतिक्रिया टीम के प्रभारी डॉक्टर भूदेव प्रसाद ने बताया कि वृंदावन के ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में दर्शन करने पहुंचे मुंबई के साईं कोलीवाड़ा की कर्मक्षेत्र बिल्डिंग में रहने वाले सुनील मांगो (68) को मंदिर के अंदर भीड़ में सांस लेने में दिक्कत हुई थी जिसके बाद वह मंदिर के द्वार (संख्या एक) से बाहर निकल आए थे।
मांगो के साथ आईं प्रमिला कन्नौजिया ने बताया कि वह 40 लोगों के दल के साथ मुंबई से रविवार को ब्रज दर्शन पर वृंदावन आए थे, वे लोई बाजार में स्थित बसंती धर्मशाला में ठहरे थे, मंगलवार को वे सभी बिहारी जी मंदिर में दर्शन करने गए थे, तभी यह हादसा पेश आया। मांगो सेवानिवृत्त बैंककर्मी थे।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक शैलेष कुमार पाण्डेय ने बयान जारी कर स्पष्ट किया है कि श्रद्धालु की मौत मंदिर के अंदर नहीं, बाहर चबूतरे पर विश्राम करते वक्त हुई है।
पुलिसकर्मी उन्हें एंबुलेंस में संयुक्त जिला अस्पताल ले गए थे, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। (भाषा)
नयी दिल्ली, 19 मार्च भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के कई समन की तामील नहीं करने पर मंगलवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधा और कहा कि जब तक कथित आबकारी नीति घोटाले में उनकी संलिप्तता के सबूत हैं, तब तक वह कानून के ‘लंबे हाथों’ से बच नहीं सकते।
भाजपा मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने इसी मामले में ईडी द्वारा गिरफ्तार भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की नेता के. कविता का बचाव करने के लिए भी आम आदमी पार्टी (आप) की आलोचना की और कहा कि जांच एजेंसियों की कार्रवाई सबूतों पर आधारित है।
पात्रा ने कहा, ‘‘राजनीतिक दल जांच एजेंसियों का गठन नहीं करते हैं।’’
भाजपा की यह प्रतिक्रिया आम आदमी पार्टी (आप) द्वारा ईडी को भाजपा की राजनीतिक शाखा बताए जाने और इसके राष्ट्रीय संयोजक केजरीवाल के खिलाफ जांच एजेंसी के आरोपों को खारिज किए जाने के एक दिन बाद आई है।
केजरीवाल ने दिल्ली जल बोर्ड में कथित अनियमितताओं से जुड़े धनशोधन के एक मामले में सोमवार को ईडी के समन की अनदेखी की थी।
आप ने ईडी के समन को ‘अवैध’ करार दिया और आरोप लगाया कि केंद्र की भाजपा नीत सरकार केजरीवाल को निशाना बनाने और लोकसभा चुनाव में उनको प्रचार करने से रोकने के लिए जांच एजेंसी का ‘इस्तेमाल’ कर रही है।
आप के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए पात्रा ने कहा, ‘‘केजरीवाल को पिछले छह महीने में नौ समन जारी किए गए और उन्होंने कोई न कोई बहाना बनाकर उन सभी की अनदेखी की। लेकिन ये बहाने काम नहीं आने वाले हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘आप कानून के लंबे हाथों से कितनी दूर भागेंगे। सबूत होने पर यह अंततः आपको पकड़ लेगा। तूफान आ रहा है और यह निश्चित रूप से तब आएगा जब आपने भ्रष्टाचार किया है।’’
पात्रा ने आरोप लगाया कहा, ‘‘केजरीवाल ने करोड़ों लोगों के भरोसे, सच्चाई और विकास की हत्या की है। इसके सबूत हर जगह उपलब्ध हैं। इसलिए ईडी (उन्हें) समन जारी कर रहा है।
उन्होंने कहा कि लोग उन्हें मुंहतोड़ जवाब देंगे।
दिल्ली की एक अदालत ने कथित दिल्ली आबकारी नीति घोटाले से जुड़े धनशोधन के एक मामले ईडी की ओर से दायर दो शिकायतों पर केजरीवाल को शनिवार को जमानत दे दी।
पात्रा ने आरोप लगाया कि केजरीवाल जमानत दिए जाने को ऐसे पेश कर रहे हैं जैसे उन्हें अदालत से राहत मिल गई हो जबकि मामले में वह अब भी आरोपी हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘केजरीवाल जमानत पर बाहर हैं। जमानत देना न्यायालय द्वारा राहत नहीं है। जरूर कुछ गलत है कि उन्हें जमानत मांगनी पड़ी।’’
भाजपा प्रवक्ता ने कहा, ‘‘जमानत पर बाहर रहना योग्यता नहीं बल्कि अवगुण है। जमानत मिलने को अदालत द्वारा राहत के रूप में पेश न करें।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि अदालत से जमानत मिलने के बाद केजरीवाल अब कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी की श्रेणी में खड़े हो गए हैं जो नेशनल हेराल्ड मामले में जमानत पर बाहर हैं।
भाजपा नेता ने कहा, ‘‘लोग समझ सकते हैं कि भ्रष्टाचार की गारंटी किसके पास है।’’
उन्होंने जोर देकर कहा कि लोग प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की गारंटी के लिए वोट करेंगे और लोकसभा चुनावों में भाजपा को विजयी बनाएंगे।
दिल्ली की मंत्री आतिशी ने मंगलवार को ईडी पर ‘राजनीतिक हथियार’ बनने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि एजेंसी का यह दावा कि बीआरएस नेता के. कविता अब रद्द की गई आबकारी नीति में आप नेताओं को 100 करोड़ रुपये का भुगतान करने में शामिल थीं, को उच्चतम न्यायालय ने खारिज कर दिया है।
उन्होंने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए आरोप लगाया कि संघीय जांच एजेंसी की कार्रवाई का लक्ष्य केजरीवाल को लोकसभा चुनाव में चुनाव प्रचार करने से रोकना है। (भाषा)
फूलबनी (ओडिशा), 19 मार्च ओडिशा पुलिस ने मंगलवार को दावा किया कि कंधमाल जिले में संदिग्ध रूप से माओवादियों के हाथों मारे गए एक आदिवासी दंपति की हत्या गांव वालों ने जादू-टोना करने के शक में की थी।
यह घटना आठ मार्च को कंधमाल जिले के गदापदर गांव में हुई थी। दंपति के शव अगले दिन एक जंगल से खून से लथपथ हालत में बरामद किए गए थे। उनके सिर पर चोटों के निशान थे।
कंधमाल के पुलिस अधीक्षक शुभेंदु पात्रा ने बताया कि शुरुआत में संदेह था कि बतासी कन्हार (41) और ताहिरा कन्हार (45) नामक दंपति की माओवादियों ने हत्या कर दी, लेकिन बाद में जांच में पता चला कि उनकी ग्रामीणों ने हत्या की थी।
पुलिस ने बताया कि शव मिलने के बाद शक हुआ कि इस हत्याकांड को माओवादियों ने अंजाम नहीं दिया होगा क्योंकि हत्या का तरीका अलग था। हत्यारों ने दंपति के सिर के बीच ठोस वस्तुओं से प्रहार किया था। माओवादी अक्सर इस तरीके से किसी की हत्या नहीं करते हैं।
पुलिस की जांच में आगे पता चला कि इलाके में कुछ लोगों के बीमार पड़ने के बाद ग्रामीणों को इस दंपति के जादू-टोना करने का शक हुआ। यह दंपति धार्मिक प्रवृत्ति का था और अपने घर में पूजा-पाठ करता रहता था।
दोनों पर जादू-टोना करने का आरोप लगाया गया और उन्हें गांव से निकाल दिया गया तथा गांव के बाहर स्थानांतरित कर दिया गया। चार मार्च को ग्राम समिति की एक बैठक में लोगों ने दंपति की हत्या करने फैसला किया और मुख्य आरोपी सुनील दीगल को 40,000 रुपये में हत्या की सुपारी दी।
पात्रा ने बताया कि सुनील ने बाद में पुलिस के सामने जुर्म कबूल कर लिया और बताया कि वह दंपति की हत्या करने के लिए करीब 10 अन्य लोगों के साथ गया था। उन्होंने पहले बतासी की और फिर उसकी पत्नी ताहिरा की हत्या की।
