अंतरराष्ट्रीय
ढाका, 28 नवंबर| बांग्लादेश ने कोरोनावायरस के एक नए वेरिएंट के फैलने के कारण दक्षिण अफ्रीका के यात्रियों के प्रवेश को निलंबित कर दिया गया है। बांग्लादेश के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री, जाहिद मालेक ने घोषणा करते हुए कहा कि बांग्लादेशी सरकार दक्षिण अफ्रीका में नए वेरिएंट के बारे में सर्तक है।
मंत्री ने कहा, "हमने तत्काल प्रभाव से दक्षिण अफ्रीका से यात्रा स्थगित करने का फैसला किया है।"
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा कि ओमीक्रोन नाम का यह नया वेरिएंट बेहद आक्रामक है।
मंत्री के अनुसार, बांग्लादेशी सरकार भी सभी बंदरगाहों पर स्क्रीनिंग प्रक्रियाओं को मजबूत कर रही है।
टीकाकरण अभियान के कारण हाल के महीनों में बांग्लादेश में कोरोना संक्रमण और वायरस से होने वाली मौतों में काफी गिरावट आई है।
स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय ने कहा कि बांग्लादेश में शनिवार को कोरोनावायरस के 155 नए मामले सामने आए, जिससे संक्रमितों की संख्या बढ़कर 15,75,579 हो गई जबकि बीते 24 घंटे में 2 लोगों की मौत हुई जिससे मरने वालों की संख्या बढ़कर 27,975 हो गई। (आईएएनएस)
यरुशलम, 28 नवंबर| इजरायल सरकार ने रविवार को कोरोना के नए वेरिएंट को फैलने से रोकने के लिए विदेशी नागरिकों के देश में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया। यह घोषणा देर रात कैबिनेट बैठक के बाद हुई जिसमें महामारी के खिलाफ प्रतिबंध बहाल करने पर चर्चा की गई।
सिन्हुआ समाचार एजेंसी के अनुसार, विदेशियों के लिए देश में प्रवेश बंद करने का फैसला 14 दिनों तक जारी रहेगा। इसके अलावा, फोन-ट्रैकिंग तकनीक का फिर से उपयोग किया जाएगा ताकि उन लोगों का पता लगाया जा सके जिन्हें क्वारंटीन में जाना हैं।
इजरायल ने अब तक ओमीक्रॉन वेरिएंट के एक मामले की पुष्टि की है जो पहली बार दक्षिण अफ्रीका में पाया गया था।
इसके अलावा 50 अफ्रीकी देशों को लाल सूची के रूप में नामित किया है, जो इजरायलियों को उनकी यात्रा करने से मना करता है। महाद्वीप से आने वाले इजरायलियों को क्वारंटीन में रहने के लिए बाध्य किया जा रहा है।
हाल के दिनों में अफ्रीका से आए सभी इजरायली नागरिकों का एहतियात के तौर पर आने वाले दिनों में टेस्ट किए जाने की संभावना है।
कैबिनेट बैठक की शुरूआत में इजरायल के प्रधान मंत्री नफ्ताली बेनेट ने कहा, "हम वर्तमान में अनिश्चितता के दौर में हैं।"
बेनेट ने कहा कि उनका लक्ष्य एक कामकाजी अर्थव्यवस्था और खुली शिक्षा प्रणाली को इजरायल में बनाए रखना है।
यह माना जा रहा है कि नया स्ट्रेन पिछले वाले की तुलना में ज्यादा संक्रामक है। यह अभी स्पष्ट नहीं है कि ओमीक्रोन के खिलाफ टीके कितने प्रभावी होंगे।
इस हफ्ते इजरायल ने 5 साल की उम्र से बच्चों का टीकाकरण शुरू किया है।
कोरोनावायरस से मार्च 2020 से अब तक 8,100 से ज्यादा इजरायलियों की मौत हो चुकी है। वर्तमान में 7,000 से ज्यादा सक्रिय मामले हैं, जिनमें 120 लोग गंभीर रूप से अस्पताल में भर्ती हैं। (आईएएनएस)
संयुक्त राष्ट्र, 28 नवंबर| संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने नागोर्नो-कराबाख संघर्ष के समाधान पर आर्मेनिया, अजरबैजान और रूस के बीच त्रिपक्षीय बैठक का स्वागत किया है। महासचिव के उप प्रवक्ता फरहान हक ने एक बयान में कहा, गुटेरेस ने संयुक्त बयान पर ध्यान दिया और आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच निरंतर संपर्क और वार्ता को सुविधाजनक बनाने में रूस की भूमिका की सराहना की।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव और अर्मेनियाई प्रधानमंत्री निकोल पशिनियन ने 2021 के अंत तक अर्मेनियाई-अजरबैजानी सीमा के सीमांकन और परिसीमन के लिए तंत्र बनाने पर सहमति व्यक्त की।
बयान में नवंबर 2020 के युद्धविराम समझौते और जनवरी 2021 के नागोर्नो-कराबाख में परिवहन को बहाल करने के समझौते का जिक्र करते हुए कहा गया है कि सेक्रेटरी जनरल को आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच उच्चतम स्तर पर सीधे जुड़ाव की बहाली और 9 नवंबर, 2020 और 11 जनवरी, 2021 के त्रिपक्षीय बयानों को पूरी तरह से लागू करने और स्थिरता बढ़ाने के उद्देश्य से ठोस कदम उठाने की उनकी प्रतिबद्धता से प्रोत्साहित किया जाता है।
बयान में कहा गया है कि गुटेरेस ने संयुक्त राष्ट्र की सैद्धांतिक स्थिति को दोहराया कि स्थायी शांति केवल बातचीत के माध्यम से प्राप्त की जा सकती है और पार्टियों से ओएससीई (सुरक्षा और सहयोग के लिए संगठन) के सह-अध्यक्षों के तत्वावधान में सभी उपलब्ध प्रारूपों के माध्यम से बकाया मुद्दों को हल करने का आग्रह किया।
बयान में कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र इस तरह के सभी प्रयासों का समर्थन करने के लिए तैयार है, जिसमें मानवीय, वसूली और जमीन पर शांति निर्माण सहायता शामिल है। (आईएएनएस)
फ्रांस ने ब्रिटेन की गृह मंत्री प्रीति पटेल से प्रवासी संकट पर आयोजित एक बैठक में शामिल होने का निमंत्रण वापस ले लिया है. इसके पहले ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने इस संकट के दौरान फ्रांस के रवैये की आलोचना की थी.
जॉनसन ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों को एक चिट्ठी लिखी थी जिसकी फ्रांस ने निंदा की है. फ्रांस के गृह मंत्री जेराल्ड दारमानिन के एक करीबी सूत्र ने चिट्ठी को "अस्वीकार्य और साझेदारों के बीच चल रही बातचीत के भाव के विरुद्ध" बताया.
फ्रांसीसी सरकार के प्रवक्ता गेब्रियल अत्तल ने एक मीडिया संस्थान को बताया, "दारमानिन ने पटेल से कह दिया कि अब उनका स्वागत नहीं है." ब्रिटेन की सरकार ने कहा है कि उससे उम्मीद है कि फ्रांस इस फैसले पर पुनर्विचार करेगा. ब्रिटेन के यातायात मंत्री ग्रांट शप्पस ने बीबीसी न्यूज को बताया, "कोई देश इस संकट से अकेले नहीं जूझ सकता है इसलिए मुझे उम्मीद है कि फ्रांसीसी इस पर पुनर्विचार करेंगे."
कुछ ही दिनों पहले दोनों देश के बीच स्थित इंग्लिश चैनल में एक नाव के डूब जाने से 27 लोगों की मौत हो गई थी. इनमें 17 पुरुष, सात महिलाएं और तीन किशोर लड़कियां शामिल थीं.
स्थानीय मछुआरों के मुताबिक बुधवार को मौसम बहुत ज्यादा ठंडा था लेकिन सामान्य से ज्यादा संख्या में प्रवासी ब्रिटेन के लिए रवाना हो गए क्योंकि समुद्र शांत था. बुधवार को विमोरो के नजदीक प्रवासियों के एक समूह को रबर वाली एक नौका लेकर समुद्र की ओर जाते देखा गया. यही समूह 30 किलोमीटर समुद्र पार कर कई घंटों में दक्षिणी इंग्लैंड के डंजीनेस में उतरता देखा गया.
अफगानिस्तान, इराक और कई और देशों से भागने वाले प्रवासी अक्सर इस तरह भरी हुई नावों में इस तरह की जोखिम भरी यात्रा करते हैं. लेकिन ब्रिटेन और फ्रांस के बीच स्थित इस संकरे से समुद्री मार्ग में यह अभी तक की सबसे बुरी दुर्घटना थी. हादसे के बाद जॉनसन ने कहा था कि इसमें फ्रांस की गलती थी और दारमानिन ने ब्रिटेन पर "खराब आप्रवासी प्रबंधन" का आरोप लगाया था.
इस के बाद ब्रेक्सिट के बाद लागू हुए व्यापार नियमों और मछली पकड़ने के अधिकारों को लेकर पहले से लड़ रहे फ्रांस और ब्रिटेन के बीच झगड़ा बढ़ गया था. शुक्रवार 26 नवंबर को फ्रांसीसी मछुआरों ने सेंट-माइलो में एक छोटे से ब्रिटिश जहाज को रुकने से रोक दिया. उनकी कैलेस के बंदरगाह और चैनल की सुरंग दोनों को ब्लॉक करने की भी योजना है. दोनों स्थान ब्रिटेन और यूरोप के बीच व्यापार के बड़े केंद्र हैं.
