-चिंकी सिन्हा
धमकियों के सिलसिले की ये एक और कड़ी थी. उन्हें ऐसी धमकियों की तो आदत सी पड़ चुकी थी. मगर, इस बार डराने धमकाने वाले बंदूकों के साथ आए और खेतों के बीच गोली मारकर उनकी हत्या कर दी. जहां ये वारदात हुई, वो उनके घर से बस 200 मीटर दूर है.
नोज़ारपुर जाने के लिए कोई साइन बोर्ड नहीं लगा है. चारों तरफ़ खेतों की लंबी कतारों से घिरे इस गांव में इन दिनों आने जाने वालों का सिलसिला तेज़ हो गया है. लोगों की आवाजाही तब से शुरू हुई, जब उनकी बेटी को छेड़ने वालों ने उन्हें गोलियों से भून डाला.
नीले रंग के दरवाज़े वाले घर पर, जब कोई नया इंसान आता है, तो उनकी बेटी खड़ी होती हैं. अपने मुंह पर कपड़ा लपेटती हैं, और सिलसिलेवार तरीक़े से अपने पिता की हत्या की वारदात को फिर से बयान करती हैं.
दीवार से लगे बिस्तर के ऊपर तीन तस्वीरें लगी हैं. एक फोटो इस लड़की के पिता की है, जिनकी हत्या कर दी गई. ये तस्वीर उस वक़्त खींची गई थी, जब उनकी बड़ी बेटी की शादी हुई थी.
दूसरी तस्वीर उनकी बड़ी बेटी की है, जिसमें वो अपने पति के साथ खड़ी है. तस्वीर के पीछे पीले फूलों से लदी सरसों की फ़सल का वैसा ही नज़ारा दिखता है, जैसा हम अक्सर बॉलीवुड की फ़िल्मों में देखते हैं. बीच वाली तस्वीर उस लड़की की है. 23 बरस की वो लड़की, तस्वीर में खिली हुई मुस्कान के साथ नज़र आती है.
'मुझे इंसाफ़ चाहिए...'
वो कहती हैं कि, "हमारे लिए तो सब ख़त्म हो गया. मुझे इस घटना के बारे में बार-बार लोगों को बताना पड़ रहा है. मुझे इंसाफ़ चाहिए. बार बार वही बात दोहराते हुए मुझे बहुत तकलीफ़ होती है. मगर, मुझे पता है कि ये दर्द मुझे बर्दाश्त करना ही होगा. जो मुझ पर गुज़री, वो दर्दनाक दास्तान लोगों को सुनानी ही होगी."
पचास साल के अवनीश कुमार शर्मा खेती-बाड़ी करते थे. एक मार्च को उनकी हत्या बहराइच के रहने वाले गौरव शर्मा ने कर दी थी.
सासनी कोतवाली की पुलिस कहती है कि आरोपी ने अपने पांच साथियों के साथ अवनीश कुमार की गोली मारकर हत्या की. इसके लिए उन्होंने अवैध बंदूकों का इस्तेमाल किया. अब आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की कई धाराओं के तहत केस दर्ज किए गए हैं.
इसमें घातक हथियार लेकर बलवा करने जैसे जुर्म में सज़ा देने वाली धाराएं भी शामिल हैं. लेकिन, पीड़ित का परिवार चाहता है कि आरोपियों को फांसी की सज़ा दी जाए. उस लड़की ने छह में से चार हमलावरों की शिनाख़्त कर ली है. उनके नाम-गौरव शर्मा, निखिल शर्मा, ललित शर्मा और रोहिताश शर्मा हैं.
इनके साथ आए दो और लोगों को वो नहीं पहचान पायी थी. अगले दिन, वो अपने पिता की लाश को अपने चचेरे भाइयों और अन्य लोगों की मदद से लेकर आई थीं. वो कहती हैं कि उसने इंसाफ़ पाने के लिए ख़ुद एफआईआर दर्ज कराई थी.
धमकी देने के बाद...
एक मार्च को अभियुक्त की पत्नी और चाची मंदिर गए थे. वो उस रास्ते से मंदिर गए थे, जो अवनीश शर्मा के खेत से होकर जाता था. अवनीश ने उन्हें अपने खेत से बाहर जाने को कहा. ये झगड़ा वहीं से शुरू हुआ था. वो लड़की और उसकी बड़ी बहन भी उसी वक़्त मंदिर जा रहे थे.