ताहिरा सलागुडा ग्राम पंचायत की पूर्व वार्ड सदस्य थी।
एसपी ने बताया कि पुलिस ने इस संबंध में 10 लोगों को गिरफ्तार किया है। (भाषा)
नयी दिल्ली, 19 मार्च दिल्ली की एक अदालत ने कथित चीनी वीजा घोटाले से जुड़े धनशोधन मामले में मंगलवार को कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम और अन्य को समन जारी कर पांच अप्रैल को अपने समक्ष पेश होने का निर्देश दिया।
विशेष न्यायाधीश एम. के. नागपाल ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दायर आरोपपत्र पर संज्ञान लेते हुए आरोपियों को तलब किया।
न्यायाधीश ने कार्ति चिदंबरम, उनके पूर्व चार्टर्ड अकाउंटेंट एस भास्कर रमन को और कुछ कंपनियों के प्रतिनिधियों सहित छह अन्य को पांच अप्रैल को अदालत में पेश होने का निर्देश दिया।
आरोपियों में पदम दुगार, विकास मखारिया, मंसूर सिद्दीकी, दुगार हाउसिंग लिमिटेड, एडवांटेज स्ट्रैटेजिक कंसल्टिंग प्राइवेट लिमिटेड और तलवंडी साबो पावर लिमिटेड भी शामिल हैं।
ईडी ने 2011 में 263 चीनी नागरिकों को वीजा जारी करने से संबंधित कथित घोटाले में आरोपियों के खिलाफ धनशोधन का मामला दर्ज किया है। कथित घोटाले के समय कार्ति के पिता पी चिदंबरम केंद्रीय गृह मंत्री थे।
जांच एजेंसी ने कहा कि मामले में काले धन से सफेद में तब्दील धन की वास्तविक मात्रा अभी तक साबित नहीं हो पाई है और सीबीआई के मामले में उल्लिखित 50 लाख रुपये की रिश्वत के कथित भुगतान को वर्तमान मामले का आधार नहीं माना जा सकता।
ईडी ने इसी मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज की गई एक प्राथमिकी का अध्ययन करने के बाद धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत अपनी तरफ से मामला दर्ज किया था। (भाषा)
नयी दिल्ली, 19 मई केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने मंगलवार को केंद्र सरकार से इस्तीफा दे दिया और आरोप लगाया कि भाजपा लोकसभा चुनाव के लिए बिहार में सीट बंटवारे की बातचीत में शामिल नहीं करके उनकी राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (रालोजपा) के साथ नाइंसाफी कर रही है।
पारस ने एक संवाददाता सम्मेलन में यह घोषणा की। इससे एक दिन पहले ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने राज्य में अपने सीट-बंटवारा समझौते की घोषणा की थी और चिराग पासवान के नेतृत्व वाली लोजपा (रामविलास) को पांच सीट देने का ऐलान किया था।
पारस ने संवाददाता सम्मेलन में अपने इस्तीफे के बारे में संक्षिप्त बयान दिया, लेकिन अपनी भविष्य की योजनाओं के बारे में कुछ नहीं बताया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मंत्रिमंडल में शामिल भाजपा के किसी सहयोगी दल के एकमात्र नेता पारस ने सीट-बंटवारे को लेकर नाखुशी जताने से पहले प्रधानमंत्री को बड़ा नेता बताते हुए उनका आभार जताया।
पारस ने कहा कि उन्होंने ईमानदारी और निष्ठा के साथ राजग की सेवा की लेकिन उनके साथ नाइंसाफी हुई।
उन्होंने कहा, ‘‘मेरी पार्टी और खासतौर से मेरे साथ नाइंसाफी हुई है।’’
पारस की पार्टी के प्रवक्ता श्रवण अग्रवाल ने कहा कि पार्टी नेता जल्द मिलकर आगे की कार्रवाई के बारे में निर्णय लेंगे। उन्होंने साफ किया कि पारस चुनाव लड़ेंगे।
लोकसभा में लोक जनशक्ति पार्टी के छह सांसदों में से कुछ समय पहले तक पारस को पांच सांसदों का समर्थन प्राप्त था, लेकिन प्रेस वार्ता में उनके साथ इनमें से कोई नहीं था।
सूत्रों के मुताबिक कुछ सांसद अन्य दलों के साथ चुनाव लड़ने की संभावना तलाश रहे हैं जिनमें पारस से अलग राजनीति कर रहे उनके भतीजे चिराग पासवान की लोजपा (राम विलास) भी शामिल है।
पारस बिहार में राष्ट्रीय जनता दल की अगुवाई वाले विपक्षी गठबंधन के साथ हाथ मिलाने की संभावना पर विचार कर सकते हैं और हाजीपुर सीट से अपने भतीजे चिराग के खिलाफ चुनाव लड़ सकते हैं। निवर्तमान लोकसभा में वह हाजीपुर का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
चिराग पासवान ने भी आगामी चुनाव में इस सीट से लड़ने का संकेत दिया है जिसे उनके दिवंगत पिता राम विलास पासवान के प्रभाव वाला क्षेत्र माना जाता है। (भाषा)
अमेठी (उप्र), 19 मार्च अमेठी जिले के गौरीगंज तहसील स्थित एक गांव में सड़क का निर्माण नहीं होने से नाराज स्थानीय लोगों ने आगामी लोकसभा चुनाव में मतदान के बहिष्कार का ऐलान किया है।
अर्से से वीवीआईपी जिला माने जाने वाले अमेठी की तहसील गौरीगंज के जामो विकासखंड में पूरे अल्पी तिवारी ग्रामसभा स्थित सरमें पुरवा के निवासियों ने गांव के बाहर एक बैनर लगाया है, जिसमें 'रोड नहीं तो वोट नहीं' के नारे के साथ 'नेताओं, शर्म करो। आजादी के बाद से हम लोग नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं' लिखा है।
जिला प्रशासन का कहना है कि मामले की जांच कराई जा रही है तथा समस्या का समाधान कराने का पूरा प्रयास किया जाएगा।
सरमें पुरवा गांव के निवासी ओमप्रकाश ओझा ने मंगलवार को 'पीटीआई—भाषा' को बताया कि गांव में जाने आने का पक्का रास्ता न होने के कारण बहुत मुश्किल होती है और बारिश के मौसम में स्थिति बदतर हो जाती है। उन्होंने कहा ‘‘हालात यह है कि गांव के लोगों को अपने बच्चों की शादी का आयोजन मजबूरन किसी दूसरी जगह करना पड़ता है।’’ उन्होंने कहा कि गांव में जल निकासी की भी कोई व्यवस्था नहीं है। उन्होंने कहा कि पीने के पानी का भी सही बंदोबस्त नहीं है और तो और जल जीवन मिशन के अंतर्गत हर घर नल से जल पहुंचाने की योजना भी इस गांव तक नहीं पहुंची है।
यह गांव उस अमेठी लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है जो कई दशकों तक केन्द्र की सत्ता में दबदबा रखने वाले नेहरू—गांधी परिवार का सियासी गढ़ रहा और पिछले पांच साल से केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी यहां से सांसद हैं।
गांव के एक अन्य निवासी राम अभिलाष ने कहा कि आजादी के बाद से अब तक इस गांव का विकास ही नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि स्थानीय लोग अपने जनप्रतिनिधियों से लगातार शिकायत करते रहे मगर किसी ने कोई सुनवाई नहीं की।
उन्होंने कहा ‘‘लगातार उपेक्षा से तंग आकर अब ग्रामीणों ने पूरी तरह से मन बना लिया है कि जब तक समस्याओं का समाधान नहीं हो जाता है तब तक आगामी लोकसभा चुनाव का पूरी तरह से बहिष्कार किया जाएगा।’’ गौरीगंज के उप जिलाधिकारी दिग्विजय सिंह ने इस बारे में पूछे जाने पर बताया कि उन्हें प्रकरण की जानकारी मिली है तथा मामले की जांच कराई जा रही है। ‘‘जांच के बाद समस्या के समाधान का पूरा प्रयास किया जाएगा।’’
कुछ सीमित समय को छोड़ दिया जाए तो अमेठी की जनता लगातार कांग्रेस उम्मीदवारों को ही चुनती रही है।