सीके/ (रॉयटर्स)
ब्रसेल्स, 27 नवंबर| नए कोविड-19 वेरिएंट पर चिंताओं के बीच कई यूरोपीय देशों ने दक्षिणी अफ्रीका से यात्रा को प्रतिबंधित कर दिया है।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, बी.1.1.1.529 संस्करण, जिसे पहली बार दक्षिण अफ्रीका में खोजा गया था, कथित तौर पर अधिक खतरनाक है और इसे विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा 'चिंता के प्रकार' के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
यूरोपीय संघ (ईयू) ने कहा है कि वह दक्षिणी अफ्रीकी क्षेत्र से हवाई यात्रा को रोकने के लिए तथाकथित 'आपातकालीन ब्रेक' को सक्रिय करना चाहता है ताकि यूरोप में फैले वेरिएंट में देरी हो सके।
यूरोपीय संघ की सिफारिश के अनुरूप, आयरिश सरकार ने सात दक्षिणी अफ्रीकी देशों की यात्रा के संबंध में नए प्रतिबंधों की घोषणा की है।
सरकार ने एक बयान में कहा कि सात देशों, अर्थात् बोत्सवाना, इस्वातिनी, लेसोथो, मोजाम्बिक, नामीबिया, दक्षिण अफ्रीका और जिम्बाब्वे का चयन उन देशों में नए वेरिएंट या भौगोलिक निकटता के मामलों का पता लगाने के आधार पर किया जाता है, जहां मामलों का पता चला है।
आयरलैंड के विदेश मामलों के विभाग ने इन देशों में 'गैर-जरूरी यात्रा से बचने' के लिए अपनी ट्रेवल एडवायसरी को बदल दिया है।
बयान के अनुसार, इन देशों से घर लौटने वाले आयरिश निवासियों को सख्त घरेलू संगरोध से गुजरना होगा, भले ही उन्हें कोविड-19 के खिलाफ पूरी तरह से टीका लगाया गया हो, या पिछले छह महीनों में बीमारी से उबर चुके हों, या 72 के भीतर उनके जाने के कुछ घंटे पहले नकारात्मक परीक्षण किया हो।
ग्रीस ने घोषणा की कि नौ अफ्रीकी देशों- सात उपर्युक्त देशों और जाम्बिया और मलावी से आगमन के लिए यात्रा प्रतिबंध लगाए गए हैं।
ग्रीक नागरिकों सहित उन देशों के सभी यात्रियों को आगमन पर 10 दिनों के लिए संगरोध में रहना होगा और उन्हें तीन कोविड-19 परीक्षण करने की भी आवश्यकता होगी, भले ही वे पूरी तरह से टीका लगाए गए हों।
यूरोप में कहीं और साइप्रस अन्य यूरोपीय संघ के देशों में दक्षिणी अफ्रीका से यात्रा करने वाले लोगों पर प्रवेश प्रतिबंध लगाने में शामिल हो गया, जबकि स्पेन जैसे कुछ देश भी इस क्षेत्र से उड़ानों को प्रतिबंधित करने के उपायों पर विचार कर रहे हैं। (आईएएनएस)
अदीस अबाबा, 27 नवंबर | अफ्रीका में शुक्रवार दोपहर तक कोरोना वायरस के पुष्ट मामलों की संख्या बढ़कर 8,616,912 तक पहुंच गई। ये जानकारी अफ्रीका सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (अफ्रीका सीडीसी) ने दी। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, अफ्रीकी संघ (एयू) की विशेष स्वास्थ्य एजेंसी, अफ्रीका सीडीसी ने कहा कि पूरे महाद्वीप में महामारी से मरने वालों की संख्या बढ़कर 222,301 हो गई है।
सीडीसी के अनुसार, पूरे महाद्वीप में 8,064,499 संक्रमित अब तक इस महामारी से उबर चुके हैं।
दक्षिण अफ्रीका, मोरक्को, ट्यूनीशिया, इथियोपिया और लीबिया महाद्वीप में सबसे ज्यादा मामलों वाले देशों में से हैं।
अफ्रीका सीडीसी के अनुसार, कोरोना वायरस मामलों के संदर्भ में, दक्षिणी अफ्रीका सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र है, इसके बाद महाद्वीप के उत्तरी और पूर्वी हिस्से हैं जबकि मध्य अफ्रीका महाद्वीप में सबसे कम प्रभावित क्षेत्र है। (आईएएनएस)
मेक्सिको सिटी, 27 नवंबर| एक स्थानीय अधिकारी ने कहा कि मध्य मेक्सिको में एक बस के ब्रेक में खराबी के कारण एक घर से टकरा जाने से कम से कम 19 लोगों की मौत हो गई और लगभग 25 अन्य घायल हो गए।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने आपातकालीन प्रबंधन अधिकारी सैमुअल गुटिरेज के हवाले से बताया कि शुक्रवार को पड़ोसी राज्य मिचाओकन राज्य से मेक्सिको राज्य में एक धार्मिक स्थल की ओर जा रही थी, ब्रेक फेल होने से बस का नियंत्रण खो गया और वह घर में जा घुसी।
उन्होंने कहा कि सभी घायलों को अस्पतालों में स्थानांतरित कर दिया गया है, उन्होंने कहा कि एक जांच चल रही है।
रेड क्रॉस ने ट्वीट किया कि उसने साइट पर 10 एम्बुलेंस भेजीं और खोज और बचाव समूह ग्रुपो रिलैम्पगोस ने घायलों को एयरलिफ्ट करने के लिए दो हेलीकॉप्टर भेजे। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 26 नवंबर | पाकिस्तान के प्रधान न्यायाधीश (सीजेपी) गुलजार अहमद ने शुक्रवार को सैन्य भूमि के व्यावसायिक उपयोग को लेकर रक्षा सचिव से तीखे सवाल पूछे। पाकिस्तानी अखबार डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, सीजेआई ने पूछा कि क्या सिनेमाघर और मैरिड हॉल जैसी संरचनाएं रक्षा उद्देश्यों के लिए बनाई गई थीं।
यह कहते हुए कि कर्नल और मेजर किसी राजा (किंग) की तरह काम कर रहे हैं, प्रधान न्यायाधीश ने कहा, "कर्नल और मेजर जो चाहते हैं, वही होता है।"
न्यायमूर्ति काजी मोहम्मद अमीन अहमद और न्यायमूर्ति इजाजुल अहसन के साथ ही प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ सुप्रीम कोर्ट की कराची रजिस्ट्री में व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए सैन्य भूमि का उपयोग करने के मुद्दे पर सुनवाई कर रही थी।
अहमद ने रक्षा सचिव लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) मियां मोहम्मद हिलाल हुसैन से सैन्य भूमि पर की जा रही गतिविधियों के बारे में पूछताछ की।
उन्होंने कहा, "यह जमीन आपको रणनीतिक और रक्षा उद्देश्यों के लिए दी गई थी, आपने इस पर व्यावसायिक गतिविधियां शुरू कर दी हैं।"
रिपोर्ट के अनुसार न्यायमूर्ति अहमद ने पूछा, "क्या वेडिंग हॉल, सिनेमा और हाउसिंग सोसाइटी रक्षा उद्देश्यों के लिए बनाई गई थीं।"
उन्होंने यह भी कहा कि सभी अस्करी आवास परियोजनाएं छावनी भूमि पर बनाई गई हैं।
रक्षा सचिव ने कहा, "हमने तय किया है कि ऐसा दोबारा नहीं होगा।" उन्होंने कहा कि हाउसिंग सोसाइटियों के निर्माण और सैन्य भूमि के व्यावसायिक उपयोग की जांच की जाएगी और इसे रोका जाएगा।
इस पर न्यायमूर्ति अमीन ने हुसैन से पूछा कि यह कैसे संभव होगा और प्रक्रिया कहां से शुरू होगी। न्यायाधीश ने उनसे लिखित स्पष्टीकरण देने को कहा।
अहमद ने निर्देश दिया, "जाओ और सभी प्रमुखों (सशस्त्र बलों के) से कहो कि रक्षा उद्देश्यों के लिए बनाई गई भूमि का व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए उपयोग नहीं किया जाएगा। सभी सैन्य छावनियों में जाएं और उन्हें बताएं कि भूमि का उपयोग केवल रणनीतिक उद्देश्यों के लिए किया जाएगा।"
उन्होंने यह भी कहा कि मसरूर बेस और फैसल बेस पर व्यावसायिक गतिविधियां चल रही थीं और साइनबोर्ड हटाने के आदेश दिए जाने पर वहां ऊंची इमारतें खड़ी कर दी गई थीं।(आईएएनएस)
प्राग, 26 नवंबर | चेक गणराज्य के राष्ट्रपति मिलोस जमैन कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं, इसकी पुष्टि उनके कार्यालय ने की है।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, कार्यालय ने एक बयान में कहा कि अक्टूबर की शुरूआत में अस्पताल में भर्ती हुए जमैन ने गुरुवार दोपहर को पॉजिटिव परीक्षण किया और उन्हें प्राग के केंद्रीय सैन्य अस्पताल में वापस ले जाया गया, जहां से उन्हें पहले ही छुट्टी दे दी गई थी।
इसमें कहा गया कि राष्ट्रपति कोरोनावायरस के उपचार के दौरान काम नहीं करेंगे। (आईएएनएस)
यूनिसेफ की रिपोर्ट में कहा गया है कि संघर्षों में फंसे पश्चिम और मध्य अफ्रीका के बच्चों को सशस्त्र समूहों द्वारा सबसे अधिक भर्ती किया जाता है. एजेंसी का कहना है कि यहां यौन शोषण के शिकार बच्चों की संख्या भी सबसे अधिक है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले पांच सालों में इस क्षेत्र में संघर्ष बढ़े हैं, जिसमें सरकारी बलों और सशस्त्र समूहों द्वारा 21,000 से अधिक बच्चों की भर्ती की गई है. इसके अलावा इस क्षेत्र में 2016 से 2,200 से अधिक बच्चे यौन हिंसा के शिकार हुए हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि 3,500 से अधिक बच्चों का अपहरण किया जा चुका है, जिससे यह दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा अपहरण वाला इलाका बन गया है.
यूनिसेफ के पश्चिम और मध्य अफ्रीका की क्षेत्रीय निदेशक मारी-पियरे पोइयर के मुताबिक, ''संख्या और रुझान बच्चों की वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों के लिए बेहद चिंताजनक हैं.'' उन्होंने कहा, "न केवल पश्चिम और मध्य अफ्रीका में गुटों द्वारा किए गए बच्चों के खिलाफ गंभीर उल्लंघन हुए, बल्कि हमने पिछले पांच वर्षों में एक उछाल भी देखा है. जिसमें सत्यापित गंभीर उल्लंघनों की कुल संख्या में 50 फीसदी की वृद्धि हुई है."
चौंकाने वाली है रिपोर्ट
बाल शोषण पर रिपोर्ट संकलित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र में 2005 से एक प्रणाली मौजूद है. इन शोषणकारी रिपोर्टों में बाल सैनिकों की भर्ती, बच्चों का अपहरण, स्कूलों-अस्पतालों पर हमले और यौन शोषण शामिल हैं. यूनिसेफ के मुताबिक वर्तमान में दुनिया भर में शोषित होने वाले चार बच्चों में से एक मध्य या पश्चिम अफ्रीका से है.
यूएन का कहना है कि बुरकिना फासो, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, कैमरून, चाड, कांगो, माली, मॉरिटानिया और नाइजर जैसे संघर्ष प्रभावित देशों में हिंसा बच्चों और समुदायों के लिए विनाशकारी मानवीय परिणाम साबित हुए. महामारी के साथ स्थिति और बिगड़ी है. रिपोर्ट के मुताबिक 5.7 करोड़ बच्चों को मानवीय सहायता की आवश्यकता है और संघर्षों के जारी रहने के कारण पिछले वर्ष की तुलना में इस साल ऐसे वंचित बच्चों की संख्या दोगुनी हो गई है.
यूएन के मुताबिक कुछ देशों में सशस्त्र संघर्ष एक दशक से अधिक समय से चल रहे हैं, लेकिन तीन नए क्षेत्र चिंता का विषय बने हुए हैं. बुरकिना फासो, कैमरून और चाड में बच्चों को जबरन संघर्ष का हिस्सा बनाया जा रहा है.