लड़की की बड़ी बहन अभी गर्भवती हैं और मां-बाप से मिलने अपने मायके आई हुई हैं. लड़की ने कहा कि, "उन लोगों ने हम पर फिकरे कसे. गौरव शर्मा की बीवी ने कहा कि वो उसके पिता को मार डालेंगे."
इस बहस के बाद भी, आरोपी के परिवार के लोग अवनीश के खेत से होकर ही मंदिर गए. उन्होंने गौरव को भी बुला लिया था.
गौरव ने लड़की के पिता को दोपहर के वक़्त बुलाया और कहा कि वो आज ही उन्हें जान से मार डालेगा. गौरव के धमकी देने के बाद, अवनीश ने अपनी दोनों बेटियों को फ़ौरन मंदिर से घर वापस बुलाया और कहा कि वो दरवाज़ा अंदर से बंद करके घर पर ही रहें.
मां और बेटी दोपहर क़रीब तीन बजे खेतों की ओर गए. वो बताती है कि, "हम मां के साथ खाना लेकर खेत गए थे." गौरव का फ़ोन आने के फ़ौरन बाद उन्होंने पुलिस को ख़बर कर दी थी. इस बात को भी कई घंटे बीत गए थे.
मामले की जांच
लेकिन, दोपहर क़रीब साढ़े तीन बजे वो अवनीश के खेत पहुंच गया. उसने हाथों में बंदूक ले रखी थी. उसके साथ पांच लोग और भी थे. उन्होंने उसके पिता को कई बार गोली मारी और यहां तक कि उसकी मां पर भी फायर किया. गड्ढे में गिर जाने की वजह से मां को गोली नहीं लगी.
अवनीश ने अपने खेतों में काम करने के लिए दूर से ठेके पर कई मज़दूर भी बुलाए थे. लेकिन, जब आरोपियों ने हवा में गोलियां दागीं, तो वो सबके सब भाग खड़े हुए.
उनके पिता को गोली मारकर सारे अभियुक्त मौक़े से भाग निकले. उन्होंने अपने मोबाइल फ़ोन भी बंद कर दिए. उनके घरों पर भी ताले पड़ गए. तब तक उनके परिवार भी अपने अपने घर से फ़रार हो चुके थे.
अब इस मामले पर काफ़ी राजनीति हो रही. बीजेपी कार्यकर्ताओं का आरोप है कि अभियुक्तों का ताल्लुक़ विपक्षी समाजवादी पार्टी से है. वहीं, विपक्षी दल का कहना है कि अभियुक्त के पास बीजेपी के कई नेताओं के साथ खिंचाई हुई तस्वीरें थीं. इनमें से कई को तो उसने सोशल मीडिया पर भी पोस्ट कर रखा था.
अवनीश शर्मा की हत्या के बाद, राज्य सरकार फ़ौरन हरकत में आई. उसने सरगर्मी से मामले की जांच भी शुरू कर दी. लेकिन, पीड़ित के परिवार वालों को लगता है कि पुलिस ने तब तो कोई कार्रवाई नहीं की थी, जब उन्होंने एक मार्च को फ़ोन कर के उन्हें गौरव शर्मा की धमकियों के बारे में बताया था.
तब तो पुलिस वालों ने उन्हें इमरजेंसी नंबर 112 पर कॉल करने की सलाह देकर टरका दिया था. बाप बेटी दोनों ने ही सासनी कोतवाली के 'दीवान जी' को फ़ोन किया था. उन्हें गौरव शर्मा की धमकियों की इत्तिला कर दी थी. फिर भी, थाने से कोई नहीं आया.
घर में नज़रबंदी जैसी ज़िंदगी
वो कमरा गहरे गुलाबी रंग से पोता गया है. कोने में पड़ी एक कुर्सी पर लाल रंग का एक बड़ा सा बनी रखा हुआ है. उसे ये तोहफ़ा उसके जीजा ने तब दिया था, जब पिछले साल उसकी बड़ी बहन की शादी हुई थी. उस वक़्त तक दोनों बहनें हमेशा ही साथ रहती थीं. उसने इस तोहफ़े को अपने कमरे में रखा था.
पिछले दो साल से वो एक तरह से अपने घर में नज़रबंदी जैसी ज़िंदगी ही जी रही थी. वो घर से तभी निकलती थी, जब कोई और उसके साथ जाता था. क्योंकि, उसे बहुत धमकियां मिलती रहती थीं. अपनी बीएससी की डिग्री लेने के बाद वो बीएड की डिग्री लेकर टीचर बनना चाहती थी. लेकिन, गौरव शर्मा लगातार उसका पीछा करता था.