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी वर्ष 1980 में अमेठी लोकसभा सीट से सांसद चुने गये थे। उनके निधन के बाद हुए उपचुनाव में इंदिरा के बड़े बेटे राजीव गांधी ने इस सीट से दो लाख से अधिक मतों से जीत हासिल की थी। राजीव इस सीट से 1984, 1989 और 1991 में भी जीते थे। उनके बेटे राहुल गांधी वर्ष 2004 से 2019 तक अमेठी से ही सांसद रहे। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल को हराने वाली केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी का पांच साल का कार्यकाल भी बीत गया है।
पिछले हफ्ते संग्रामपुर विकासखंड के भवानीपुर गांव के लोगों ने भी 'रोड नहीं तो वोट नहीं' का बैनर लगाया था। हालांकि प्रशासनिक अधिकारियों ने समस्या के समाधान का आश्वासन देकर नाराज लोगों को शांत कराया था। (भाषा)
नयी दिल्ली, 19 मार्च दिल्ली सरकार की मंत्री आतिशी ने मंगलवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) पर ‘राजनीतिक हथियार’ बनने का आरोप लगाते हुए दावा किया कि उच्चतम न्यायालय ने एजेंसी के इस आरोप को खारिज कर दिया था कि बीआरएस नेता के. कविता अब समाप्त हो चुकी आबकारी नीति में लाभ के लिए आम आदमी पार्टी के नेताओं को 100 करोड़ रुपये का भुगतान करने में शामिल थीं।
आतिशी ने संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाया कि ईडी का मकसद दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को लोकसभा चुनाव में प्रचार करने से रोकना है।
तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की बेटी और विधान परिषद सदस्य कविता को ईडी ने पिछले सप्ताह उनके हैदराबाद स्थित आवास से गिरफ्तार कर लिया था और वह 23 मार्च तक एजेंसी की हिरासत में हैं।
ईडी ने सोमवार को एक बयान में दावा किया कि कविता ने अन्य लोगों के साथ मिलकर केजरीवाल और मनीष सिसोदिया समेत आप के शीर्ष नेताओं के साथ दिल्ली आबकारी नीति बनाने और उसे लागू कराने में फायदा उठाने के लिए साजिश रची।
एजेंसी ने कहा, ‘‘इन फायदों के बदले वह आप नेताओं को 100 करोड़ रुपये का भुगतान करने में शामिल थीं।’’
आतिशी ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा, ‘‘राजनीतिक दल प्रेस विज्ञप्तियां जारी करते हैं। ईडी ने क्यों राजनीतिक प्रेस विज्ञप्ति जारी की? इसका मतलब है कि ईडी राजनीतिक हथियार बन चुकी है। भाजपा को केवल एक नेता से डर है और वह हैं अरविंद केजरीवाल। वे उन्हें लोकसभा चुनाव में प्रचार से रोकना चाहते हैं।’’
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘ईडी ने कल एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि आप नेताओं को 100 करोड़ रुपये की रिश्वत दी गई थी। उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते वक्त इस बात को खारिज कर दिया था।’’
आतिशी के कैबिनेट सहयोगी सौरभ भारद्वाज ने एक अन्य संवाददाता सम्मेलन में इसी तरह के दावे करते हुए कहा कि केजरीवाल का सवाल उठाना भाजपा को रास नहीं आ रहा।
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘हमारे प्रमुख नेता जेल में हैं। वे हमारे शीर्ष नेता को जेल में डालने की कोशिश कर रहे हैं।’’
भारद्वाज ने दोहराया कि ईडी को आबकारी नीति मामले में अपनी जांच में कुछ नहीं मिला है।
ईडी ने कहा कि उसने 2022 में मामला दर्ज होने के बाद से देश भर में 245 स्थानों पर तलाशी ली है और आप नेताओं मनीष सिसोदिया और संजय सिंह तथा कुछ शराब व्यवसायियों सहित 15 लोगों को गिरफ्तार किया है।
ईडी ने इस मामले में अब तक कुल छह आरोपपत्र दायर किये हैं और 128 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियों की कुर्की की है। (भाषा)
गुवाहाटी, 19 मार्च । तेजपुर सेंट्रल जेल से फरार होने के 24 घंटे के बावजूद भी अभी तक तीन कैदियों के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है। पुलिस ने खुद मंगलवार को इस बारे में पुष्टि की।
सोनितपुर जिले के पुलिस अधीक्षक (एसपी) सुशांत बिस्वा सरमा ने आईएएनएस को बताया, "हमने कैदियों को पकड़ने के लिए तलाशी अभियान शुरू कर दिया है। हालांकि, पुलिस अभी तक उन्हें पकड़ नहीं पाई है।"
पुलिस के मुताबिक, तेजपुर सेंट्रल जेल के तीन कैदी टॉयलेट की खिड़की तोड़कर सोमवार सुबह भाग गए। भागे गए कैदियों की पहचान इंदजीत मंडल, जहरुल इस्लाम और थुलेश्वर ताती के रूप में हुई है।
ज़हरुल इस्लाम और थुलेश्वर ताती असम के सोनितपुर के ढेकियाजुली क्षेत्र के थेलामारा गांव से हैं, वहीं इंदजीत मंडल पश्चिम बंगाल के निवासी हैं। इन सभी को सोनितपुर पुलिस ने पिछले साल गिरफ्तार किया था।
ज़हरुल इस्लाम और थुलेश्वर ताती को अपहरण और नाबालिग से रेप के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, जबकि इंदजीत मंडल को दूसरे आपराधिक गतिविधियों में संलिप्तता के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
एसपी सरमा ने कहा कि वरिष्ठ अधिकारी तलाशी अभियान शुरू करने के अलावा जेल की आंतरिक सुरक्षा की भी जांच कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, "प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि तीन कैदी टॉयलेट की खिड़की को तोड़कर वहां से भागने में सफल रहे। हम उनकी तलाश में जुटे हुए हैं। उनकी गिरफ्तारी होकर रहेगी।"
(आईएएनएस)
पटना, 19 मार्च। राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (रालोजपा) के प्रमुख पशुपति पारस के केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा देने के बाद राजद उनका महागठबंधन में स्वागत के लिए तैयार है।
राजद के नेता और बिहार के पूर्व मंत्री तेज प्रताप यादव ने मंगलवार को कहा कि उनको पहले ही एनडीए छोड़ देना चाहिए था। एनडीए में तो नाइंसाफी होती ही है। उन्होंने एनडीए छोड़कर अच्छा काम किया।
पशुपति पारस के महागठबंधन के साथ आने के सवाल पर तेज प्रताप ने कहा कि अगर वे महागठबंधन में आते हैं तो हमलोग उनका स्वागत करेंगे। मैं तो सबसे पहले उनका स्वागत करूंगा। उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि मेरी भविष्यवाणी है, 2025 में भारतीय जनता पार्टी खत्म है।
इससे पहले एनडीए में रालोजपा को बिहार में एक भी सीट नहीं मिलने से नाराज पारस ने केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी के साथ नाइंसाफी हुई है। हमने ईमानदारी से एनडीए की सेवा की है।
इसके बाद से ही यह कयास लगाए जा रहे हैं कि पारस अब महागठबंधन के साथ जा सकते हैं।
(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 19 मार्च । कांग्रेस मुख्यालय में हुई सीडब्ल्यूसी की बैठक पर पार्टी सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा है कि जल्द ही घोषणा पत्र जारी किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि सीडब्ल्यूसी की बैठक में आज कांग्रेस के घोषणा पत्र पर चर्चा हुई है। जब हमारे घोषणा पत्र की सारी औपचारिकता पूरी हो जाएगी, तब उसे लाया जाएगा। 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' के समय जो बात की गई है, उन सभी न्याय की घोषणाओं को स्थान दिया जाएगा।"