एए/सीके (एपी)
ऑस्ट्रेलिया के पड़ोसी देश सोलोमन आईलैंड्स की राजधानी होनिआरा में लगातार तीसरे दिन भी दंगे जारी रहे. हिंसा के चलते ऑस्ट्रेलिया ने देश में आनन-फानन में सेना तैनात कर दी है.
सोलोमन आईलैंड्स की राजधानी होनिआरा के चाइनाटाउन में गुरवार को हजारों लोगों ने कुल्हाड़ियों और चाकुओं के साथ मार्च किया. हिंसा करते ये लोग पॉइंट क्रूज और अन्य बाजारों में भी गए. चाइनाटाउन में एक गोदाम को आग लगा दी गई. इस आगजनी के कारण बड़ा धमाका हुआ जिससे लोगों में दहशत फैल गई.
ऐसी भी खबरें हैं कि तंबाकू के गोदामों को आग लगाई गई है क्योंकि पिछले दो दिनों में हुई आगजनी के कारण आसमान पर अब भी गंधला धुआं छाया हुआ है. सोलोमन द्वीप पर कई दिन से सरकार विरोधी हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं.
इन प्रदर्शनों के चलते सोलोमन के प्रधानमंत्री मनासे सोगावारे ने पड़ोसियों से मदद की अपील की जिसके बाद ऑस्ट्रेलिया ने रातोरात सैन्य टुकड़ियों को वहां तैनात कर दिया. सोलोमन के एक और पड़ोसी पापुआ न्यू गिनी ने भी 34 शांति सैनिकों की एक टुकड़ी वहां भेजी है.
विदेशी ताकतों का हाथः प्रधानमंत्री
सोगावारे का कहना कि इस हिंसा ने देश को घुटनों पर ला दिया है. हालांकि उन्होंने इस्तीफा देने की मांग खारिज कर दी. चीन के समर्थक माने जाने वाले सोगावारे ने दावा किया कि 2019 में उन्होंने सोलोमन की कूटनीतिक प्रतिबद्धता ताइवान के बदले चीन के साथ रखने का फैसला किया था, जिससे कई विदेशी ताकतें नाखुश हैं और वही इस हिंसा के पीछे हैं.
ऑस्ट्रेलिया के सार्वजनिक समाचार चैनल एबीसी को उन्होंने बताया, "दुर्भाग्यपूर्ण है कि यह हिंसा अन्य ताकतों द्वारा प्रायोजित है. मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहता. हम जानते हैं कि वे कौन हैं.”
बहुत से लोगों ने इस हिंसा के लिए महामारी के असर से फैली आर्थिक हताशा को जिम्मेदार ठहराया है. कुछ लोग देश के सबसे अधिक आबादी वाले द्वीप मालाइता की एक अन्य केंद्रीय द्वीप ग्वादलकनाल से प्रतिद्वन्द्विता को भी हिंसा की वजह मान रहे हैं. सरकारी अमला ग्वादलकनाल द्वीप पर रहता है जबकि अधिकतर आबादी मालाइता में है.
ऑस्ट्रेलिया की गृह मंत्री कैरन ऐंड्रयूज ने कहा कि उनकी तरफ से भेजे गए 100 सैनिक और पुलिस अफसरों का मकसद कानून-व्यवस्था को पुनर्स्थापित करना है. उन्होंने स्काई न्यूज को बताया, "वहां हालत काफी नाजुक है. अभी तो हम यही जानते हैं कि पिछले दो दिन से दंगे बहुत तेजी से भड़के हैं.” ऐंड्रयूज ने स्पष्ट किया कि ऑस्ट्रेलियाई सुरक्षाबल एयरपोर्ट और बंदरगाहों जैसी अहम इमारतों की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे.
क्यों भड़की हिंसा
लगभग सात लाख लोगों के देश सोलोमन में राजनीतिक और नस्लीय तनाव दशकों पुराना है. ताजा हिंसा तब भड़की जब बुधवार को बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए. उन्होंने संसद को घेर लिया और उसकी एक बाहरी इमारत को आग लगा दी. वे लोग प्रधानमंत्री सोगावारे के इस्तीफे की मांग कर रहे थे.
इस प्रदर्शन के बाद लाठियां और अन्य हथियार लिए युवा सड़कों पर निकल गए और दंगा शुरू हो गया. उन्होंने बाजारों में लूटपाट की और पुलिस के साथ झड़पें हुईं. गुरुवार को लोगों ने लॉकडाउन के आदेशों को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया और सरेआम लूटपाट शुरू कर दी.
चीन ने भी सोलोमन द्वीप के हालात पर चिंता जताई है. वहां के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता जाओ लीजियान ने कहा कहा कि सोलोमन सरकार को चीनी नागरिकों और संस्थाओं की सुरक्षा के लिए सभी जरूरी कदम उठाने चाहिए.
तनाव का इतिहास
1990 के दशक में ग्वादलकनाल में कुछ उग्रवादियों ने वहां बसे मलाइता के लोगों पर हमले करने शुरू कर दिए थे जिसके बाद देश में गंभीर तनाव फैल गया जो करीब पांच साल तक रहा. यह तनाव तब कम हुआ ऑस्ट्रेलिया के नेतृत्व वाले शांति मिशन ‘रीजनल असिस्टेंस मिशन' को तैनात किया गया. 2003 से यह शांति मिशन 2017 तक तैनात रहा.
मलाइता के लोग लगातार यह शिकायत करते रहे हैं कि केंद्र सरकार उनके द्वीप की अनदेखी करती है. सोगावारे के चीन के पक्ष में जाने से तनाव और बढ़ा है. मलाइता के नेता इस बात के खिलाफ हैं और वे अब भी ताइवान के अधिकारियों के साथ संपर्क बनाए हुए हैं. इसके चलते इस द्वीप को अब भी ताइवान और चीन से मदद मिलती है.
प्रांत के मुख्यमंत्री डेनियल स्वीदानी ने प्रधानमंत्री सोगावारे पर ‘बीजिंग की जेब में रहने' का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री ने सोलोमन के लोगों के हितों के विपरीत विदेशियों के हितों को तरजीह दी. लोग अंधे नहीं हैं और धोखाधड़ी को और ज्यादा सहन नहीं करेंगे.”
विशेषज्ञों का मानना है कि भू-राजनीतिक तनाव ताजा हिंसा की प्राथमिक वजह नहीं है लेकिन इसने अपना असर जरूर डाला है. ऑस्ट्रेलिया के लोवी इंस्टीट्यूट में प्रशांत मामलों की विशेषज्ञ मिहाई सोरा ने बताया, "किसी नेता के साथ इन विशाल ताकतों की गतिविधियां पहले से नाजुक हालात झेल रहे देश में अस्थिरता तो फैलाती हैं. लेकिन मौजूदा संदर्भ कोविड आपातकाल और महामारी के कारण हुई आर्थिक परेशानियां भी हैं.
वीके/एए (एएफपी, रॉयटर्स)
एंटीगुआ और बारबुडा की रहने वाली केइशा शाफ और उनकी बेटी वर्जिन गैलेक्टिक की सबसे पहली अंतरिक्ष सैलानी बनेंगी. केइशा ने यात्रा के लिए करीब 10 लाख डॉलर के मूल्य के दो टिकट जीत लिए हैं.
44 साल की केइशा एक हेल्थ कोच हैं और वो इस यात्रा पर अपनी 17 साल की बेटी को लेकर जाना चाहती हैं. उनकी बेटी ब्रिटेन में विज्ञान की छात्रा है और एक दिन नासा के लिए काम करने के सपने देखती है.
केइशा को वर्जिन गैलेक्टिक के संस्थापक रिचर्ड ब्रैंसन ने नवंबर में ही कैरिबियन में उनके घर जा कर उन्हें यह खबर दी और चौंका दिया. केइशा ने बताया, "मुझे लगा था बातचीत जूम पर होगी. जब मैंने रिचर्ड ब्रैंसन को अपने घर में आते देखा मैं तो बस चिल्लाने ही लगी! मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था."
प्रतियोगिता के जरिए जीत
उन्होंने आगे बताया, "मैं जब एक छोटी बच्ची थी तब से अंतरिक्ष में मेरी रूचि थी. यह मेरे लिए जिन्दा महसूस करने का और इसे मेरे जीवन का सबसे बड़ा रोमांच बना देना का बहुत बड़ा अवसर है."
केइशा ने पुरस्कार वर्जिन गैलेक्टिक द्वारा आयोजित किए गए एक स्वीपस्टेक्स प्रतियोगिता में भाग लेने के बाद जीता. इस प्रतियोगिता के जरिए करीब 17 लाख अमेरिकी डॉलर इकठ्ठा किए गए जो गैर सरकारी समूह "स्पेस फॉर ह्यूमैनिटी" को दान किए जाएंगे.
यह समूह अंतरिक्ष तक लोगों की पहुंच को बढ़ाने के लिए काम करता है. केइशा ने कितने पैसे दान में दिए इस जानकारी को सार्वजनिक नहीं किया गया लेकिन इसमें 10 डॉलर तक का न्यूनतम योगदान किया जा सकता था.
खुल रहे हैं अवसर
केइशा ने इसमें भाग लेने का फैसला वर्जिन अटलांटिक की एक उड़ान पर एक विज्ञापन देखने के बाद लिया था. उन्होंने बताया, "मैंने बस आवेदन भरा, जो जरूरी था वो किया...मुझे यह लगा ही नहीं था कि मुझे वाकई कोई जवाब भी आएगा."
उन्होंने यह भी कहा, "मैं दूसरों को भी अपना सपना पूरा करने की प्रेरणा देने के लिए बहुत उत्साहित महसूस कर रही हूं." वर्जिन गैलेक्टिक ने एक बयान में बताया कि इस कार्यक्रम में आठ हफ्तों में करीब 1,65,000 लोगों ने भाग लिया.
इस घोषणा को यह दिखाने के लिए किया गया है कि अंतरिक्ष पर्यटन कई तरह के लोगों के लिए अवसरों के दरवाजे खोल रहा है, बावजूद इसके कि इसकी कीमत अभी भी अधिकांश लोगों की पहुंच के काफी बाहर है.
2022 तक उड़ान का लक्ष्य
वर्जिन गैलेक्टिक के एक प्रवक्ता ने कहा कि केइशा कंपनी के सबसे पहले अंतरिक्ष सैलानियों में से होंगी, लेकिन कतार में उनका स्थान क्या होगा यह अभी तय नहीं किया गया है. कंपनी ने अभी से अंतरिक्ष यात्रा के करीब 700 टिकट बेच दिए हैं.
इनमें 600 टिकट 2,50,000 डॉलर प्रति टिकट की दर पर 2005 से 2014 के बीच बिके थे. करीब और 100 टिकट 4,50,000 डॉलर की दर पर इसी साल अगस्त के बाद बिके हैं. पहली व्यावसायिक उड़ान 2022 के अंत तक भेजने की योजना है और तब तक कुल 1,000 टिकट बेचने का लक्ष्य है.