उससे छेड़खानी करता था. गौरव शर्मा ने पहली बार उसे 2017 में फ़ेसबुक पर दोस्ती का झांसा देकर ताल्लुक़ आगे बढ़ाया था. इसी वजह से परिवार के लोग उसके अकेले बाहर निकलने का जोखिम कभी मोल नहीं लेते थे. लड़की के चाचा ने बताया कि गौरव ने 2018 में उनकी भतीजी के साथ शादी करने का प्रस्ताव भेजा था.
गौरव शर्मा का परिवार कई साल पहले ही नोज़ारपुर आकर बसा था. बाद में वो फिर गांव छोड़कर कहीं और रहने चले गए थे. गौरव के चाचा चाची गांव में ही रहते थे. जब गौरव ने शादी का पैग़ाम भेजा, तो लड़की के पिता और चाचा ने ये रिश्ता ठुकरा दिया. लेकिन, गौरव मानने को राज़ी ही नहीं था.
वो बताते हैं कि इसके बाद तो वो जब देखो तब उनके परिवार के साथ गाली-गलौज करता रहता था. उन्हें फ़ोन कर के धमकियां दिया करता था. जुलाई 2018 में एक दिन, वो उनके अहाते में घुस आया था और लड़की को एक चारपाई पर धकेलकर उसके साथ छेड़खानी करने की कोशिश की थी.
हाथरस
ज़मानत पर छूटकर बाहर आ गया
तब अवनीश शर्मा ने गौरव के ख़िलाफ़ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी. जिसके बाद गौरव को पुलिस ने गिरफ़्तार करके कोर्ट में पेश किया. अदालत ने उसे जेल भेज दिया. गौरव क़रीब 29 दिनों तक जेल में रहा था. बाद में वो ज़मानत पर छूटकर बाहर आ गया था. उस लड़की ने बताया कि बाद में कोर्ट में केस की सुनवाई शुरू हुई.
लेकिन, अभियुक्त कभी भी तय तारीख़ पर सुनवाई के दौरान अदालत में मौजूद नहीं रहता था.
गौरव के ऊपर, IPC की धारा 452 (धमकाने और चोटिल करने की तैयारी से घर में ज़बरदस्ती घुसने, नुक़सान पहुंचाने की नीयत से हमला करने, IPC की धारा 354 (यानी किसी महिला की इज़्ज़त से खिलवाड़ करने की आपराधिक कोशिश) और धारा 506 (डराने धमकाने) के तहत आरोप दर्ज किए गए थे.
गौरव शर्मा, लड़की के परिवार पर केस वापस लेने का दबाव बना रहा था. लड़की के पिता को मुखाग्नि देने वाले उनके चचेरे भाई सचिन शर्मा कहते हैं कि, "हमारी बड़ी दूर की रिश्तेदारी भी है."
फ़रवरी 2019 में आरोपी गौरव ने अवनीश शर्मा को एक बंदूक लेकर दौड़ा लिया था. लेकिन, जब उनके परिवार ने पुलिस में शिकायत दर्ज करानी चाही, तो पुलिस ने FIR ही दर्ज नहीं की. बीबीसी न्यूज़ के पास परिवार की लिखी उस तहरीर की एक प्रति मौजूद है.
सासनी कोतवाली के पुलिसवाले
19 फ़रवरी को सुबह क़रीब साढ़े दस बजे गौरव शर्मा एक कार में बैठकर पिस्तौल लहराता हुआ उनके खेतों की तरफ़ आया था. उस वक़्त अवनीश शर्मा अपने खेतों में ही काम कर रहे थे. अवनीश ने पुलिस को भेजी शिकायती चिट्ठी में लिखा भी कि गौरव शर्मा ने उनको गांव की हद तक पिस्तौल लेकर खदेड़ा था.
अपनी चिट्ठी में उन्होंने पुलिस से गौरव के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने की भी मांग की थी. लेकिन, पुलिस ऐसी कोई शिकायत मिलने से ही इनकार करती है. सासनी कोतवाली में मौजूद पुलिसवाले काफ़ी दबाव में दिखते हैं.