उन्होंने कहा कि हर वर्ग आज निराश है, हताश है, लेकिन हमारा मेनिफेस्टो लोगों की निराशा को आशा में बदलेगा। हर आशा और आकांक्षा को हमारे घोषणा पत्र में जगह दी जा रही है।
उन्होंने बताया कि न्याय यात्रा के दौरान जितने भी वादे किए गए थे, पांच न्याय दिलाने की बात की गई थी, चाहे वह किसानों के न्याय की बात हो, श्रमिकों के न्याय की बात हो, नौजवान के न्याय की बात हो, नारी के न्याय की बात हो या फिर हर वर्ग के लिए न्याय की बात हो, सभी को इस घोषणा पत्र में रखा गया है। इसके अलावा अन्य मुद्दों पर भी हमारी चर्चा हुई है।
गौरतलब है कि कई मुद्दों पर चर्चा और पार्टी के चुनावी घोषणा पत्र को मंजूरी देने के लिए आम चुनाव से पहले आखिरी बार मंगलवार सुबह कांग्रेस की सीडब्ल्यूसी की बैठक का आयोजन हुआ।
(आईएएनएस)
कोलकाता, 19 मार्च । भारतीय निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल में विवेक सहाय को डीजीपी के रूप में नियुक्ति के महज 24 घंटे के भीतर ही उन्हें पद से हटा दिया। विवेक सहाय को राजीव कुमार की जगह बंगाल का नया डीजीपी नियुक्त किया गया था।
मंगलवार को एक नई अधिसूचना जारी की गई जिसके तबत सहाय की जगह 1989 बैच के आईपीएस अधिकारी संजय मुखर्जी लेंगे। मुखर्जी फिलहाल अग्निशमन और आपातकालीन सेवा विभाग के महानिदेशक हैं।
सोमवार को, चुनाव आयोग ने राजीव कुमार को हटाने का आदेश दिया था। इसके बाद आयोग ने राज्य सरकार से उसके बदले तीन नाम मांगे थे। राज्य सरकार ने विवेक सहाय (1988 बैच), संजय मुखर्जी (1989 बैच) और राजेश कुमार (1990 बैच) की सिफारिश की थी।
वरिष्ठता के आधार पर आयोग ने सहाय की नियुक्ति का आदेश जारी कर दिया। हालांकि, इससे पहले कि वह 24 घंटे पूरे कर पाते, उनकी जगह मुखर्जी को नियुक्त कर दिया गया।
सूत्रों ने बताया कि सहाय इस साल मई में सेवानिवृत्त होने वाले हैं, जबकि बंगाल में चुनाव का अंतिम चरण 1 जून को है।
कोलकाता में मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "इसलिए, आयोग ने इस पद पर किसी ऐसे व्यक्ति को नियुक्त करना उचित समझा जो चुनाव की शुरुआत से लेकर अंत तक पद पर बना रह सके।"
(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 19 मार्च । उत्तराखंड गोल्फ फेडरेशन ने भारतीय गोल्फ संघ के सहयोग से स्कूली बच्चों के लिए 18-24 मार्च तक एईपीटीए पिथौरागढ़ गोल्फ कोर्स में पहला गोल्फ कैंप आयोजित किया है। इसका उद्घाटन 18 मार्च को मुख्य अतिथि ब्रिगेडियर समर प्रताप सिंह चौहान ने किया था।
इस शिविर का मुख्य उद्देश्य उत्तराखंड की मनोरम पहाड़ियों में गोल्फ को बढ़ावा देना और स्कूली बच्चों को गोल्फ के प्रति प्रोत्साहित करना है। इस शिविर में सात से अधिक विद्यालयों के 80 से अधिक बच्चों को दो पालियों में पिथौरागढ से अनुभवी गोल्फ प्रशिक्षक प्रेम सिंह एवं नैनीताल से टीकम कुमार, राहुल वाल्मीकि एवं पंकज पालीवाल द्वारा निःशुल्क प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
इस अवसर पर डिप्टी कमांडेंट युसूफ सैफी, कर्नल करम सिंह बिष्ट, गोल्फ कैप्टन एईपीटीए पिथौरागढ एवं उत्तराखंड गोल्फ फेडरेशन के सचिव हरीश कुमार शर्मा सहित अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे।
जिन स्कूलों के बच्चे गोल्फ कैंप में भाग ले रहे हैं उनमें पिथौरागढ़ से जनरल बी.सी. जोशी आर्मी पब्लिक स्कूल, केंद्रीय विद्यालय, मानस अकादमी, विश्व भारती पब्लिक स्कूल, दयानंद विद्या मंदिर, आइकन इंटरनेशनल स्कूल और आदर्श राजकीय इंटर कॉलेज, मूनाकोट शामिल हैं।
सभी पदाधिकारियों ने भारतीय गोल्फ संघ के अध्यक्ष बृजिंदर सिंह और महानिदेशक (सेवानिवृत्त) मेजर जनरल विभूति भूषण को पिथौरागढ़ में गोल्फ कैंप के आयोजन में सहयोग के लिए धन्यवाद दिया और भविष्य में भी बच्चों के लिए इस तरह के कार्यक्रम आयोजित करने में मदद करने को कहा।
(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 19 मार्च । लोकसभा चुनाव से पहले झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) को एक बड़ा राजनीतिक झटका लगा है। जेएमएम के संस्थापक और आदिवासी समाज के बड़े नेता माने जाने वाले शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता सोरेन मंगलवार को भाजपा में शामिल हो गईं।
भाजपा राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े और झारखंड के चुनाव प्रभारी लक्ष्मीकांत वाजपेयी एवं अन्य नेताओं की मौजूदगी में सीता सोरेन ने मंगलवार को पार्टी मुख्यालय में भाजपा का दामन थाम लिया।
भाजपा राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े ने सीता सोरेन को आदिवासी समाज की बड़ी और महत्वपूर्ण महिला नेता बताते हुए पार्टी में उनका स्वागत किया और साथ ही यह भी दावा किया कि उनके आने से पार्टी को आगामी चुनावों में झारखंड में फायदा होगा।
भाजपा में शामिल होने के बाद सीता सोरेन ने कहा कि झारखंड में जल, जंगल और जमीन की उपेक्षा हो रही है, लोगों का पलायन हो रहा है और राज्य की जनता बदलाव की मांग कर रही है। उन्होंने कहा कि झारखंड को बचाने के लिए उन्होंने मोदी के परिवार (भाजपा) में शामिल होने का फैसला किया है।
आपको बता दें कि सीता सोरेन ने मंगलवार को ही शिबू सोरेन को पत्र लिखकर पार्टी और परिवार छोड़ने की घोषणा कर दी थी। जेएमएम की महासचिव रहीं सीता सोरेन पार्टी के संस्थापक शिबू सोरेन के दिवंगत बेटे दुर्गा सोरेन की पत्नी हैं।
शिबू सोरेन को लिखे अपने इस्तीफे के पत्र में सीता सोरेन ने अपने पति दुर्गा सोरेन के निधन के बाद से ही उपेक्षा करने का आरोप लगाते हुए यह भी कहा कि उनके खिलाफ एक बड़ी साजिश रची जा रही है।
(आईएएनएस)
बेंगलुरु, 19 मार्च । कर्नाटक भाजपा अध्यक्ष बी.वाई. विजयेंद्र ने मंगलवार को कहा कि उन्हें गठबंधन सहयोगी जद (एस) और बागी भाजपा नेताओं के साथ सीट-बंटवारे की समस्या सुलझने की उम्मीद है।
विजयेंद्र ने कहा कि उन्होंने जद (एस) के तीन सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा के संबंध में भाजपा आलाकमान और पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा व पूर्व मुख्यमंत्री एच.डी. कुमारस्वामी.से बात की है।
उन्होंने कहा, ''मुझे विश्वास है कि आलाकमान सभी को संतुष्ट करने वाला फैसला करेगा।''
उन्होंने कहा कि किसी भी गठबंधन में मतभेद स्वाभाविक है। बीजेपी और जेडीएस नेता सीट बंटवारे को लेकर बात कर रहे हैं। मुझे विश्वास है कि सब कुछ सुलझ जाएगा। जद (एस) और भाजपा गठबंधन सुचारू रूप से जारी रहेगा।
पूर्व मुख्यमंत्री डी.वी. सदानंद गौड़ा के कांग्रेस में शामिल होने पर उन्होंने कहा कि उन्हें पूरा भरोसा है कि वह बीजेपी में बने रहेंगे।
वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री के.एस. ईश्वरप्पा ने शिवमोग्गा से भाजपा उम्मीदवार बी.वाई.राघवेंद्र के खिलाफ स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने की घोषणा की है।
विजयेंद्र ने कहा,“ईश्वरप्पा एक वरिष्ठ नेता हैं। वह वर्तमान सरकार की विकास की ओर ले जाने वाली झूठी जानकारी से गुमराह है। मुझे विश्वास है कि सच्चाई जानने के बाद उन्हें एहसास होगा और वे भाजपा में वापस आएंगे।''
पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार को लोकसभा टिकट दिए जाने के सवाल पर विजयेंद्र ने कहा कि इस मुद्दे पर पार्टी आलाकमान का निर्णय अंतिम होगा।
(आईएएनएस)
गढ़चिरौली (महाराष्ट्र), 19 मार्च । सुरक्षाबलों ने भीषण गोलाबारी में चार माओवादियों को मौत के घाट उतार दिया। ये सभी तेलंगाना से गढ़चिरौली आए थे। इन पर इनाम भी घोषित था।
सुरक्षाबलों को सूचना मिली कि बड़ी संख्या में माओवादी पड़ोसी राज्य से अपने नापाक इरादों के साथ राज्य में दाखिल हो चुके हैं। गढ़चिरौली पुलिस के क्रैक सी-60 कमांडो ने रेपनपल्ली डिवीजन के कोलामरका पहाड़ियों में तलाशी अभियान चलाया।
पेड़ के पीछे छुपे माओवादियों ने अचानक सी-60 की टीम पर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी, जिसके जवाब में सुरक्षाबलों ने भी फायरिंग शुरू कर दी।
मुठभेड़ रुकने के बाद, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (संचालन) यतीश देशमुख के नेतृत्व में कमांडो ने आसपास के क्षेत्र में तलाशी ली। इस दौरान चार खूंखार माओवादियों के शव मिले।
पुलिस ने इनके पास से एके-47, एक कार्बाइन, दो देशी पिस्तौल, गोला-बारूद , माओवादी साहित्य सहित अन्य सामान बरामद किए हैं।
अधिकारियों को आशंका है कि लोकसभा चुनाव से पहले माओवादी बड़ी वारदात को अंजाम देने के मकसद से महाराष्ट्र में दाखिल हुए थे।
बता दें कि महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को होगा।
(आईएएनएस)
देहरादून, 19 मार्च । लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा हो चुकी है। उत्तराखंड की 5 सीटों के लिए लोकसभा चुनाव 19 अप्रैल को है। लोकसभा चुनाव को लेकर पुलिस प्रशासन ने भी तैयारियां तेज कर दी है।
उत्तराखंड पुलिस ने सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है। इसके साथ ही 19 अप्रैल को होने वाले चुनाव को लेकर पुलिस अलर्ट मोड में है। चुनाव आयोग के हर आदेश को उत्तराखंड के डीजीपी अभिनव कुमार ने सख्ती से लागू किया है।
डीजीपी अभिनव कुमार ने बताया कि आगामी लोकसभा चुनावों को देखते हुए राज्य की सभी चौकियों पर पुलिस को तैनात किया गया है। राज्य की सीमाओं पर नकदी और अवैध शराब की आवजाही ना हो, इसके लिए गाड़ियों की चेकिंग की जा रही है।
इसके अलावा लोकसभा चुनाव में प्रदेश के सभी बूथों पर पुलिस, सीएपीएफ और होमगार्ड्स की तैनाती रहेगी। चुनाव को देखते हुए सभी पुलिस अधिकारियों को आचार संहिता का सख्ती से पालन करने के निर्देश दिए गए हैं।
(आईएएनएस)
लखनऊ, 19 मार्च । चुनाव आयोग के प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद को हटाने के आदेश के बाद गृह विभाग की जिम्मेदारी 1990 बैच के आईएएस दीपक कुमार को मिली है। आयोग ने उनके नाम पर हरी झंडी दे दी है।
दरअसल, चुनाव आयोग ने उन सभी राज्यों में गृह सचिवों को हटा दिया था, जिनके पास सीएम कार्यालय की भी कोई जिम्मेदारी थी। इसके साथ ही यूपी में भी संजय प्रसाद से प्रमुख सचिव गृह का चार्ज ले लिया गया और गृह विभाग का चार्ज स्वतः ही मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा के पास चला गया था।
आईएएस दीपक कुमार के पास बेसिक शिक्षा और वित्त विभाग का चार्ज है। उनकी बेदाग छवि के कारण उनके नाम पर चुनाव आयोग ने मुहर लगाई है।
केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने उत्तर प्रदेश सहित छह राज्यों गुजरात, बिहार, झारखंड, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में गृह सचिव को हटाने के आदेश जारी किए थे। चुनाव आयोग के अनुसार, सातों राज्यों के गृह सचिवों के पास सीएम दफ्तर में अन्य चार्ज भी था, इसलिए निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए गृह सचिव को हटाना जरूरी था।
(आईएएनएस)
ऑनलाइन डिलीवरी करने वालों और ऐप बेस्ड टैक्सी ड्राइवरों को लेकर हुए एक सर्वे में कई अहम तथ्य सामने हैं. सर्वे में शामिल लोगों ने कहा है कि उनके काम के घंटे लंबे होते हैं और कमाई कम होती है.
एक सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक लगभग 47 प्रतिशत कैब ड्राइवर और 41.5 प्रतिशत डिलीवरी करने वालों को काम पर किसी न किसी प्रकार की हिंसा का सामना करना पड़ता है, जिनमें से अधिकांश 10 मिनट की डिलीवरी पॉलिसी को बंद करने की मांग कर रहे हैं.
ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के लिए काम करने वाले कर्मचारियों के हालात पर दिल्ली स्थित एनजीओ पीपल्स एसोसिएशन इन ग्रासरूट्स एक्शन एंड मूवमेंट (पीएआईजीएएम) नेटवर्क और आईएफएटी ने एक सर्वे किया है.
सर्वे में दिल्ली, लखनऊ, जयपुर, इंदौर, मुंबई, कोलकाता, हैदराबाद और बेंगलुरू समेत आठ राज्यों में अप्रैल 2022 से 2023 के बीच 10,000 ऑनलाइन डिलीवरी करने वाले और ऐप-आधारित ड्राइवरों की प्रतिक्रियाओं का अध्ययन किया गया है.
इस सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक 41.5 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने बताया कि उन्हें काम पर हिंसा का सामना करना पड़ा है. इस रिपोर्ट के मुताबिक 72 प्रतिशत ऑनलाइन कर्मचारियों को प्रति माह 15,000 रुपये से कम कमाई के साथ अपने खर्चों का प्रबंधन करना मुश्किल लगता है.
काम ज्यादा, कमाई कम
"प्रिजंस ऑन व्हिल्स" नाम से जारी सर्वे रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत में ऐप आधारित टैक्सी ड्राइवरों में से 83 फीसदी से अधिक रोजाना 10 घंटे से ज्यादा काम कर रहे हैं. इसके बावजूद उनकी कमाई काफी कम है.
लंबे समय तक काम करने से इन ड्राइवरों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, लगभग 93.3 प्रतिशत कैब ड्राइवरों ने शिकायत की है कि उन्हें जोड़ों के दर्द और पीठ दर्द समेत शारीरिक दर्द का सामना करना पड़ता है. 98.5 प्रतिशत डिलीवरी करने वाले व्यक्तियों ने कहा कि वे चिंता, अवसाद, तनाव, घबराहट और चिड़चिड़ापन का अनुभव करते हैं.
भेदभाव का सामना करते गिग वर्कर
ऑनलाइन डिलीवरी करने वाली कई कंपनियां डिस्काउंट की पेशकश करती हैं और ऑर्डर देने के 10 मिनट के भीतर डिलीवरी नहीं होने पर ऑर्डर मुफ्त में देने का वादा करती हैं. लेकिन 10 मिनट में डिलीवरी का काम करने वाले लोगों का कहना है कि इस पॉलिसी के कारण हादसे का खतरा बना रहता है. सर्वे में शामिल 86 प्रतिशत ऑनलाइन डिलीवरी करने वालों ने इस नीति को पूरी तरह से अस्वीकार्य बताया है.