इस प्रस्तावित यात्रा में यात्रियों को गुरुत्वाकर्षण हीन माहौल में कुछ मिनट बिताने को मिलेंगे. एक विशालकाय हवाई जहाज निजी जेट जैसे दिखने वाले अंतरिक्ष यान को लेकर एक पारम्परिक रनवे से उड़ेगा और फिर उसे ऊंचाई पर जाकर छोड़ देगा.
यान फिर अपना ही रॉकेट इंजन चालू करेगा और यान को समुद्र की सतह से 80 किलोमीटर ऊपर तक ले जा कर वापस रनवे की तरफ आ जाएगा. इतनी दूरी अमेरिकी सेना के मुताबिक अंतरिक्ष की निचली सीमा है.
सीके/एए (एफपी)
पाकिस्तान में पिछले कुछ दिनों से एक लीक ऑडियो क्लिप को लेकर सियासी भूचाल आया हुआ है. प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने भी अब इस पर मुंह खोला है और इस पूरे मामले को ड्रामा करार दिया है.
इमरान ख़ान ने बुधवार को एक कार्यक्रम में कहा कि पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश का ये कथित ऑडियो टेप एक 'ड्रामा है' और तब आया है जब पनामा पेपर्स मामले में नवाज़ शरीफ़ के परिवार के भ्रष्टाचार का मामला उजागर हुआ.
जिस टेप को लेकर हंगामा हो रहा है उसमें कथित तौर पर पूर्व मुख्य न्यायाधीश मियाँ साक़िब निसार को किसी व्यक्ति को ये कहते सुना जाता है कि इमरान ख़ान को सत्ता में लाने के लिए नवाज़ शरीफ़ और उनकी बेटी मरियम नवाज़ को सलाखों के पीछे रखना ज़रूरी है.
इस क्लिप में कथित तौर पर न्यायाधीश निसार को कहते सुना गया है, "मैं अगर खरी-खरी बात करूँ, तो दुर्भाग्य से हमारे यहां ऐसे तंत्र हैं जो बताते हैं कि क्या फ़ैसले दिए जाएं. इस मामले में, हमें मियाँ साहब (नवाज़ शरीफ़) को सज़ा देनी होगी. मुझसे कहा गया है कि हमें ख़ान साहब (इमरान ख़ान) को सत्ता में लाना है."
फ़ैक्ट फ़ोकस नामक वेबसाइट पर जारी हुई इस क्लिप में ये भी कहते सुना जाता है कि नवाज़ शरीफ़ की बेटी मरियम नवाज़ को भी सज़ा देनी होगी, हालांकि उनके ख़िलाफ़ सुबूत नहीं हैं.
क्लिप में फ़ोन के दूसरी ओर मौजूद व्यक्ति कहता है कि 'मरियम को तो सज़ा नहीं हो सकती'. इस पर कथित तौर पर जस्टिस निसार कहते हैं, "आप बिल्कुल सही हैं. मैंने अपने दोस्तों से कहा भी कि इस बारे में कुछ करना होगा, मगर वो माने नहीं. न्यायपालिका आज़ाद नहीं रहेगी. तो, ठीक है, यही सही."
पूर्व मुख्य न्यायाधीश की प्रतिक्रिया
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ और उनकी पार्टी इस क्लिप के सामने आने के बाद से लगातार मांग कर रहे हैं कि पूर्व न्यायाधीश ये बताएं कि किसने उनको इमरान ख़ान को फ़ायदा पहुंचाने वाला फ़ैसला देने पर मजबूर किया.
पूर्व न्यायाधीश निसार इस लीक्ड ऑडियो टेप में अपनी आवाज़ होने से इनकार करते हैं और इसे 'छेड़छाड़' की हुई क्लिप बताते हैं.
पाकिस्तान के समाचार पत्र डॉन से उन्होंने कहा- "मैंने कभी भी इस ऑडियो क्लिप में सुनाई दे रहे व्यक्ति से बात नहीं की है."
इमरान ख़ान ने बुधवार को इस्लामाबाद में कामयाब जवान सम्मेलन में पहली बार इस कथित टेप पर खुलकर बात की और इसे एक ड्रामा बताते हुए विस्तार से इसकी चर्चा की.
उन्होंने कहा कि 25 साल पहले जब उन्होंने राजनीति में क़दम रखा था तब भ्रष्टाचार देश की सबसे बड़ी समस्या थी.
उन्होंने कहा, "जिस मुल्क़ के अंदर उसका नेता, उसका प्राइम मिनिस्टर और वज़ीर चोरी शुरू कर दे, मुल्क़ का पैसा बाहर ले जाना शुरू कर दें, क्योंकि अगर मुल्क़ में रखेंगे तो नज़र आ जाएगा लोगों को, तो दोगुना नुक़सान होता है. क़ौमें ग़रीब इसलिए होती हैं जब उनके अपने सरबराह, अपने वज़ीर चोरी करते हैं, वो मुल्क़ कभी आगे नहीं बढ़ सकता."
उन्होंने कहा कि 2016 में जब पनामा पेपर्स आया था तो पता चला कि लंदन के सबसे महंगे इलाक़े में मरियम नवाज़ के पास चार फ़्लैट हैं जिनकी कीमत 'अरबों रुपए' है.
इमरान ख़ान ने कहा कि इसके बाद ये मामला अदालत में गया, फिर सुप्रीम कोर्ट में आया जहां नवाज़ शरीफ़ को सज़ा हुई.
इमरान ख़ान ने कहा, "अब बजाय ये कि आप अदालतों और पाकिस्तानियों को ये बता दें कि पैसा आया कहां से इन बड़े-बड़े फ़्लैटों के लिए, आप अदालत को बुरा-भला कहने लगे, और फिर फौज को बुरा-भला कहा, और मुझे तो वो कहते ही हैं कि मैं बहुत जालिम हूँ. तो बजाय ये कहने के आपने ये चार फ़्लैट कैसे लिए, आप सारी चीज़ें कर रहे हैं, मगर जवाब नहीं दे रहे."
इमरान ख़ान ने साथ ही कहा कि उन्हें एक बात को लेकर अफ़सोस होता है.
उन्होंने कहा, "लाहौर में एक कार्यक्रम होता है जिसमें चीफ़ जस्टिस को बुलाया जाता है, सुप्रीम कोर्ट के जजों को बुलाया जाता है. और उधर कौन तक़रीर करता है, वो आदमी जिसको सुप्रीम कोर्ट ने सज़ा दी हुई है, जो झूठ बोलकर मुल्क़ से भागा हुआ है."
इमरान ख़ान ने ये टिप्पणी लाहौर में इसी सप्ताह हुए आसमां जहांगीर कॉन्फ्रेंस कार्यक्रम में पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ के शामिल होने पर की.
इस आयोजन को लेकर उस वक्त विवाद हुआ था जब नवाज़ शरीफ़ के वीडियो लिंक से हो रहा भाषण बीच में रूक गया. आयोजकों ने बताया कि नवाज़ शरीफ़ का भाषण शुरू होते ही सभास्थल पर इंटरनेट बाधित हो गया.
पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार आयोजकों ने कार्यक्रम के बाद एक बयान जारी कर सरकार के मनमाने रवैये पर अफ़सोस जताया.
मरियम की माँग
नवाज़ शरीफ़ की बेटी और उनकी पार्टी पीएमएल (नवाज़) ने भी बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस की और पूर्व चीफ़ जस्टिस मियाँ साक़िब निसार पर साहस दिखाने और जनता को ये बताने की अपील की कि उनके ऊपर किसने दबाव डाला.
इस कथित वीडियो क्लिप के सामने आने के तीन दिन बाद मरियम नवाज़ ने कहा कि इस क्लिप की सत्यता पर सवाल उठाने की कोशिशें की जा रही हैं, और कुछ चैनल ये प्रोपेगैंडा कर रहे हैं कि ये क्लिप जस्टिस निसार की अलग-अलग समय पर कही गई बातों को मिलाकर बनाया गया है.
मगर मरियम नवाज़ ने सवाल उठाया कि यदि ऐसा है भी तो जस्टिस निसार ने किस भाषण में इस ऑडियो क्लिप की सबसे गंभीर बात कही है कि मरियम और नवाज़ शरीफ़ को संस्थाओं के निर्देशों पर सज़ा दी जाएगी.
मरियम ने ये भी कहा एक प्रतिष्ठित अमेरिकी कंपनी के विरूद्ध भी प्रोपेगेंडा किया जा रहा है जिसने इन ऑडियो क्लिप की जाँच की है और बताया जा रहा है कि उन्होंने कहा है कि इसे ना तो एडिट किया गया है और ना ही इसके साथ छेड़छाड़ हुई है.
इस बीच इस कथित ऑडियो क्लिप की फ़ोरेंसिक जाँच करने वाली कंपनी गैरेट डिस्कवरी ने ट्विटर पर बताया है कि उन्हें मंगलवार को फ़ोन पर धमकी दी गई.
कंपनी ने लिखा है, "हमारे यहां आज एक फ़ोन आया कि हमारी ज़िंदगी ख़तरे में है और उसी शख़्स ने कहा कि वो हमारे ख़िलाफ़ अदालत में जा रहा है."
कंपनी ने साथ ही लिखा, "हमारी टीम को किसी बात के लिए धमकाना अनैतिक है." (bbc.com)
चीन में 'छोटी आंखों' की तस्वीर पर विवाद होने पर फ़ैशन फोटोग्राफर को माफ़ी मांगनी पड़ी है. ये तस्वीर लग्ज़री ब्रांड डियोर के लिए खींची गई थी.
फोटोग्राफ़र चेन मैन की इस तस्वीर में एक महिला को दिखाया गया है. चीन के लोगों का कहना है कि ये तस्वीर पश्चिमी देशों के चीन के प्रति पूर्वाग्रहों को प्रदर्शित करती है.
तस्वीर पर हुए विवाद के बाद माफ़ी मांगते हुए फोटोग्राफर चेन ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म वीबो पर लिखा, "मैं अपनी अपरिपक्वता और लापरवाही के लिए ख़ुद को ज़िम्मेदार मानती हूं."
उधर डियोर का कहना है कि हाल ही में शंघाई प्रदर्शनी में लगाई गई इस तस्वीर को अब हटा लिया गया है.
बुधवार शाम अपने वीबो अकाउंट पर बयान जारी करते हुए फैशन ब्रांड डियोर ने कहा, "डियोर, हमेशा की तरह चीन के लोगों की भावनाओं का सम्मान करता है. यदि कोई गलतियां हुई हैं तो हम उन्हें स्वीकारने और सही करने को लेकर खुले विचार रखते हैं."
डियोर ने अपने बयान में ये भी कहा है कि ये तस्वीर कोई व्यवसायिक विज्ञापन नहीं थी बल्कि एक आर्टवर्क थी.
ये तस्वीर सबसे पहले 12 नवंबर को प्रदर्शनी में लगाई गई थी. इसे लेकर पहले चीन के सोशल मीडिया पर लोगों ने गुस्सा ज़ाहिर किया और फिर मुख्यधारा की मीडिया में इसकी आलोचना की गई.