फरार अभियुक्तों को गिरफ़्तार करने के लिए पुलिस की टीमें बनाई गई हैं. अब तक तीन अभियुक्त गिरफ़्तार भी किए जा चुके हैं. सासनी कोतवाली में दिन के वक़्त मौजूद इंचार्ज सतीश चंद्र कहते हैं कि, "मामला विवेचनाधीन है. हम अभी आपको तफ़्तीश से संबंधित कोई जानकारी नहीं दे सकते हैं. हम आपको क्यों बताएं कि हम क्या कर रहे हैं."
सतीश चंद्र आगे ये भी जोड़ते हैं कि, "हमारे पास पीड़ित परिवार की 2019 की कोई शिकायत दर्ज नहीं है."
इस घटना के बाद भी धमकियों का सिलसिला जारी रहा. कई बार गौरव शर्मा, लड़की के घर के लोहे के फाटक पर ज़ोर से दस्तक देता. उसका नाम लेकर बुलाता. वो अक्सर उनके घर के आस-पास टहलता रहता था, ताकि पीड़ित परिवार को डरा-धमका सके.
बार-बार की धमकियां...
लड़की के सबसे बड़े ताऊ सुभाष चंद्र शर्मा कहते हैं कि, 'अगर आपको कोई बार-बार ऐसी धमकियां दे रहा है, तो आप क्या करेंगे? आपको तो यही लगेगा न कि ये धमकी तो वो कई बार दे चुका है. कुछ करेगा-वरेगा नहीं.'
सुभाष चंद्र शर्मा मुंबई में रहते हैं. वो अपने भाई की हत्या की ख़बर सुनकर अगले दिन गांव पहुंचे थे. उन्होंने तो अपने सबसे छोटे भाई का अंतिम संस्कार ये कहकर करने से इनकार कर दिया था कि पहले उन्हें पुलिस से इस बात का भरोसा चाहिए कि वो सारे अभियुक्तों को सलाखों के पीछे भेजेगी.
अलीगढ़ में काम करने वाले अवनीश शर्मा के दूसरे भाई सुनील कुमार शर्मा कहते हैं कि भाई की हत्या उनके लिए बहुत बड़ा सदमा है.
गांव में उनके परिवार के पास क़रीब पचास बीघे ज़मीन है. इसमें वो आलू और दूसरी फसलों की खेती करते हैं. परिवार कोशिश कर रहा था कि वो लड़की की कहीं शादी कर दे. लेकिन, मामला अदालत में था और उन्हें इस बात का डर था कि कहीं शादी के दिन भी गौरव कोई नया तमाशा न खड़ा कर दे.
सुनील कुमार शर्मा कहते हैं कि, 'गौरव अक्सर धमकी देता था कि वो हमारी बच्ची को अगवा कर ले जाएगा. इसी के चलते हमें अपनी बेटी की पढ़ाई बंद करानी पड़ी.'
हाथरस
ज़िंदगी में बहुत अंधेरा दिख रहा है...
2020 में अभियुक्त की शादी किसी और लड़की से हो गई. जल्द ही उसके यहां एक बेटी भी पैदा हो गई. तब अवनीश और उनके परिवार ने राहत की सांस ली कि कम से कम अब तो गौरव के बखेड़े और उसकी धमकियों से उनकी जान छूटेगी. लेकिन, गौरव अक्सर गांव आता और उन्हें ताने मारता रहता था.
लड़की की चाची मीरा शर्मा कहती हैं कि उनकी भतीजी और उसकी मां की आगे की ज़िंदगी में तो बहुत अंधेरा दिख रहा है. वो कहती हैं कि, 'एक वक़्त के बाद ये भीड़ छंट जाएगी. लोग चले जाएंगे और अपने काम धंधे और ज़िंदगी में मशगूल हो जाएंगे. तब क्या होगा?'
मीरा शर्मा सवाल उठाती हैं कि आख़िर अभियुक्त को इतनी बड़ी घटना के बाद भी 2018 में ज़मानत कैसे मिल गई थी? इसके बाद भी वो खुलेआम घूमता रहता था. उनके परिवार को बरसों से धमकाता चला आ रहा था. लड़की का पीछा किया करता और उसे छेड़ता रहता था.
इसी बातचीत के दौरान वो उठ कर अपनी मां के पास जाती है. और सवाल करती है, "हम कहां जाएंगे? जब सब लोग चले जाएंगे तब मैं और मेरी मां यहां अकेले रह जाएंगे." (bbc.com)