इस रिसर्च के डायरेक्टर आकृति भाटिया ने कहा, "ऑनलाइन डिलीवरी करने वाले और ऐप-आधारित श्रमिकों को कर्मचारी माना जाना चाहिए और कंपनियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ड्राइवरों को न्यूनतम वेतन मिले."
पीएआईजीएएम के चीफ कॉऑर्डिनेटर दीपक इंडोलिया कहते हैं, "अधिकांश रेसिडेंसिशियल अपार्टमेंट्स में काम करने वाले श्रमिकों और डिलीवरी कर्मियों को निवासियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाली लिफ्ट के उपयोग करने की अनुमति नहीं है. यही बात एंट्री गेट पर भी लागू होती है."
हाल के सालों में भारत में ऑनलाइन डिलीवरी का बाजार बहुत तेजी से बढ़ा है और आने वाले सालों में इसके और विशाल होने का अनुमान लगाया जा रहा है. रेडसीअर कंपनी की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2025 तक भारत का हाइपर-लोकल डिलीवरी बाजार 50-60 फीसदी बढ़कर 15 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है. रिपोर्ट में कहा गया कि 10 मिनट में डिलीवरी की सेवा ऑनलाइन डिलीवरी के बाजार का मुख्य इंजन भी हो सकती है.
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक गिग अर्थव्यवस्था के मामले में भारत दुनिया में दूसरे नंबर पर है. एशिया प्रशांत क्षेत्र के सभी गिग वर्कर्स में से 56 फीसदी भारत में काम करते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई से कहा है कि चुनावी बॉन्ड से जुड़ी हर वो जानकारी अदालत को दे जो उसने अभी तक नहीं दी है. ऐक्टिविस्ट एक नंबर बताए जाने की मांग कर रहे हैं जो यह बताएगा कि किस डोनर ने किस पार्टी को चंदा दिया था.
डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय की रिपोर्ट-
सोमवार को चुनावी बॉन्ड के मामले पर एक और सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के प्रति नाराजगी व्यक्त करते हुए बैंक को मामले से संबंधित हर जानकारी देने के लिए कहा. एनडीटीवी के मुताबिक मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने बैंक से कहा कि उसका रवैया उचित नहीं लग रहा है.
उन्होंने कहा, "एसबीआई का रवैया ऐसा लगा रहा है कि "आप हमें बताइए कौन सी जानकारी देनी है, हम वो दे देंगे. यह उचित नहीं लग रहा है. जब हमने कहा "सभी डिटेल्स", तो उसमें हर वो डाटा आता है जिसकी कल्पना की जा सकती है...हर जानकारी बाहर आनी चाहिए. हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि कुछ भी छुपाया ना जाए."
कौन सी जानकारी बाकी है
इस मामले को सुप्रीम कोर्ट तक लाने वाले ऐक्टिविस्टों को कहना है कि अभी भी एक महत्वपूर्ण जानकारी सामने नहीं आई है. ऐक्टिविस्टों का कहना है कि हर चुनावी बॉन्ड पर अक्षरों और नंबरों का एक यूनीक कोड होता है जिसकी मदद से यह पता किया जा सकता है कि किसके द्वारा खरीदे गए बॉन्ड को किस राजनीतिक दल ने भुनाया.
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक इस कोड को सिर्फ पराबैंगनी रोशनी में देखा जा सकता है. पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया था कि यह एक सुरक्षा फीचर है और यह ना तो बॉन्ड के बिकने के समय दर्ज होता है और ना बॉन्ड भुनाते समय राजनीतिक दल दर्ज करवाता है.
लेकिन याचिकाकर्ता एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के वकील प्रशांत भूषण के मुताबिक बॉन्ड के डोनरों और खरीदारों दोनों की जानकारी दर्ज करते समय एसबीआई दोनों को एक यूनीक नंबर देता है, जिसे मैच किया जा सकता है.
एसबीआई पर सख्ती
सोमवार की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को यह जानकारी भी देने के लिए कहा. इसके अलावा अदालत ने एसबीआई के अध्यक्ष को गुरुवार, 21 मार्च की शाम पांच बजे तक एक हलफनामा भी दायर करने के लिए कहा जिसमें यह लिखा होना चाहिए कि बैंक ने कोई जानकारी छुपाई नहीं है.
सोमवार की सुनवाई में प्रशांत भूषण ने अदालत को यह भी बताया खरीदे गए और भुनाए गए बॉन्ड में मेल नहीं है और इसलिए उन्होंने अपील की कि अदालत राजनीतिक दलों को भी आदेश दे कि वो बॉन्ड भुनाने की जानकारी दें. लेकिन अदालत ने इस अनुरोध को ठुकरा दिया और कहा कि इससे उसके मूल फैसले का रूप-परिवर्तन हो जाएगा. (dw.com)
भारत में केंद्र से लेकर राज्य सरकारें तक महिला सशक्तिकरण के दावे करती हैं लेकिन हाल में सामने आई पश्चिम बंगाल के संदेशखाली जैसी घटनाएं और देश में महिलाओं के पिछड़ेपन के ताजा आंकड़े इन दावों को मुंह चिढ़ाते नजर आते हैं.
डॉयचे वैले पर प्रभाकर मणि तिवारी की रिपोर्ट-
देश में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने बीते साल सितंबर में नारी शक्ति वंदन अधिनियम, 2023 पारित किया था. हाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लखपति दीदी और नमो ड्रोन दीदी योजनाओं की शुरुआत की थी. बीते साल संसद में महिला आरक्षण विधेयक भी पारित हो गया है.
भारत के जिस एकलौते राज्य, पश्चिम बंगाल, में 13 साल से एक महिला मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का राज है वहां भी युवतियों और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कम से कम आधा दर्जन योजनाएं चल रही हैं. हाल में पश्चिम बंगाल के संदेशखाली से सामने आने वाली यौन उत्पीड़न की खबरें और नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो की ताजा रिपोर्ट इन दावों को मुंह चिढ़ाती नजर आती हैं. यूएन वीमेन और युनाइटेड नेशंस डेवलपमेंट प्रोग्राम (यूएनडीपी) की ओर से जारी महिला सशक्तिकरण और वैश्विक लैंगिक समानता सूचकांकों के मामले में भी भारत दुनिया के उन देशों की सूची में शामिल है जो इस मामले में पिछड़े हैं. इनसे साफ है कि भारत में महिला सशक्तिकरण अब भी दूर की कौड़ी है.
हाल की घटनाएं
पश्चिम बंगाल की संदेशखाली की घटना चिराग तले अंधेरा कहावत को चरितार्थ करती है. कोलकाता से महज सौ किमी दूर बांग्लादेश के सीमावर्ती इलाके में बसे संदेशखाली ने बीती फरवरी में राष्ट्रीय ही नहीं अंतरराष्ट्रीय सुर्खियां बटोरी थीं. इसकी वजह थी सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं के कथित यौन उत्पीड़न और सामूहिक बलात्कार के खिलाफ महिलाओं का सड़क पर उतरना. वह भी उस राज्य में, जहां 13 साल से महिला मुख्यमंत्री का राज है.
आखिर इस मामले के तमाम अभियुक्तों की गिरफ्तारी के बाद फिलहाल यह मुद्दा शांत तो है. लेकिन यह अपने पीछे कई सवाल छोड़ गया है. राज्य सरकार वर्षों से महिला सशक्तिकरण और उनको आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई योजनाएं चला रही है. बावजूद इसके अगर राजधानी के करीब ऐसा हो रहा है तो दूरदराज के इलाकों के बारे में अनुमान लगाना मुश्किल नहीं है.
अन्य राज्यों में भी हालत चिंताजनक
ऐसा नहीं है कि पश्चिम बंगाल में ही ऐसी घटनाएं हो रही हैं. हाल में उत्तर प्रदेश में दो नाबालिग युवतियों ने कथित रूप से सामूहिक बलात्कार के बाद रहस्यमय तरीके से आत्महत्या करने का मामला भी सुर्खियों में रहा था. बाद में उनमें से एक के पिता ने भी रहस्यमय तरीके से आत्महत्या कर ली थी. इसके अलावा झारखंड के दुमका जिले में स्पेन के एक दंपति के साथ जो कुछ हुआ, वह भी सुर्खियों में रहा था. उस महिला के साथ सात लोगों ने सामूहिक बलात्कार किया था.