बीजिंग डेली में प्रकाशित एक संपादकीय में कहा गया कि इस तस्वीर की मॉडल का चेहरा उदास था और आंखें 'भयावह' थीं. लेख में कहा गया, "फोटोग्राफर या तो ब्रांड की मांग को पूरा कर रही हैं या फिर सौंदर्य के पश्चिमी दुनिया के मानकों को ध्यान में रख रही हैं."
"सालों से एशियाई महिलाओं को छोटी आंखों के साथ दिखाया जाता रहा है. ये सौंदर्य का पश्चिमी नज़रिया है. लेकिन कला और सौंदर्य को सराहने के चीनी तरीकों को इससे विकृत नहीं किया जा सकता है."
इसी बीच चाइना विमेंस न्यूज़ की एक टिप्पणी में कहा गया है कि इस तस्वीर में महिला की इकहरी सूजी हुई पलकें देखकर बहुत लोग असहज हुए हैं.
इंटरनेट पर चीन के कुछ लोगों का ये भी कहना था कि ये तस्वीरें फोटोग्राफर चेन की साल 2012 में आई-डी मैग्ज़ीन के लिए खींची गई तस्वीरों की श्रंखला की याद दिलाती हैं.
सोशल मीडिया पर टिप्पणी करने वालों का कहना है कि ये तस्वीरें चीन की महिलाओं का अपमानजनक प्रदर्शन है क्योंकि इनमें उनका रंग साफ़ नहीं है और आंखें बड़ी-बड़ी और गोल नहीं हैं. चीन में बहुत सी महिलाएं अपनी ऐसी आंखों पर गर्व करती हैं.
अन्य लोगों का कहना है कि ये तस्वीरें चीन के लोगों की पूर्वाग्रहों और नस्लवाद से ग्रस्त छवि पेश करती हैं. लेकिन सभी लोग इन तर्कों से सहमत नहीं है. कुछ लोग खुलकर फोटोग्राफर चेन के समर्थन में आ गए हैं.
उनका कहना है कि "छोटी आंखों वाली चीन की महिलाओं को सुंदर क्यों नहीं माना जाना चाहिए. हमें इससे कोई समस्या नहीं है."
बुधवार को जारी बयान में चेन मैन ने कहा है कि उन्होंने बहुत गंभीरता से अपने काम पर विचार किया और नकारात्मक टिप्पणियों को पढ़ा. इसके बाद उन्हें अहसास हुआ कि उन्हें माफ़ी मांगनी चाहिए.
चेन ने कहा, "मैं चीन में पैदा हुई हूं और यहीं पली-बढ़ी हूं. मैं अपने देश को बहुत प्यार करती हूं. एक कलाकार के तौर पर मैं चीन की संस्कृति को दर्ज करने और अपने काम के ज़रिए चीन की सुंदरता को दिखाने की अपनी ज़िम्मेदारी को समझती हूं."
"मैं चीन के इतिहास को लेकर अपने आप को शिक्षित करूंगी, इससे जुड़े अधिक इवेंट में हिस्सा लूंगी और अपनी विचारधारा को सुधारूंगी. मैं अपने काम के ज़रिए चीन की कहानी को दिखाने की पूरी कोशिश करूंगी."
चेन मैन चीन की फ़ैशन दुनिया की एक चर्चित फोटोग्राफर हैं. उन्होंने कई शीर्ष पत्रिकायों के कवर के लिए तस्वीरें खींची हैं और डेविड बैकहम औ फैन बिंगबिंग जैसे स्टार के प्रोफ़ाइल तैयार किए हैं. (bbc.com)
नई दिल्ली, 25 नवंबर | एक चीनी फैशन फोटोग्राफर ने फ्रांस के लग्जरी ब्रांड डायर के लिए खींची गई एक तस्वीर के बाद अपनी 'अज्ञानता' के लिए माफी मांगी है। चेन मैन की तस्वीर में एक महिला को दिखाया गया है, जिसे कुछ चीनी नेटिजन्स ने एशियाई चेहरों की पश्चिमी रूढ़िवादिता को कायम रखा है।
41 वर्षीय चेन ने सोशल प्लेटफॉर्म वीबो पर लिखा, "मैं अपनी अपरिपक्वता और अज्ञानता (अपने पिछले कार्यो में) के लिए खुद को दोषी ठहराता हूं।"
डायर ने कहा कि हाल ही में शंघाई प्रदर्शनी में प्रदर्शित की गई तस्वीर को हटा दिया गया है।
फैशन हाउस ने बुधवार शाम को अपने वीबो अकाउंट पर लिखा, "डायर, हमेशा की तरह चीनी लोगों की भावनाओं का सम्मान करता है .. यदि कोई त्रुटि होती है, तो प्रतिक्रिया प्राप्त करने और उन्हें समय पर ठीक करने के लिए हमें मन को खुला रखना चाहिए। वह एक कलाकृति थी न कि व्यावसायिक विज्ञापन।"
रिपोर्ट में कहा गया है कि तस्वीर को पहली बार 12 नवंबर को प्रदर्शित किया गया था, जिसे तुरंत कुछ नेटिजन्स और फिर स्थानीय मीडिया आउटलेट्स से प्रतिक्रिया मिली।
इसके विपरीत, बीजिंग डेली के एक संपादकीय ने डायर फोटो में मॉडल को 'उदास चेहरा' और 'भयावह आंखें' के रूप में वर्णित किया।
संपादकीय में कहा गया है, "वर्षो से, एशियाई महिलाएं हमेशा पश्चिमी दृष्टिकोण से छोटी आंखों और झाइयों के साथ दिखाई देती हैं। फोटोग्राफर ब्रांडों या पश्चिमी दुनिया के सौंदर्य स्वाद के लिए खेल रहा है।"
रिपोर्ट में कहा गया है कि चीनी सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने इसे प्रतिध्वनित किया और कहा कि पश्चिम के लोगों का मानना है कि चेन की तस्वीरें 'अपमानजनक' चित्रण था।
वीबो पर एक यूजर ने कहा, "पश्चिमी लोग सोचते हैं कि हम इस तरह दिखते हैं।" कई लोगों ने कहा कि वे लग्जरी ब्रांड का बहिष्कार करेंगे।(आईएएनएस)
जोहान्सबर्ग, 24 नवंबर | दक्षिण अफ्रीका और नीदरलैंड के बीच 26 नवंबर से शुरू हो रही तीन मैचों की एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सीरीज से पहले तेज गेंदबाज लुंगी एनगिडी कोविड-19 से संक्रमित पाए गए हैं और उन्होंने सीरीज से अपना नाम वापस ले लिया है। इस बारे में क्रिकेट दक्षिण अफ्रीका (सीएसए) ने बुधवार को जानकारी दी है। अब तक सिर्फ दो वनडे खेलने वाले 31 साल तेज गेंदबाज कार्ल जूनियर डाला को उनकी जगह टीम में शामिल किया गया है।
सीएसए ने एनगिडी के स्वास्थ्य व अन्य सदस्यों के उनके संपर्क में आने की किसी प्रकार की कोई जानकारी नहीं दी, जिन्होंने 29 मैचों में 54 एकदिवसीय विकेट लिए हैं।
तीनों एकदिवसीय मैच सेंचुरियन में खेले जाएंगे। वहीं, दूसरा वनडे 28 नवंबर और तीसरा वनडे 1 दिसंबर को खेला जाएगा। ऐसा पहली बार है जब नीदरलैंड दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ सीरीज खेलेगा।
यह सीरीज, आईसीसी क्रिकेट विश्व कप सुपर लीग का हिस्सा है, यह टूर्नामेंट 2023 में आयोजित किया जाएगा है। दक्षिण अफ्रीका इस समय सूची में नौवें स्थान पर है। (आईएएनएस)
मानवीय संकट से जूझ रहे अफगानिस्तान में बैंक खातों के जरिए वेतन ट्रांसफर करने की फिलहाल कोई व्यवस्था नहीं है. ऐसे में वहां काम कर रहे अंतरराष्ट्रीय सहायता संगठन अपने कर्मचारियों को वेतन देने के तरीके तलाश रहे हैं.
रेड क्रॉस की अंतरराष्ट्रीय समिति (आईसीआरसी) का कहना है कि अफगानिस्तान मौजूदा वक्त में मानवीय संकट का सामना कर रहा है और सहायता संगठनों को डॉक्टरों, नर्सों और अन्य कर्मचारियों को वेतन देने में मुश्किल हो रही है. ऐसा इसलिए क्योंकि वेतन ट्रांसफर करने के लिए बैंक में कोई तंत्र नहीं है.
आईसीआरसी के अध्यक्ष पीटर मौरर के मुताबिक, "अफगानिस्तान में वास्तविक समस्या भूख नहीं है." उन्होंने एसोसिएटेड प्रेस को बताया कि असली मुद्दा सामाजिक सेवाओं से जुड़े लोगों को वेतन भुगतान का है क्योंकि देश में नकदी की कमी है. उन्होंने कहा, "हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि ज्यादातर डॉक्टर, नर्स, पानी और बिजली आपूर्ति कर्मचारी वही लोग हैं जो काम करते हैं. परिवर्तन सिर्फ नेतृत्व में हुआ है. काम करने वाले तो वही लोग हैं."
रेड क्रॉस के प्रमुख ने कहा कि अगर अनाज उत्पादन और देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान होता रहा तो अफगानिस्तान को भूख संकट का सामना करना पड़ सकता है. उन्होंने जोर देकर कहा कि लोगों को संकट से निकालने के लिए वेतन का भुगतान जल्द होना चाहिए.
उन्होंने कहा, "अगर लोगों को बुनियादी भोजन नहीं मिलता है, तो वे बीमार हो जाएंगे. इसलिए मैं भोजन, स्वास्थ्य, पानी, स्वच्छता, बिजली और शिक्षा प्रणाली के परस्पर संबंध को लेकर चिंतित हूं."
मौरर की चिंताएं वैसी ही हैं जैसी अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत ने पिछले दिनों जाहिर की थी. विशेष दूत ने कहा था कि देश "एक बड़ी मानवीय तबाही के कगार पर है."
अगस्त में तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद से देश की अर्थव्यवस्था 40 प्रतिशत तक सिकुड़ गई है.
आईसीआरसी वर्तमान में अस्थायी रूप से नकदी का इंतजाम कर रहा है, डॉलर को स्थानीय मुद्रा में बदल रहा है और अपने कुछ कर्मचारियों को वेतन दे रहा है. अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने आईसीआरसी को ऐसा करने की अनुमति दी है. रेड क्रॉस ने तालिबान द्वारा संचालित स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ भी एक समझौता किया है, जिसके तहत वह तालिबान की अनुमति के बिना अपने कर्मचारियों को वेतन का भुगतान कर सकता है.
तालिबान नेतृत्व ने हाल ही में सभी विदेशी मुद्राओं में लेनदेन पर प्रतिबंध लगा दिया. तालिबान ने अमेरिका से विदेशों में अफगान संपत्ति पर प्रतिबंध हटाने का आह्वान किया है ताकि सरकार शिक्षकों, डॉक्टरों और अन्य सरकारी कर्मचारियों को वेतन भुगतान कर सके.