राजधानी दिल्ली के अलावा मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र जैसे राज्यों से भी अक्सर ऐसी घटनाएं सामने आती रही हैं. यही वजह है कि एनसीआरबी के आंकड़े चौंकाते नहीं है. हालांकि समाजशास्त्रियों का कहना है कि यह आंकड़े पूरी तस्वीर नहीं बताते. इनमें उन मामलों का ही जिक्र किया जाता है जो पुलिस तक पहुंचे हैं. लेकिन खासकर मानसिक संकीर्णता और दकियानूसी सोच की जंजीरों में बंधे ग्रामीण इलाकों में ऐसे ज्यादातर मामलों को स्थानीय पंचायत के स्तर पर ही रफा-दफा कर दिया जाता है. फिर भी एनसीआरबी की ताजा रिपोर्ट एक खतरे की घंटी तो है ही.
एनसीआरबी की ताजा रिपोर्ट
नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) ने बीते दिसंबर में अपनी ताजा रिपोर्ट जारी की थी. इसमें साल 2022 के दौरान महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों का आंकड़ा है. इसमें बताया गया था कि 2021 के मुकाबले 2022 में देश में महिलाओं के खिलाफ दर्ज अपराधों में चार फीसदी की वृद्धि हुई है. इस दौरान दिल्ली में लगातार तीसरे साल महानगरों में महिलाओं के खिलाफ अपराध के तहत सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए. महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में उत्तर प्रदेश एक फिर पहले स्थान पर रहा है. उसके बाद महाराष्ट्र और राजस्थान का स्थान है. इसी तरह बलात्कार के बाद हत्या जैसे गंभीर अपराधों के मामले में भी उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश पहले दोनों स्थान पर हैं. दहेज के लिए होने वाली मौतों के मामले में भी पहला स्थान उत्तर प्रदेश का ही रहा है.
एनसीआरबी की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2022 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल 4.45 लाख मामले दर्ज किए गए. यह सुनकर हैरत हो सकती है कि देश में हर घंटे महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में 51 एफआईआर दर्ज किए. साल 2022 के दौरान देश भर में करीब 70 हजार महिलाओं का अपहरण हुआ. इस मामले में उत्तर प्रदेश अव्वल रहा है. उसके बाद क्रमशः बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल का स्थान था.
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट
संयुक्त राष्ट्र के दो संगठनों यूएन वुमेन और यूएनडीपी ने अपनी एक ताजा रिपोर्ट में पहली बार साल 2022 में 114 ऐसे देशों में महिलाओं की स्थिति का विश्लेषण किया है जो महिला सशक्तिकरण और लैंगिक समानता सूचकांकों के लिहाज से पिछड़े हैं. इन देशों में 3.1 अरब युवतियां और महिलाएं रहती हैं जो दुनिया में महिलाओं की कुल आबादी का 90 फीसदी है. बराबरी के रास्ते (द पाथ्स टू इक्वल) शीर्षक इस रिपोर्ट में कहा गया है कि यह दोनों सूचकांक महिला सशक्तिकरण और लैंगिक समानता की दिशा में संबंधित देश की प्रगति की पूरी तस्वीर बताते हैं.
इसमें भारत का जिक्र करते हुए कहा गया है कि आर्थिक लिहाज से कुछ प्रगति जरूर हुई है. महिलाओं के बैंक खाते खुले और स्थानीय प्रशासन में भागीदारी कुछ बढ़ी है. लेकिन कौशल विकास के अलावा श्रम, राजनीति और निजी क्षेत्र में भागीदारी जैसे मामलों में उनको अब भी लैंगिक समानता के लिए काफी फासला तय करना है.
योजनाओं के बावजूद समस्या कहां आती है
समाजशास्त्रियों का कहना है कि महिलाओं के खिलाफ अपराध रोकने के लिए बने तमाम कानून प्रभावी तो हैं. लेकिन उनको लागू करने के लिए राजनीतिक दलों में इच्छाशक्ति का अभाव है. यह बात किसी से छिपी नहीं है कि पुलिस से मामलों में भी सत्तारूढ़ पार्टी के इशारे या मूड के आधार पर ही कदम उठाती है. तमाम राज्यों में इसकी सैकड़ों मिसाल मिल जाएगी.
महिला कार्यकर्ता सोनाली प्रधान कहती हैं, "विडंबना तो यह है कि महिलाओं के खिलाफ अपराध के मुद्दे पर राजनीति या कुछ कर पाने की हैसियत में रही महिलाएं भी चुप्पी साध लेती हैं." वे इस मामले में संदेशखाली की घटना का हवाला देती हैं. इतने बवाल के बावजूद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से लेकर सत्तारूढ़ पार्टी की किसी महिला नेता ने इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं की. विपक्ष ने इस मुद्दा जरूर बनाया. लेकिन सुनंदा के मुताबिक, वह इसे राजनीतिक हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने का प्रयास कर रही है. राजनीति या प्रशासन में शीर्ष पर पहुंचने वाली महिलाएं ऐसे मामलों में अपराधियों का राजनीतिक जुड़ाव देखने के बाद ही टिप्पणी करने या चुप्पी साधने का फैसला करती हैं.
एक अन्य समाजशास्त्री और महिला कार्यकर्ता देवप्रिया मंडल कहती हैं, "तमाम केंद्रीय कानूनों और महिला सशक्तिकरण योजनाओं के बावजूद सौ बात की एक बात यह है कि जब तक महिलाएं अपने कम्फर्ट जोन से निकल कर अपने जीवन की बागडोर खुद संभालने की इच्छाशक्ति और दृढ़ निश्चय नहीं दिखाती तब तक देश में महिला सशक्तिकरण का मुद्दा हवाई ही रहेगा." (dw.com)
भारत के 'लॉटरी किंग' सैंटियागो मार्टिन पर अधिकारियों द्वारा धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाया गया. उनकी कंपनी चुनावी बॉन्ड के जरिए राजनीतिक दलों को दान करने वाली टॉप कंपनी बनकर उभरी है.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट-
सैंटियागो मार्टिन की कंपनी फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज ने साल 2019 और 2024 के बीच चुनावी बॉन्ड के जरिए 1,368 करोड़ रुपये का दान राजनीतिक दलों को दिया. सुप्रीम कोर्ट द्वारा असंवैधानिक करार दी गई चुनावी बॉन्ड योजना के तहत इस कंपनी ने दूसरे बड़े डोनर से 40 फीसदी अधिक दान किया.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद चुनाव आयोग द्वारा प्रकाशित जानकारी से पता चलता है कि बीजेपी इस चुनावी बॉन्ड के जरिए दान लेने वाली सबसे बड़ी पार्टी थी, लेकिन अभी तक यह जानकारी सामने नहीं आई है कि किस डोनर ने किस पार्टी को चंदा दिया है.
सबसे बड़ा चंदा देने वाले 'लॉटरी किंग'
आज जिन्हें 'लॉटरी किंग' के नाम से जाना जाता है वह कभी लॉटरी टिकटें बेचा करते थे. 59 साल के सैंटियागो मार्टिन का कारोबार लॉटरी से लेकर रियल एस्टेट तक फैला हुआ है. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक राजनीतिक हलकों में उनके दोस्त हैं और जैसे-जैसे उनका बिजनेस फला फूला, वह नेताओं पर भारी रकम खर्च करने लगे और महंगे उपहार देने लगे.
मार्टिन और उनकी कंपनी के खिलाफ पुलिस, टैक्स विभाग और जांच एजेंसियों द्वारा विभिन्न मामलों में कार्रवाई भी की गई है. पिछले साल सितंबर में प्रवर्तन निदेशालय ने मार्टिन के फ्यूचर गेमिंग और लॉटरी समेत 15 अन्य संबंधित कंपनियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग प्रावधानों के तहत एक आरोप पत्र दायर किया था.
रॉयटर्स ने टिप्पणी के लिए फ्यूचर गेमिंग से संपर्क किया, लेकिन कंपनी ने कोई जवाब नहीं दिया.
ईडी ने आरोप लगाया था, "उन्होंने कथित तौर पर लॉटरी की बिक्री से हुई पूरी आय जमा न करके लॉटरी जारी करने वाली राज्य सरकारों को धोखा दिया है." ईडी ने आरोप में कहा कि बिना बिके टिकटों पर इनामों को अवैध रूप से बनाए रखने और दावा करने और डाटा में हेरफेर करके लॉटरी कानून का उल्लंघन किया है.
ईडी के आरोपों पर मार्टिन और उनकी कंपनी ने गलत काम करने से इनकार किया. उनके समूह, मार्टिन ग्रुप ने पिछले साल अक्टूबर में कहा कि समूह और उसकी कंपनियां कानून का पालन करती हैं और मार्च 2003 तक वित्तीय वर्ष में मार्टिन भारत के सबसे बड़े टैक्स देने वाले थे.
कभी मजदूर थे मार्टिन
उनके गैर-लाभकारी मार्टिन चैरिटेबल ट्रस्ट के मुताबिक वह कभी म्यांमार में मजदूरी कर अपने परिवार का समर्थन करते थे. मार्टिन 1980 के दशक में भारत में लौट आए. उसके बाद उन्होंने दक्षिणी शहर कोयंबटूर में अपना व्यावसायिक करियर शुरू किया.
मार्टिन द्वारा चलाई गई दो अंकों की लॉटरी ने इलाके में लोकप्रियता हासिल की, ऐसा इसलिए क्योंकि गरीब लोग रातोंरात अमीर बनने का सपना देखते थे. मार्टिन की वेबसाइट के मुताबिक उन्होंने अन्य राज्यों और पड़ोसी देश भूटान और नेपाल तक अपने लॉटरी बिजनेस का विस्तार किया, जहां टिकट वितरण पर उनका एकाधिकार था.
राजनीतिक दलों से नजदीकी
मार्टिन ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री रहे एम करुणानिधि द्वारा रूसी लेखक मैक्सिम गोर्की की नोवल "मदर" पर आधारित फिल्म भी बनाई. 20 करोड़ की लागत से बनी यह फिल्म 2011 में रिलीज हुई थी.
उसी साल हुए चुनाव में सत्ताधारी दल हार गया और एआईएडीएमके की सरकार बनी तो मार्टिन के लिए बुरा वक्त शुरू हो गया.
मार्टिन और उनके सहयोगियों के खिलाफ सीबीआई ने 32 मामले दर्ज किए थे और उनपर सिक्किम सरकार को धोखा देकर गैर कानूनी तरीके से लॉटरी बेचने का आरोप लगा. इस कारण कथित तौर पर सिक्किम सरकार को 910 करोड़ का नुकसान पहुंचा.
जमीन हड़पने, धोखाधड़ी और अवैध लॉटरी बिक्री के आरोपों समेत 14 मामलों में उन्हें कई नेताओं के साथ आठ महीने तक जेल में रखा गया था. उन्हें किसी भी मामले में दोषी नहीं ठहराया गया है, जिनमें से कुछ अभी भी लंबित हैं. उन्हें 2012 में जमानत पर रिहा कर दिया गया था.
मार्टिन की परेशानी जब बढ़ने लगी तो उनका परिवार सार्वजनकि कार्यक्रम में नजर आने लगा. उनकी पत्नी ने साल 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ एक मंच साझा किया. मोदी उस समय प्रधानमंत्री पद के लिए एनडीए का चेहरा थे. एक साल बाद मार्टिन के सबसे बड़े बेटे चार्ल्स मोदी की पार्टी में शामिल हो गए. (dw.com)
विश्व स्वास्थ्य संगठन के नए डाटा के मुताबिक 2023 में भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण वाले देश रहे. साथ ही नई दिल्ली दुनिया में सबसे खराब वायु गुणवत्ता वाली राजधानी रही.
डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय की रिपोर्ट-
विश्व स्वास्थ्य संगठन के डाटा के मुताबिक भारत में 2023 में 2022 के मुकाबले वायु प्रदूषण और बढ़ गया. देश में पीएम2.5 का स्तर संगठन के मानक से करीब 11 गुना ऊपर पाया गया. पीएम2.5 हवा में मौजूद छोटे छोटे कण होते हैं जो फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स का कहना है कि संगठन के मानक के मुताबिक पीएम2.5 का औसत कंसंट्रेशन पांच माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से ज्यादा नहीं होना चाहिए. नई दिल्ली को दुनिया की सभी राजधानियों में से सबसे खराब वायु गुणवत्ता वाली राजधानी पाया गया. शहर में पीएम2.5 का औसत कंसंट्रेशन 92.7 माइक्रोग्राम पाया गया.
और खराब हो सकती है स्थिति
2022 में, भारत आठवां सबसे खराब वायु गुणवत्ता वाला देश था और बांग्लादेश पांचवां. पाकिस्तान 2022 में भी तीन सबसे बुरे प्रदर्शन वाले देशों में शामिल था. लेकिन 2023 में भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश मिल कर दुनिया के तीन सबसे ज्यादा प्रदूषित देश रहे.
2023 में बांग्लादेश और भारत ने इस सूची में ईरान और अफ्रीकी देश चैड की जगह ले ली. 2023 में बांग्लादेश में पीएम2.5 का औसत कंसंट्रेशन 79.9 पर और पाकिस्तान में 73.7 पर पहुंच गया.
स्विट्जरलैंड के एयर-मॉनिटरिंग संगठन आईक्यूएयर में वायु गुणवत्ता विज्ञान मैनेजर क्रिस्टी चेस्टर श्रोडर ने बताया, "जलवायु के हालात और भूगोल (दक्षिण एशिया में) की वजह से आपको इस तरह के पीएम2.5 के कंसंट्रेशन के बहुत बढ़े हुए स्तर मिलते हैं क्योंकि प्रदूषण कहीं जा नहीं पाता है."
उन्होंने आगे कहा, "उसके ऊपर से कृषि गतिविधियों, उद्योगों और आबादी की सघनता जैसे कारण भी हैं. दुर्भाग्य से, वाकई ऐसा लग रहा है कि स्थिति बेहतर होने से पहले और खराब हो जाएगी."
2023 में चीन में भी पीएम2.5 का स्तर 6.3 प्रतिशत बढ़ कर 32.5 माइक्रोग्राम हो गया. इसके पहले लगातार पांच सालों तक चीन में पीएम2.5 के स्तर में गिरावट दर्ज की जा रही थी. 2023 में विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों पर खरे उतरने वाले देशों में ऑस्ट्रेलिया, एस्टोनिया, फिनलैंड, ग्रेनाडा, आइसलैंड, मॉरीशस और न्यूजीलैंड शामिल रहे.
कई देशों में नहीं रखी जाती है नजर
आईक्यूएयर रिपोर्ट 134 देशों और प्रांतों में मौजूद 30,000 से भी ज्यादा मॉनिटरिंग स्टेशनों से हासिल किए गए डाटा पर आधारित है. 2022 में सबसे प्रदूषित देश रहे चैड को डाटा से जुड़ीं समस्याओं की वजह से 2023 की सूची से हटा दिया गया था. ईरान और सूडान को भी हटा दिया गया था.
शिकागो विश्वविद्यालय के ऊर्जा नीति इंस्टिट्यूट में वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक की निदेशक क्रिस्टा हासेनकॉप्फ ने बताया कि 39 प्रतिशत देशों में तो सार्वजनिक रूप से वायु गुणवत्ता की मॉनिटरिंग होती ही नहीं है.
उन्होंने बताया, "इतने बड़े संभावित लाभ और तुलनात्मक रूप से कम खर्च होने के बावजूद यह काफी चौंकाने वॉली बात है कि हमारे पास इस डाटा गैप को भरने के लिए संसाधन लगाने की कोई भी संगठित वैश्विक कोशिश नहीं है, विशेष रूप से ऐसे स्थानों में जहां वायु प्रदूषण का स्वास्थ्य बोझ सबसे ज्यादा रहा है." (dw.com)