एए/सीके (एपी, रॉयटर्स)
वेबसाइटों को ब्लॉक करने से लेकर कंपनियों को यूजर डेटा साझा करने के लिए मजबूर करने तक सरकारें - जिसमें लोकतंत्र भी शामिल हैं "सत्तावादी" ताकतों का सहारा ले रही हैं.
थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन के वार्षिक ट्रस्ट सम्मेलन में भाग लेने वाले सदस्यों ने कहा कि चीन और रूस जैसी सरकारें सोशल मीडिया सामग्री को ब्लॉक कर रही हैं, जिसके लिए कंपनियों को डेटा निगरानी से जुड़े दस्तावेज पेश करने होते हैं. उनका कहना है कि पत्रकारों और कार्यकर्ताओं को ऑनलाइन चुप कराया जा रहा है.
अमेरिका स्थित थिंक टैंक सेंटर फॉर यूरोपियन पॉलिसी एनालिसिस की प्रमुख एलीना पॉलाकोवा ने कहा, "डिजिटल दुनिया तेजी से एक सत्तावादी जगह बनने की ओर बढ़ रही है."
पश्चिम से भी खतरा
अधिकार समूह एक्सेस नाउ के नीति निदेशक जेवियर पलेरो ने कहा कि खतरे पश्चिमी दुनिया से भी आ रहे हैं. उन्होंने कहा, "बहुत सारी लोकतांत्रिक सरकारें अब एकाधिकारवादी शासन की तरह काम कर रही हैं. यह सिर्फ रूस और चीन तक ही सीमित नहीं." उन्होंने अमेरिका में पुलिस द्वारा चेहरे की पहचान करने वाली तकनीक और अर्जेंटीना में पुलिस निगरानी का उदाहरण दिया.
चीन के सिंगुआ विश्वविद्यालय के श्वार्जमैन कॉलेज के डीन जू लान ने कहा कि चीन का अधिकांश इंटरनेट और डेटा कानून देश के लगभग एक अरब इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की गोपनीयता की रक्षा करने और राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा करने के बारे में है. वह कहते हैं, "वास्तविकता इससे कहीं अधिक जटिल और कम नाटकीय है जो अक्सर चित्रित किया जाता है. सरकारों को इसके उपयोग से जुड़ी लागतों और जोखिमों का प्रबंधन करने के लिए इंटरनेट जैसे डिजिटल बुनियादी ढांचे का प्रबंधन करने की आवश्यकता होती है."
सरकारें हर चीज अपनी पकड़ में रखना चाहती
पलेरो ने कानून प्रवर्तन एजेंसियों को निजी संचार तक पहुंच का हवाला देते हुए कहा, "सत्ता की एकाग्रता निगरानी जैसे उल्लंघनों को सक्षम कर सकती है, लेकिन कुछ सरकारों द्वारा कंपनियों को प्रॉक्सी के रूप में इस्तेमाल करके इसे हथियार भी बनाया जा सकता है."
पैनलिस्टों ने कहा ऑनलाइन स्पेस और उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा का समाधान लोगों के हाथों में सत्ता का पुनर्वितरण करना है लेकिन व्यक्तियों के बजाय समूहों के रूप में. शोधकर्ताओं का कहना है सामुदायिक इंटरनेट या विकेंद्रीकृत नेटवर्क जहां संचार सेवाओं का एकाधिकार होने के बजाय स्थानीयकृत किया जाता है वहां सरकार या कॉर्पोरेट दिग्गज यूजर्स को अपने डेटा और गोपनीयता पर अधिक नियंत्रण देते हैं.
एए/वीके (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा एक रॉकेट अंतरिक्ष में भेज रही है जिसका मकसद एक क्षुद्रग्रह यानी एस्ट्रॉयड का रास्ता मोड़ना होगा. यह एक परीक्षण है जिसे भविष्य की तैयारी के तौर पर किया जा रहा है.
सुनने में यह किसी साइंस फिक्शन कहानी जैसा लगता है कि एक क्षुद्रग्रह धरती की ओर बढ़ रहा है और टक्कर हुई तो मानव सभ्यता का विनाश हो जाएगा. ऐसा होना असंभव नहीं है और वैज्ञानिक इस बात को समझते हैं. इसीलिए नासा वैज्ञानिक यह परीक्षण कर रहे हैं कि ऐसा होता है तो क्या एस्ट्रॉयड का रास्ता बदला जा सकता है या उसे नष्ट किया जा सकता है.
इसी परीक्षण के तहत डबल एस्ट्रॉयड रीडाइरेक्शन टेस्ट (DART) नाम से एक रॉकेट अंतरिक्ष में भेजा जा रहा है. स्पेसएक्स कंपनी का रॉकेट कैलिफॉर्निया के वैन्डेनबर्ग स्पेस फोर्स बेस से उड़कर एक क्षुद्रग्रह को नष्ट करने की कोशिश करेगा.
अगले साल होगी टक्कर
स्पेसएक्स के मालिक ईलॉन मस्क ने ट्वीट कर बताया, "आज रात के फाल्कन 9 लॉन्च के लिए सिस्टम और मौसम बढ़िया लग रहा है.”
डार्ट का लक्ष्य डाइमॉरफस नामक एस्ट्रॉयड के रास्ते में थोड़ा बदलाव लाना है. डाइमॉरफस लगभग 525 फुट चौड़ा है और यह डिडीमॉस नामक एक बड़े एस्ट्रॉयड के इर्द-गिर्द चक्कर लगाता है, जो 2,500 चौड़ा है. दोनों मिलकर सूरज के चारों ओर घूमते हैं.
डाइमॉरफस से डार्ट की टक्कर अगले साल किसी वक्त हो सकती है. इस टक्कर के वक्त ये दोनों पृथ्वी से 1.1 करोड़ किलोमीटर दूर होंगे. 30 करोड़ डॉलर के अपनी तरह के इस पहले प्रयोग के बारे में नासा के प्रमुख वैज्ञानिक थॉमस जुबुरशेन कहते हैं, "हम यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि किसी खतरे को कैसे टाला जाए.”
अभी कोई खतरा नहीं
डाइमॉरफिस अभी पृथ्वी के लिए किसी तरह का खतरा नहीं है लेकिन ये पृथ्वी के नजदीक मौजूद नीयर-अर्थ ऑब्जेक्ट्स (NEOs) यानी एस्ट्रॉयड और धूमकेतू आदि हैं जो हमारे ग्रह के 3 करोड़ मील दूर तक आ सकते हैं.
नासा के प्लेनेटरी डिफेंस कोऑर्डिनेश ऑफिस के वैज्ञानिकों की सबसे ज्यादा दिलचस्पी उन चीजों में ज्यादा है जिनका आकार 460 फुट से ज्यादा है. ये एस्ट्रॉयड पूरे के पूरे शहरों या इलाकों को तबाह कर सकते हैं क्योंकि इनकी शक्ति कई परमाणु बमों से भी अधिक होगी.
वैज्ञानिक ऐसी दस हजार चीजों के बारे में जानते हैं जिनका आकार 460 फुट से ज्यादा बड़ा है. लेकिन अगले सौ साल में इनमें से किसी के भी धरती से टकराने की कोई बड़ी संभावना नहीं है. हालांकि वैज्ञानिक स्पष्ट करते हैं कि ऐसे एस्ट्रॉयड बहुत ज्यादा हैं और हमें मुश्किल से 40 प्रतिशत का ही पता है.
वीके/एए (रॉयटर्स, एएफपी)
अगर किसी के पास चांद पर परमाणु बिजली संयंत्र लगाने का अच्छा आइडिया है, तो अमेरिकी सरकार इसके बारे में जानना चाहती है.
नासा और अमेरिकी परमाणु ऊर्जा एजेंसी ने चंद्रमा की सतह पर परमाणु ऊर्जा संयंत्र की स्थापना के लिए सुझाव मांगे हैं. अंतरिक्ष एजेंसी नासा इडाहो स्थित अमेरिकी ऊर्जा विभाग के संघीय प्रयोगशाला के साथ साझेदारी में चंद्रमा पर एक परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने की योजना बना रही है. इस दशक के अंत तक दोनों मिलकर चांद पर सूर्य-स्वतंत्र ऊर्जा स्रोत स्थापित करना चाहती है.
देश की शीर्ष संघीय परमाणु अनुसंधान प्रयोगशाला में फिशन सरफेस पावर प्रोजेक्ट के प्रमुख सेबास्टियन कॉर्बिसिएरो ने एक बयान में कहा, ''इस परियोजना का उद्देश्य चंद्रमा पर एक विश्वसनीय, उच्च-शक्ति प्रणाली प्रदान करना है जो इंसान के अंतरिक्ष खोज में एक महत्वपूर्ण अगला कदम है. और इसे हासिल करना हमारी मुट्ठी में है.''
अगर चंद्रमा की सतह पर परमाणु रिएक्टर लगाने की योजना सफल होती है तो मंगल के लिए भी इसी तरह की योजना तैयार की जाएगी. इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर उतरने के बाद इंसान को लंबे समय तक वहां रहने में सक्षम बनाना है. नासा का मानना है कि पर्यावरणीय परिस्थितियों की चिंता किए बिना चंद्रमा या मंगल पर बिजली संयंत्र होने चाहिए ताकि मनुष्य इन ग्रहों पर लंबे समय तक रह सकें.
नासा के अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी मिशन निदेशालय के एसोसिएट एडमिनिस्ट्रेटर जिम राउटेर ने कहा, ''मुझे उम्मीद है कि फिशन सतह बिजली प्रणालियों से चंद्रमा और मंगल के लिए बिजली वास्तुकला के लिए हमारी योजनाओं को बहुत लाभ होगा और यहां तक कि पृथ्वी पर उपयोग के लिए नवाचार को भी बढ़ावा मिलेगा.''
यह परमाणु ऊर्जा संयंत्र जमीन पर बनने के बाद तैयार अवस्था में चंद्रमा पर भेजा जाएगा. परमाणु रिएक्टर यूरेनियम ईंधन पर निर्भर करेगा, जबकि थर्मल प्रबंधन प्रणाली रिएक्टर को ठंडा रखने में मदद करेगी. न्यूक्लियर पावर प्लांट अगले दस साल तक चांद की सतह पर 40 किलोवाट बिजली पैदा कर पाएगा.
कुछ अन्य मांगों में यह शामिल है कि यह मानव सहायता के बिना खुद को बंद और चालू करने में सक्षम हो. इसके अलावा नासा ने चंद्रमा पर उतरने वाले अंतरिक्ष यान से बिजली संयंत्र को अलग करने और मोबाइल सिस्टम की तरह काम करने और चंद्रमा पर विभिन्न स्थानों पर आसानी से जाने की क्षमता जैसी सुविधाओं का प्रस्ताव रखा है.
नासा के प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि बिजली संयंत्र चार मीटर के सिलेंडर के अंदर फिट हो सकता है और इसकी लंबाई छह मीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए. जबकि इसका वजन 6,000 किलोग्राम से अधिक नहीं होना चाहिए. ये डिजाइन और प्रस्ताव अगले साल 19 फरवरी तक नासा को भेजे जा सकते हैं.
इडाहो नेशनल लेबोरेटरी पहले भी नासा की कई परियोजनाओं का हिस्सा रही है. प्रयोगशाला के वैज्ञानिकों ने मंगल पर नासा के रोवर परसिवरेंस पर रेडियोआइसोटोप ऊर्जा प्रणाली स्थापित करने में मदद की थी.
एए/सीके (एपी, रॉयटर्स)
दुनिया में कई अजीबोगरीब जानवर होते हैं जिनके बारे में लोग कम जानते हैं. ये सभी अपनी बनावट और विशेषता के कारण विचित्र होते हैं मगर हाल ही में एक ऐसे कुत्ते की चर्चा हो रही है जो दूसरे कुत्तों से बिल्कुल अलग नजर आता है. इस कुत्ते का गला किसी जिराफ के गले की तरह या किसी डायनासोर की गर्दन की तरह काफी लंबा है इसलिए ये कुत्ता इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है.
ब्रोडी नाम का ये कुत्ता एजावाख प्रजाति का है जो ग्रे हाउंड और विपेट ब्रीड से काफी जुड़ा हुआ है. जब ब्रोडी बच्चा था तब वो एक तेज रफ्तार कार से भिड़ गया था जिसके बाद उसको काफी चोट आई थी. तब लूइसा क्रुक नाम की महिला ने उसकी जान बचाई थी. इस हादसे के बाद ब्रोडी का एक सामने वाला पैर कंधा समेत काटना पड़ा. आपको बता दें एजावाख प्रजाति के कुत्तों की गर्दन पहले से ही काफी लंबी होती है और जब कुत्ते का एक पैर कंधे समेत काट दिया गया तो उसकी गर्दन और भी ज्यादा लंबी लगने लगी.
लूइसा ने बताया कि जब उन्होंने ब्रोडी को पहली बार देखा था तब वो अपने पैरों पर चल भी नहीं पा रहा था मगर उन्हें उसी वक्त वो बहुत खूबसूरत लगा. लूइसा ने डेली स्टार वेबसाइट से बात करते हुए बताया कि एजावाख कुत्तों का गला पहले से ही लंबा रहता है मगर जब से उसका एक पैर कंधे समेत काटा गया तब से उसकी गर्दन और लंबी लगने लगी है.
ब्रोडी को देखने से ऐसा लगता है कि कुत्ते की सिर्फ एक गर्दन है जिससे तीन पैर जुड़े हुए हैं. लूइसा ने बताया कि वो ब्रोडी को बहुत प्यार करती हैं और उसके साथ उनका बॉन्ड बेहद स्पेशल है. लूइसा के पास और भी कई कुत्ते हैं मगर उनके सबसे ज्यादा प्यार ब्रोडी से है. उन्होंने कहा कि जब वो किचेन में खाना बनाती रहती हैं तो ब्रोडी उनके साथ ही खड़ा हो जाता है. उन्होंने ब्रोडी को फाइटर की तरह पाला है इसलिए वो अपनी कंडीशन से हार नहीं मानता है.
नई दिल्ली, 23 नवंबर| चीन की जन्म दर 1978 के बाद से अपने सबसे निचले स्तर पर आ गई है। यह ऐसे समय पर हुआ है, जब सरकार जनसांख्यिकीय संकट को दूर करने के लिए संघर्ष कर रही है।
द गार्जियन ने अपनी एक हालिया रिपोर्ट में यह दावा किया है।
चीन के सरकारी विभाग नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स के आंकड़ों का हवाला देते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 में जन्म दर प्रति हजार लोगों पर 8.5 दर्ज की गई है, जो 1978 के बाद से सबसे कम है।
चीन के लिए सबसे ज्यादा चिंता की बात यह है कि तमाम सरकारी स्कीम के बाद भी 2020 में देश में प्राकृतिक ग्रोथ रेट घटकर 1.45 प्रति हजार तक पहुंच चुकी है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि बच्चे के जन्म पर दशकों की हस्तक्षेपवादी नीतियों और उच्च जीवन लागत सहित हालिया दबावों के बाद संभावित जनसंख्या में गिरावट को रोकने के लिए सरकार दबाव में है।
सबसे आश्चर्यजनक बात ये है कि चीन में बच्चों की जन्म दर उस वक्त बुरी तरह से गिरी है, जब चीन की सरकार बच्चों की जन्म दर को बढ़ाने की कोशिश कर रही है।
रिपोर्ट में हालांकि नाटकीय गिरावट का कारण नहीं बताया गया है, लेकिन जनसांख्यिकीविदों ने प्रसव उम्र की महिलाओं की गिरती संख्या और परिवार के पालन-पोषण की बढ़ती लागत की ओर इशारा किया है।
आंकड़ों से पता चला है कि चीन में जन्म दर पिछले कई सालों से लगातार गिरती जा रही है और 'एक बच्चे की नीति' में ढील देने के बाद भी चीन के लोग अब बच्चों को जन्म देने के लिए तैयार नहीं हो रहे हैं।
बता दें कि चीन विश्व का सबसे अधिक आबादी वाला देश है और हाल के वर्षो में दशकों पुरानी एक बच्चे की नीति को खत्म करने के बावजूद चीन में युवा आबादी तेजी से कम हो रही है और जन्म दर घट रही है, जिसने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। (आईएएनएस)
-संजीव शर्मा
नई दिल्ली, 23 नवंबर| पाकिस्तान में लापता लोगों के परिवारों ने बताया कि अधिकारियों को अदालतों के माध्यम से अपने प्रियजनों को वापस लाने के लिए मजबूर करने के उनके प्रयास असफल रहे हैं।
एमनेस्टी इंटरनेशनल की एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि मामलों को 1980 के दशक के मध्य में दर्ज किया गया है, मगर 2001 में तथाकथित 'आतंक के खिलाफ युद्ध' की स्थापना के बाद से पाकिस्तान की खुफिया सेवाओं द्वारा नियमित रूप से इस अभ्यास का इस्तेमाल मानवाधिकार रक्षकों, राजनीतिक कार्यकर्ताओं, छात्रों और पत्रकारों को लक्षित करने के लिए किया गया है, जिसमें सैकड़ों पीड़ितों के भाग्य अभी भी अज्ञात हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, अली इम्तियाज ने कहा कि जब अदालत ने तलब किया, तो खुफिया एजेंसियों या अधिकारियों में से कोई भी अदालत में पेश नहीं हुआ।
ऐसे मामलों में, जब अधिकारी अदालत में पेश हुए थे, तब भी उन्होंने परिवारों को उनके सवालों के जवाब नहीं दिए।
सैमी बलूच ने बताया कि जब अधिकारी अदालत के सामने पेश हुए, तो उन्होंने दावा किया कि उनके पिता अलगाववादी के रूप में प्रशिक्षण लेने के लिए अफगानिस्तान गए थे, लेकिन वे इन दावों को साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं दिखा सके।
रिपोर्ट में कहा गया है, "दुर्भाग्य से ये आरोप और निराधार दावे अधिकारियों तक सीमित नहीं हैं: एमनेस्टी इंटरनेशनल ने दो लोगों से बात की, जो उनके मामलों की सुनवाई कर रहे न्यायाधीशों के ऐसे निराधार दावों और आरोपों का सामना कर रहे हैं। एक व्यक्ति ने बताया कि न्यायाधीश ने सुझाव दिया कि उसका पति भाग गया है और वह गायब नहीं हुआ है।"
शबाना मजीद ने एक ऐसे ²श्य का वर्णन किया, जहां वह गायब हुए अन्य परिवारों के साथ अदालत में चल रही सुनवाई में भाग ले रही थी, अपने लापता प्रियजनों के बारे में जवाब और न्याय के लिए एक न्यायाधीश से भीख मांग रही थी और न्यायाधीश ने चिल्लाते हुए और कठोर भाषा का इस्तेमाल करते हुए परिवारों को फटकार कर जवाब दिया था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि न्याय प्रणाली तक पहुंचने वाले लोगों के साथ स्वतंत्र और निष्पक्ष व्यवहार किया जाना चाहिए; इस मामले में जज का आचरण इस अधिकार का उल्लंघन है। इन मामलों में प्रगति की कमी, जहां गायब हुए परिवारों के साथ सहानुभूति या मानवता के बिना व्यवहार किया जाता है, जबरन गायब होने के मामलों के आसपास की कठिनाइयों और उन परिवारों के संघर्षों का संकेत है जो अपने लापता प्रियजनों के लिए सूचना और न्याय के लिए लड़ रहे हैं।
2011 में, पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर, पाकिस्तान के आंतरिक (गृह) मंत्रालय ने गायब होने वाले लोगों के लिए एक जांच आयोग की स्थापना की, जिसे सीओआईईडी कहा जाता है।
इस आयोग का कार्य एक 'गायब' व्यक्ति के स्थान का पता लगाना है, यह पता लगाना है कि कौन जिम्मेदार है (चाहे राज्य, व्यक्ति या संस्थान)। इसमें प्रावधान है कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि प्राथमिकी दर्ज की गई है या नहीं और कानून प्रवर्तन और खुफिया एजेंसियों के लिए मानक संचालन प्रक्रियाओं की सिफारिश की गई है।
सीओआईईडी की सितंबर 2021 की मासिक रिपोर्ट के अनुसार, इसकी स्थापना के बाद से इसे 8,122 मामले प्राप्त हुए हैं, जिनमें से 2,274 अनसुलझे हैं।
सितंबर 2021 में आयोग ने 27 मामलों का निपटारा किया, जहां 24 लोगों का पता लगाया गया, 13 घर लौट आए, छह नजरबंदी केंद्रों में कैद थे, पांच को जेल में बंद कर दिया गया था और तीन को जबरन गायब होने के मामला नहीं माना गया था।
नागरिक समाज और लापता लोगों के परिवारों, जिनका सीओआईईडी पर कोई प्रतिनिधित्व नहीं है, ने आयोग की आलोचना की है कि वह जबरन गुमशुदा होने के मामलों की जांच करने या आपराधिक जिम्मेदारी के संदिग्ध लोगों को न्याय दिलाने के लिए इसमें निहित शक्तियों का उपयोग नहीं करता है।
2020 में, अंतर्राष्ट्रीय न्याय आयोग ने कहा कि ऑपरेशन के नौ वर्षों में सीओआईईडी ने अपराध के लिए जबरन गायब होने के एक भी अपराधी को जिम्मेदार नहीं ठहराया है। एमनेस्टी इंटरनेशनल से बात करने वाले लापता पीड़ितों के 50 परिवारों ने बताया कि कई सुनवाई के बाद, जिनके मामले सीओआईईडी के समक्ष थे, उन्हें कोई जवाब या न्याय नहीं मिला है।
सभी परिवार जिनके मामले सीओआईईडी से पहले थे और जिन्होंने एमनेस्टी इंटरनेशनल से बात की है, वे अभी भी अपने प्रियजनों के बारे में किसी भी जानकारी की प्रतीक्षा कर रहे हैं। (आईएएनएस)
तेल की कीमतों ने अमेरिकी राष्ट्रपति को परेशान कर दिया है. ओपेक देश उनकी बात मान नहीं रहे तो उन्होंने भारत, चीन, जापान और दक्षिण कोरिया से साथ आने का आग्रह किया है.
उत्पादन बढ़ाने के लिए तेल उत्पादक देशों पर अमेरिका का दबाव लगभग बेकार गया है. अब वह भारत और जापान आदि देशों से अपनी बचत से तेल निकालने को कह रहा है. लेकिन इस पूरे वाकये से यह सबक भी मिला है कि तेल उत्पादक देश चाहें भी तो ज्यादा तेल उत्पादन नहीं कर सकते.
ऑर्गनाइजेशन ऑफ पेट्रोलियम एक्सपोर्टिंग कंट्रीज (ओपेक) और उसके सहयोगी देशों ने 2020 में जो पाबंदियां सप्लाई पर लगाई थीं, वे हटाना शुरू तो किया है लेकिन उसकी रफ्तार उतनी नहीं है जितनी अमेरिका चाहता है. इसलिए कीमतें तीन साल के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गई हैं.
रूस को मिलाकर बने ओपेक प्लस देशों ने उत्पादन बढ़ाने के अमेरिकी दबाव के आगे झुकने से इनकार कर दिया है. वह रोजाना चार लाख बैरल उत्पादन बढ़ाने की अपनी योजना पर कायम हैं. उनका कहना है कि अगर इससे ज्यादा तेजी से उत्पादन बढ़ाया गया तो 2022 में कीमतें बहुत ज्यादा प्रभावित हो सकती हैं.
रिजर्व में हाथ डालेगा अमेरिका
ऐसी संभावनाएं जताई जा रही हैं कि ऊर्जा कीमतों को कम करने के लिए अमेरिका ने एशियाई देशों के साथ मिलकर अपने आपातकालीन स्टॉक में से कर्ज पर तेल देने की योजना बनाई है जिसका ऐलान मंगलवार को हो सकता है.
अमेरिका में गैसोलीन और अन्य उपभोक्ता वस्तुओं के दाम बहुत ज्यादा बढ़ने से राष्ट्रपति जो बाइडेन की लोकप्रियता को खासा धक्का पहुंचा है. इसका असर अगले साल होने वाले कांग्रेस चुनावों में उनकी डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रदर्शन पर पड़ सकता है.
इसलिए उनके पास फिलहाल आपातकालीन स्टॉक में से तेल निकालने के अलावा कोई रास्ता नहीं है. इस आपातकालानी स्टॉक (स्ट्रैटिजिक पेट्रोलियम रिजर्व, एसपीआर) के लिए भारत, चीन, दक्षिण कोरिया और जापान के साथ मिलकर अदला-बदली की योजना बना गई है.
कैसे होती है अदला-बदली
जो बाइडेन ने एशियाई देशों से भी आग्रह किया है कि अपने अपने एसपीआर में से तेल निकालें. भारत और जापान ऐसा करने के रास्ते खोजने में लग गए हैं. एशियाई देशों के साथ मिलकर अमेरिका की यह कोशिश तेल की कीमतें करने के अलावा तेल उत्पादक देशों के लिए एक तरह की चेतावनी भी है कि उन्हें बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में कीमतें बढ़ने से रोकने के लिए अतिरिक्त उत्पादन करना चाहिए. ओपेक देश और रूस दो दिसंबर को उत्पादन नीति पर चर्चा के लिए मिलने वाले हैं.
अब तक अमेरिका पेरिस स्थित इंटरनेशनल ऊर्जा एजेंसी (आईईए) के साथ मिलकर तेल का उत्पादन और कीमतें स्थिर करने के लिए काम करता रहा है. जापान और दक्षिण कोरिया दोनों 30 सदस्यों वाली आईईए का हिस्सा हैं जबकि चीन और भारत सहयोगी देश हैं.
एसपीआर की अदला-बदली के तहत तेल कंपनियां भंडारों से तेल ले सकती हैं, लेकिन उन्हें वह तेल ब्याज लौटाना होता है. अमेरिका ने अब तक तीन बार ही एसपीआर से तेल निकालने की इजाजत दी है. 2011 में लीबिया में युद्ध के वक्त, 2005 में कटरीना तूफान के दौरान और 1991 के खाड़ी युद्ध के दौरान ऐसा किया गया था.
क्या है एसपीआर?
स्ट्रैटिजिक पेट्रोलियम रिजर्व यानी एसपीआर ऐसे तेल भंडार होते हैं जिन्हें विभिन्न देश आपातकाल में इस्तेमाल के लिए रखते हैं. अमेरिका के पास दुनिया के सबसे बड़े एसपीआर हैं जिनके तहत लुईजियाना और टेक्सस में 71.4 करोड़ बैरल तेल रखा जा सकता है. 1975 के तेल संकट के बाद अमेरिका ने ये भंडार बनाए थे. 4 सितंबर तक इन भंडारों में अमेरिका के पास 62.13 करोड़ बैरल तेल था.
दुनिया के सबसे बड़े आपातकालीन तेल भंडार रखने वाले देशों में वेनेजुएला, सऊदी अरब, कनाडा, ईरान, इराक, रूस, कुवैत, यूएई, लीबिया, नाइजीरिया, कजाखस्तान, कतर, चीन, अंगोला, अल्जीरिया और ब्राजील शामिल हैं.
भारत के पास मात्र 3.69 करोड़ बैरल तेल आपातकालीन भंडारों में रखा है, जो साढ़े नौ दिन का काम चला सकता है. लेकिन उसके तेल शोधक कारखानों में भी 64.5 दिन के लायक कच्चा तेल रखा जाता है.
वीके/एए (रॉयटर्स, एपी, एएफपी)
दो सदी पहले पेरिस में किसानों ने भूमिगत मशरूम उगाने की एक क्रांतिकारी विधि का आविष्कार किया था. लेकिन आज कुशल किसानों की कमी के कारण अनूठी कृषि विरासत खतरे में है.
विडंबना यह है कि परंपरागत रूप से उगाए जाने वाले सफेद बटन मशरूम और उनके अधिक स्वादिष्ट भूरे रंग वाले मशरूम की मांग हमेशा की तरह अधिक है. कुछ सदी पहले पेरिस में किसानों ने चूना पत्थर की खानों के चक्रव्यूह में मशरूम के उत्पादन के साथ प्रयोग किया, जिससे मशरूम की खेती में क्रांति आई.
ये किसान न केवल एक विशेष प्रकार के मशरूम की खेती करने में सफल हुए बल्कि बाद में इस प्रकार के मशरूम को एक नियमित राष्ट्रीय सांस्कृतिक विरासत के रूप में भी जाना जाने लगा. आज मशरूम की खेती की ऐसी अनूठी विरासत लुप्त होती दिख रही है क्योंकि ऐसे मशरूम उगाने के लिए गिने-चुने किसान ही बचे हैं.
मांग तो है लेकिन किसान नहीं
किसान शौआ-मौआ वांग कहते हैं, "यह ग्राहकों को खोजने का सवाल नहीं है, मैं वह सब कुछ बेचता हूं जो मैं पैदा कर सकता हूं."
पेरिस क्षेत्र में वांग वांग सबसे बड़ी भूमिगत खेती गुफा चलाते हैं, जो वास्तव में सीन नदी के ऊपर झांकते हुए पहाड़ की तलहटी में डेढ़ हेक्टेयर क्षेत्र में फैली सुरंगों का एक जाल है.
वांग पेरिस के कुछ सबसे प्रसिद्ध और पुरस्कार विजेता शेफ को अपने मशरूम बेचते हैं. उनके मशरूम स्थानीय सुपरमार्केट में भी बिकते हैं. उनके मशरूम थोक बाजार में लगभग साढ़े तीन यूरो प्रति किलोग्राम के भाव से बिकते हैं, जो काफी अधिक है.
वांग को हाल ही में एक बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा. सैकड़ों किलोग्राम मशरूम, जिन्हें 'सांप छतरियां' भी कहा जाता है, मजदूरों की कमी के कारण बर्बाद हो गए. वांग के पास माल उठाने और स्टोर करने के लिए पर्याप्त कर्मचारी नहीं थे. केवल 11 कर्मचारी ही काम पर लौट पाए, जबकि बाकी बीमारी के कारण गैरहाजिर रहे. वांग कहते हैं, ''दिन भर अंधेरा होता और मजदूर पूरे दिन काम नहीं करना चाहते.''
चैंपियंस ऑफ पेरिस मशरूम
वांग फ्रांस के उन पांच किसानों में से एक हैं जो ऐसे दुर्लभ मशरूम उगाते हैं, जिन्हें स्थानीय बोली में "चैंपियंस ऑफ पेरिस" के रूप में जाना जाता है. पेरिस के उत्तर में लंबे समय से खोदी गई खदानों से मशरूम का उत्पादन और कम हो गया है.
19वीं सदी के अंत तक ऐसे 250 तक किसान थे. उस समय बड़ी संख्या में किसानों ने 'शाही मशरूम' की ओर रुख किया. इस प्रकार के मशरूम की खेती तब वर्साय में राजा लुई चौदहवें द्वारा शुरू की गई थी. राजा ने असाधारण प्रसिद्धि प्राप्त की. तब किसानों ने यह भी पता लगाया कि इस मशरूम उत्पादन का तापमान, आर्द्रता और अंधेरा साल भर कैसे प्राप्त किया जा सकता है.
उन्होंने पाया था कि अगर खाद आधारित सब्सट्रेट ऐसे गहरे भूमिगत क्षेत्र में रखे जाते हैं जहां तापमान और आर्द्रता को नियंत्रित किया जा सकता है और अंधेरा उत्पत्ति को बढ़ावा देगा, तो एगारिकस बिस्पोरस (मशरूम) साल भर बढ़ेगा.
पेरिस शहर का तेजी से विस्तार और विशेष रूप से शहर के भूमिगत मेट्रो नेटवर्क के निर्माण ने 1900 की शुरुआत में मशरूम उत्पादकों को शहर से बाहर धकेलना शुरू कर दिया. 1970 के दशक में शहर के उपनगरों में लगभग 50 भूमिगत खदानें थीं जहां मशरूम उगाए जाते थे और अक्सर यह काम पीढ़ियों से चला आ रहा था.
विदेशों से मशरूम के सस्ते आयात ने स्थानीय स्तर पर ऐसे दुर्लभ और कीमती मशरूम की खेती और उत्पादन के अवसरों को और कम कर दिया है. अब नीदरलैंड्स, पोलैंड और चीन में पैदा हुए मशरूम फ्रांस में जगह बना रहे हैं.
एए/वीके (एएफपी)